नई दिल्ली: 29 सितंबर को पूरा देश 2016 में भारतीय जवानों द्वारा सीमा पार किए गए सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी सालगिराह मना रहा है. 2016 में इसी दिन भारतीय सेना ने उरी में आर्मी बेस कैंप पर पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा किए गए कायराना हमले का मुहतोड़ जवाब दिया था. 18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में एलओसी के पास स्थित भारतीय सेना के मुख्यालय पर आतंकियों ने हमला कर दिया था. इस हमले में भारत के 19 जवानों की शहादत हो गई थी. इस हमले के लगभग 10 दिन बाद भारत के जांबाजों ने पीओके में घुसकर आतंकियों का सफाया किया था.


आइए आज हम आपको आतंकवाद के खात्में के खुफिया मिशन के बारे में बताते हैं.


1-पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों के खिलाफ भारतीय सेना लगातार सरहद पर जंग लड़ रही है लेकिन आज से ठीक 2 साल पहले जब उरी हमला हुआ तो सेना ने निश्चय किया कि वह आतंकियों को उनके घर में घुस कर मारेगी. इसको लेकर भारतीय सेना ने जो प्लान बनाया था उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री, सैन्य प्रमुख समेत कई बड़े सैन्य प्रमुख शामिल थे. प्लान तैयार था और अब बस इस मिशन को अंजाम देना था.


2-सरहद पार किए गए इस ऑपरेशन को ऑपरेशन X नाम दिया गया. उरी हमले के बाद ही प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर अपनी मंसा जाहिर कर दी थी. उन्होंने कहा था कि जो भी इस निंदनीय कृत के पीछे है उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा. इस ऑपरेशन के लिए नॉर्दन कमांड के 2 बटालियन काम कर रही थी. सेना के नॉर्दन कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने दोनों बटालियन के कमांडरों को बुलाया और कहा कि आप पता करें कि पाकिस्तान के किन-किन इलाके में अटैक कर सकते हैं. उन्होंने पूरी तैयारी करने को कहा.


3-उत्तरी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा के आर्डर के बाद नॉर्देन कमांड के दोनों यूनिट की क्रॉस बार्डर स्ट्राइक के लिए ट्रैनिंग शुरू हो गई. ट्रेनिंग के बाद ऑपरेशन X के लिए जवान तैयार थे. सेना प्रमुख दलवीर सिंह ने इस ऑपरेशन को लेकर साफ कहा था कि कोई भी जवान दुश्मन के इलाके में पकड़ा न जाए इसका विशेष ध्यान रखें.


4- 19 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक करने वाली दोनों बटालियन को उत्तरी कमांड के मुख्यालय में बुलाया गया. 20 और 12 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर पूरे प्लान को डिस्कस किया गया.


5-सारी तैयारियां हो चुकी थी अब बस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुमति का इतंजार था. 23 सितंबर को प्रधानमंत्री अपने दफ्तर से निकलकर दिल्ली के मिलिट्री ऑपरेशन रूम पहुंचे. वहां रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, सेना अध्यक्ष दलवीर सिंह समेत कुछ अन्य सैन्य अधिकारी मौजूद थे. प्रधानमंत्री मोदी को पूरा प्लान बताया गया. प्रधानमंत्री मोदी ने साहसी फैसला लेते हुए सर्जिकल स्ट्राइक की इजाजत देदी.


6-प्रधानमंत्री से अनुमति मिलते ही सेना इस मिशन की तैयारी में एक बार फिर जुट गई. कौन-कौन से जवान दुश्मन के इलाके में जाएंगे और किसके के लिए क्या रणनीति होगी इसका फैसला हो गया. मकसद केवल दो ही था. एक उरी हमले का बदला लेना और दूसरा दुश्मन के मन में खौफ पैदा करना.


7-पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हिज्बुल कैंप की सारी जानकरी भारतीय जासूस सेना को दे रहे थे. जासूसों ने बताया कि पाकिस्तान में आतंकी कैंपो की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. भारतीय जवानों का दस्ता इस ऑपरेशन के लिए अब तैयार था. इंतजार थी तो बस आदेश की.


8-28 सितंबर 2016 को उत्तरी कमांड के मुख्यालय के ऑपरेशन दस्ता को मिशन पर जाने का आदेश दे दिया गया. ऑपरेशन के 7 दस्ते उरी, पुंछ, कुपवारा, केरन और तंगधार से हमला बोलने के लिए पूरी तरह से तैयार थे.


9-जिन आतंकी ठिकानों को निशानना बनाना था उसके और सैनिकों के बीच करीब 250 किलो मीटर का फासला था और बीच में जगह-जगह पाकिस्तान की सेना का चौकी थी.


10-दस्तों को आतंकियों के चार ठिकानों पर हमला करना था. 2 पर रात के अंधेरे में और 2 पर सुबह की पहली किरण के साथ. यह सबसे बड़ी चुनौती थी क्योंकि हमला अलग-अलग वक्त पर करना था. इसका साफ मतलब था कि एक हमले के बाद पाकिस्तानी सेना दूसरे चौकियों को हमले की जानकारी दे सकती थी. ऑपरेशन के दौरान आतंकी चौकियों में क्या चल रहा है इसकी जानकारी कमांडो को सेटेलाइट के जरिए मिल रही थी.


11-इस बीच पीओके के कन्ना इलाके में पहली सफलता हासिल कर मिशन पूरा होते ही दस्ता सुरक्षित लौट आई. अब केल और लिप्पा में आतंकियों के कैम पर हमला करना था.सुबह की पहली किरण के साथ ही स्पेशल टीम ने दोनों आतंकी कैंपो पर हमला कर दिया और उसे तबाह कर दिया. भारत के जाबांज सैनिकों ने बहादुरी की मिशाल पेश कर दी थी. भारत ने 38 आतंकियों और 2 पाकिस्तानी सेना को इस मिशन के दौरान मार गिराया.


पाकिस्तान सर्जिकल स्ट्राइक की बात नकारता रहा लेकिन भारत ने एक के बाद एक कई सबूत दिए जिसमें भारतीय जवानों साहस की पूरी कहानी बंया हो रही थी.


यहां देखें- सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान कब क्या हुआ था