श्रीनगर: श्रीनगर में सर्दियां बढ़ने के बीच जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पांच अगस्त से सेंटूर होटल में बंद 34 राजनीतिक बंदियों को विधायक गेस्ट हाउस भेज दिया है. अधिकारियों ने कहा कि सर्दी की वजह से नेशनल कान्फ्रेंस, पीडीपी और पीपुल्स कान्फ्रेंस नेताओं और जानेमाने सामाजिक कार्यकर्ताओं और उनकी सुरक्षा में लगे जवानों की सेहत पर असर पड़ रहा था.


अधिकारियों ने बताया कि जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को शुक्रवार को जाबेरवान रेंज की पहाड़ियों पर स्थित एक पर्यटक हट से शहर में एक सरकारी स्थान पर भेजा गया. महबूबा मुफ्ती के ट्वीटर हैंडल से दावा किया गया है कि नेताओं को दूसरी जगह भेजे जाने के दौरान पुलिस ने नेताओं के साथ बदसलूकी की. हालांकि पुलिस ने दावों को खारिज किया है.


बता दें कि महबूबा मुफ्ती के हैंडल से उनकी बेटी ट्वीट करती हैं. उन्होंने कहा, ''आज बंदियों को श्रीनगर स्थित MLA हॉस्टल में स्थानांतरित कर दिया गया. पुलिस उनके साथ बदसलूकी की और सज्जाद लोन वहीद पारा, शाह फैसल के साथ उलझे. क्या आप निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं? उन्हें क्यों अपमानित किया जा रहा है? जम्मू और कश्मीर मार्शल लॉ के तहत है और लगता है कि पुलिस सत्ता के प्रति उदासीन है.''





मुफ्ती के ट्वीट के बाद जम्‍मू-कश्‍मीर पुलिस में एसएसपी इम्तियाज हुसैन ने सफाई दी. उन्होंने कहा, ''श्रीनगर में विधायक हॉस्टल में लोगों के साथ बदसलूकी का दावा करते हुए ट्विट किया जा रहा है. यह स्पष्ट है कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है. अनिवार्य सुरक्षा नियमों का पालन किया गया था.''





नेताओं को डल झील के किनारे स्थित होटल में पांच अगस्त को नेताओं को रखा गया था. उसी दिन सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने तथा राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया था. श्रीनगर समेत कश्मीर घाटी में सर्द हवाएं चल रही हैं. इस महीने की शुरूआत में मौसम की पहली बर्फबारी हुई.


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नवनिर्मित केंद्रशासित प्रदेश का प्रशासन शीतकाल के लिए श्रीनगर से जम्मू स्थानांतरित हो गया है. इन राजनीतिक बंदियों में पीपुल्स कान्फ्रेंस के सज्जाद लोन, नेशनल कान्फ्रेंस के अली मोहम्मद सागर, पीडीपी के नईम अख्तर और पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल शामिल हैं.


इस मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि भारतीय पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) के स्वामित्व वाले सेंटूर होटल ने इन लोगों के 100 दिन के आवास और अन्य खर्च का करीब 3 करोड़ रुपये का बिल गृह विभाग को भेजा है.


हालांकि प्रशासन ने सेंटूर होटल के बिल को खारिज करते हुए दलील दी है कि होटल को पांच अगस्त को एक सहायक अस्थाई जेल बनाया गया था और इसलिए सरकारी दरों पर भुगतान किया जाएगा.


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