सत्तार के इस्तीफे से हिली महाराष्ट्र की सियासत, फडणवीस बोले- यह पतन की शुरुआत, शिवसेना ने कहा- पूरा सम्मान किया गया
सूत्रों के मुताबिक खबर तो ये भी है कि कांग्रेस भी नहीं चाह रही थी कि अब्दुल सत्तार को कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जाए, क्योंकि उनके कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में शामिल होने से पार्टी नाराज़ भी चल रही थी.
मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल जारी है, शिवसेना-कांग्रेस और एनसपी की सरकार बनने के बाद मंत्री बनाने में 32 दिन लग गए, अभी तीस दिसंबर को उद्धव सरकार की मंत्रिममंडल का विस्तार हुआ था. मंत्रिमंडल विस्तार के पांचवें दिन ही इसे लेकर नाराज़गी सबके सामने आ गयी. शिवसेना कोटे से राज्य मंत्री बने अब्दुल सत्तार ने इस्तीफा दे दिया.
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस से शिवसेना में शामिल हुए अब्दुल सत्तार को मंत्री बनाए जाने से पार्टी में ही विरोध शुरू हो गया था. वहीं इसके पीछे की एक और वजह ये भी बतायी जा रही है कि सत्तार खुद भी कैबिनेट मंत्री की बजाए राज्य मंत्री बनाए जाने से ऩाराज़ चल रहे थे. खबर तो ये भी है कि कांग्रेस भी नहीं चाह रही थी कि अब्दुल सत्तार को कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जाए, क्योंकि उनके कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में शामिल होने से पार्टी नाराज़ भी चल रही थी.
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सत्ता का पूरा सम्मान किया गया है- राउत अब्दुल सत्तार के इस्तीफा देने पर शिवसेना नेता संजय राउत का बयान आया है. संजय राउत ने कहा है कि पार्टी में अब्दुल सत्तार का पूरा सम्मान किया गया है, नाराज़ क्यों है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि अगर कोई मंत्री इस्तीफा देता है तो वह राजभवन या मुख्यमंत्री कार्यालय को देता है. अबतक मुख्यमंत्री कार्यालय या राजभवन से इसके बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आइ है.
सत्तार का इस्तीफा पतन की शुरुआत- फडणवीस अब्दुल सत्तार के इस्तीफे पर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बड़ा बयान आया है. उन्होंने कहा है कि अब्दुल सत्तार का इस्तीफा उद्धव सरकार के पतन की शुरूआत है, इस्तीफा इसलिए हुआ क्योंकि सभी को मलाईदार मंत्रालय चाहिए.उन्होंने कहा कि अब्दुल सत्तार के साथ विश्वासघात हुआ.
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विभाग बंटवारे को लेकर सहयोगियों से परेशान शिवसेना- सूत्र शिवसेना अपने मंत्री के इस्तीफे से तो परेशान है ही, सहयोगी कांग्रेस की कलह ने भी सरकार को राहत की सांस नहीं लेने दी है. कांग्रेस कृषि मंत्रालय जैसा पद चाहती है लेकिन अभी तक बात फाइनल नहीं हो पाई है. नतीजा पांच दिनों से विभाग नहीं बंटा और इधर मंत्रिमंडल का पहला विकेट गिर गया.
अब्दुल सत्तार आखिर हैं कौन? कांग्रेस पार्टी के साथ पूर्व मंत्री रह चुके अब्दुल सत्तार ने साल 2019 में कांग्रेस का दामन छोड़ शिवसेना में शामिल हुए और औरंगाबाद जिले के सिलोद विधानसभा सीट से जीत हासिल की. एक महीने तर महाराष्ट्र सरकार के गठन को लेकर जो उठापटक चल रही थी उसमें शिवसेना की तरफ से अब्दुल सत्तार काफी सक्रिय थे.
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होटलों में रहने के दौरान उस वक्त जहां शिवसेना के विधायक मीडिया के कैमरे से कतराते थे वही अब्दुल सत्तार खुलकर बात करते थे. जिसकी वजह से उन्हें नई पहचान मिली और वो नेशनल चेहरे बन गये. अभी उन्हें भी उद्धव ठाकरे ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है.
सामना संपादकीय विवाद से चर्चा में आए मंत्री बनाए जाने के बाद अब्दुल सत्ता को लेकर शिवसेना का 1994 का एक संपादकीय वायरल हो गया. 1994 के इस संपादकीय में सामना ने अब्दुल सत्तार दाऊद का करीबी बताया था. इसी लिए अब्दुल को मंत्री बनाए जान विरोध हो रहा है.