नई दिल्ली: महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने बुधवार को चार साल पूरे कर लिए. इस मौके पर देवेंद्र फडणवीस ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की. इस इंटरव्यू में फडणवीस ने कहा कि शिवसेना चाहे जो कहे बीजेपी उसके साथ गठबंधन करके रहेगी. बीजेपी गठबंधन का दावा कर रही है लेकिन शिवसेना दूसरे ही राग अलाप रही है. मुखपत्र 'सामना' में शिवसेना प्रमुख उद्धव ने पांचवें साल में धोखा देने की चेतावनी दी है.
फडणवीस ने क्या कहा?
एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए फडणवीस ने कहा, ''मैं यह नहीं कहूंगा कि शिवसेना से मुझे कुछ तकलीफ हुई है. जहां तक सरकार का सवाल है पिछले चार साल में हमने सारे फैसले एकमत से लिए हैं. कुछ मसलों पर हमारे विचार अलग थे, उस पर हमने चर्चा से हल निकाला. इसीलिए चार साल से सरकार ठीक से चल रही है.''
अगले विधानसभा चुनाव में शिवसेना के साथ गठबंधन के सवाल पर फडणवीस ने कहा, ''हम तो यही चाहते हैं, होगा भी. कुछ मिलाकर देखें तो पिछले 25 साल से हम साथ में लड़ रहे हैं, सिर्फ पिछले चुनाव को छोड़ दें तो. कुछ विषयों पर हमारे मतभेद हैं लेकिन हमारी विचारधारा एक है. अभी जो स्थिति है जहां विपक्ष एकजुट हो रहा है, ऐसे में हम अगर अलग अलग लड़ेंगे तो दोनों का नुकसान होगा.''
शिवसेना की ओर से हो रहे लगातार हमलों पर फडणवीस ने कहा, ''शिवसेना का अखबार 'सामना' पहले से ऐसा लिखता रहा है, दूसरी बात है कि इतनी बातचीत के बाद भी राज्य और केंद्र की सरकार ठीक चल रही है. वास्तविकता दोनों पार्टियों को पता है, अपना घर जलाकर कोई मजा नहीं लेता. इसलिए साथ में तो आना ही पड़ेगा.''
पांचवां साल धोखे का!- सामना
देवेंद्र फडणवीस साथ होने का दावा कर रहे हैं लेकिन शिवसेना के तेवरों में कोई कमी नहीं है. शिवसेना ने मुखपत्र 'सामना' में एक बार फिर सीधे मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है. 'सामना' में लिखा, ''इन चार सालों में जनता ने बहुत कुछ सहा और भोगा है, पर मुख्यमंत्री का समय ही सुखमय बीता है. चौथे वर्ष में उन्होंने कहा है कि सरकार ''सामना'' नहीं चला रहा है मैं चला रहा हूं. मुख्यमंत्री 'सामना' की आग से मत खेलो. मोदी की किस्मत से जो कुछ प्राप्त किया है 'सामना' की आग से जलकर खाक हो जाएगा. मुख्यमंत्री को सुबह उठकर 'सामना' पढ़ना ही पड़ता है.''
'सामना' ने आगे लिखा, ''मुख्यमंत्री चौथे साल में मित्रता का राग अलापना शुरू किया है. शिवसेना नाराज नहीं है ऐसा मुख्यमंत्री ने खुद घोषित किया है. हमारे सहारे ही उनकी कुर्सी टिकी है. उस सहारे के लिए ही उनका बयान है. उन्हें पांचवां साल भी बिताना है. अन्य लोगों की कुर्सियों को सहारा देने के लिए शिवसेना का जन्म नहीं हुआ है.''
'सामना' ने लिखा, ''देवेंद्र जी, शिवसेना की नाराजगी की चिंता आप न करें. महाराष्ट्र की जनता नाराज है, उसकी चिंता करें. महाराष्ट्र की जनता नाराज है. उसकी चिंता कीजिए. बाकी 'सामना' है ही. पढ़ते रहिए. 'सामना' पढ़ता हूं, इसे छिपाते रहिए. यही 'सामना' की सफलता है.''
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