Royal Charter Honor: अगले 'अलबर्ट आइंस्टीन' माने जाने वाले देव अरस्तु को रॉयल चार्टर सम्मान
Royal Charter Honor: देव अरस्तु पंचरिया एक भारतीय मूल के पॉलीमैथ हैं, जिन्हें विशेष रूप से एक क्रांतिकारी सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी, गणितज्ञ और दार्शनिक के रूप में माना जाता है.
Royal Charter Honor: एक दुर्लभ सम्मान भारत के हिस्से आया है. ये तब हुआ जब किसी भारतीय भौतिक विज्ञानी को रॉयल चार्टर (शाही विशेषाधिकार) मिला है. प्रो देव अरस्तु पंचारिया को एच. एम. द्वारा ग्रेट ब्रिटेन संरक्षक के कला, निर्माण और वाणिज्य के प्रोत्साहन के लिए रॉयल सोसाइटी की ओर से पूर्ण रॉयल चार्टर के लिए चुना गया. इससे पहले यह रॉयल चार्टर कार्ल मार्क्स, बेंजामिन फ्रैंकलिन, नेल्सन मंडेला, स्टीफन हॉकिंग आदि जैसे महान शख्सियतों को दिया गया है. ये भारत के लिए गर्व का क्षण है. यह सम्मान सामाजिक प्रगति और विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है.
देव अरस्तु पंचरिया एक भारतीय मूल के पॉलीमैथ हैं, जिन्हें विशेष रूप से एक क्रांतिकारी सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी, गणितज्ञ और दार्शनिक के रूप में माना जाता है. इन्हें विभिन्न क्षेत्रों के कई प्रमुख अधिकारियों द्वारा अब तक के सबसे महान पॉलीमैथ में से एक के रूप में स्वीकार किया जाता है. उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में कई प्रतिष्ठित पुरस्कार, प्रशंसा और खिताब प्राप्त किए हैं.
वे आईएएसई-डीम्ड विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी और गणित के अध्यक्ष और प्रतिष्ठित प्रोफेसर हैं. वह वरिष्ठ प्रख्यात फेलो सदस्य (एसईएफएम) भी हैं और प्रसिद्ध विद्वान अकादमिक और वैज्ञानिक सोसायटी के फेलो (FSASS) है. उनके पास उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीआईपीपी), भारत के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र संगठन (यूएनओ) के विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) से लगभग 500 कॉपीराइट या बौद्धिक संपदा अधिकार हैं, जिनमें से उनके पास कई मूल के प्रकाशन हैं.
अंतरराष्ट्रीय ख्याति की पत्रिकाओं में शोध भी उनके छापे गए हैं. उन्हें उनकी मूल सोच के कारण 'अगला अल्बर्ट आइंस्टीन' माना जाता है और व्यापक रूप से लीजेंड के रूप में जाना जाता है. हाल ही में उन्हें सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी में उनके योगदान के लिए अमेरिका के बेहतरीन विश्वविद्यालय में से एक द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया है. अब एक और उपलब्धि देव अरस्तू पंचारिया के हिस्से आई है. इससे भारत का गौरव निश्चित रूप से बढ़ा है.