Maharashtra CM Vs DCM: महाराष्ट्र में बीते दिनों से चल रहा सियासी भूचाल एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के राज्य के मुख्यमंत्री के शपथ लेते ही भले ही थम गया हो, लेकिन सूबे के पूर्व सीएम रहे देवेंद्र फडणवीस ( Devendra Fadnavis) के दिल में यह दिन हमेशा भूचाल उठाता रहेगा. एक तरह से देखा जाए तो उनके दिल पर यह दिन किसी झटके से कम नहीं. भले ही वो सूबे में बीजेपी (BJP) की सरकार बनने पर बाहरी तौर पर 'अब तो है तुमसे हर खुशी अपनी' का तराना गुनगुना रहे हों, लेकिन इस सियासी संकट के दौरान महाराष्ट्र में बीजेपी की तरफ से मोर्चा संभालने वाले इस शख्स के दिल में ये ख्याल तो आ ही रहा होगा कि ये क्या से क्या हो गया. जिस सूबे में आप सीएम रहे हों वहां अगर आपको डिप्टी सीएम बना दिया जाए तो आपको कैसा लगेगा. गुरुवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस के साथ कुछ ऐसा ही हुआ. पार्टी हाईकमान के आदेश के बाद मन न होने पर भी उन्हें उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेनी पड़ी, लेकिन शपथ ग्रहण समारोह में उनका मायूसी और मुरझाया चेहरा बगैर कुछ कहे ही बहुत कुछ बयां कर रहा था. 


ना-ना कहते रहे, लेकिन संभालना पड़ा डिप्टी सीएम पद


आखिरकार पूर्व सीएम रहे देवेंद्र फडणवीस को सीएम की कुर्सी नहीं मिली, भले ही डिप्टी सीएम की कुर्सी उनके नाम हो गई हो. इससे उनका मलाल जाता नहीं दिखता. उन्होंने सूबे में बीजेपी की सरकार बनने के बाद एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा के साथ कोई पद न लेने की घोषणा की थी और सीएम शिंदे को बाहर से समर्थन देने का वादा किया था. हालांकि उसके कुछ ही घंटों के बाद गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने उनसे बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (Jagat Prakash Nadda) ) के कहने पर डिप्टी सीएम पद संभालने के लिए कहा और उन्होंने सूबे के उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली. सत्ता चीज ही ऐसी है कि इसमें किस्मत कहां पलट जाए कहा नहीं जा सकता है. ऐसा ही महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस के साथ हुआ. अब उनके पद के साथ पूर्व सीएम महाराष्ट्र और मौजूदा डिप्टी सीएम महाराष्ट्र का तमगा जुड़ गया है. 


अपनी मर्जी से कहां अपने सफर के हम हैं
गुरुवार को जब महाराष्ट्र पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की होगी तो शायद उनका दिल अंदर से यही गा रहा होगा बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले. उनके दिल में इस तरह के ख्याल उठना लाजिमी भी है, क्योंकि महाराष्ट्र की इस सियासी जंग के बीच वह बीजेपी का चेहरा रहे और राज्य में बीजेपी की सरकार बनाने के लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की. भले ही बीजेपी ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के बाद उन्हें सीएम का पद नहीं सौंपा. इस पर भी वह दिल थामकर शायद यही सोचकर संतोष कर रहे होंगे कि 'अपनी मर्जी से कहां अपने सफर के हम हैं. है हवाओं का रुख जिधर का, उधर के हम हैं'.


भले ही अपने मुंह से फडणवीस ने शिवसेना के बगावती नेता एकनाथ शिंदे के सीएम होने की घोषणा की हो, लेकिन नई सरकार में शामिल न होने का फरमान सुनाकर कहीं न कही उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर कर दी थी. उन्होंने भले ही बीजेपी के दबाव में आकर ही सही सीएम एकनाथ शिंदे की सरकार में डिप्टी सीएम का पद संभाल लिया हो, लेकिन अंदर से उनका दिल, हम से क्या भूल हुई का तराना जरूर गा रहा होगा. गौरतलब है कि देवेंद्र फडणवीस राज्य में बीजेपी की कद्दावार नेता रहे हैं. राज्य में दो बार का उनका कार्यकाल भी काफी शानदार रहा है. इस सूबे के ऐसे दूसरे मुख्यमंत्री होने का गौरव भी उनके नाम है, जिन्होंने अपने कार्यकाल के पांच साल इस राज्य में पूरे किए. वो 31अक्टूबर से 12 नवंबर 2019 तक इस राज्य के सीएम रहे. इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसंतराव नाईक रहे हैं, जिन्होंने लगातार 11 सालों तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पद संभाला था. साल 23 नवंबर 2019 को अजीत पवार की एनसीपी के सहयोग से दोबारा से सीएम का पद हासिल किया, लेकिन उनकी ये सरकार कुछ ही दिनों में गिर गई. 


साल 2014 में दिखा था फडणवीस का दम


गौरतलब है कि साल वह 2014 के चुनावों में देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा चुनावों की कमान अपने कंधों पर अकेले उठाई थी. इस दौरान उन्होंने महाजनादेश यात्रा के तहत राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से 150 सीटों को कवर किया था. यह यात्रा 4,384 किलोमीटर लंबी थी. इन चुनावों में उन्होंने 65 चुनावी सभाओं को संबोधित किया था. उस वक्त महाजनादेश यात्रा ने राज्य में ऐसा माहौल बनाया कि चुनाव की घोषणा के बाद भी बीजेपी को यहां चुनाव अभियान चलाने की जरूरत नहीं पड़ी थी. इस चुनाव के साथ ही उनका कद न केवल राज्य में बल्कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व में भी बढ़ गया था. इस वक्त भी शिवसेना के साथ गठबंधन के लिए भी फडणवीस तारीफ के काबिल थे. मुख्यमंत्री के तौर पर फडणवीस का कार्यकाल कभी आसान नहीं रहा. मराठा आंदोलन और अपने सहयोगी शिवसेना के साथ मतभेदों के बाद भी उन्हें हवा का रूख अपनी तरफ मोड़ने का हुनर आता था, लेकिन इस बार उनके साथ ऐसा नहीं हो पाया. मराठा आंदोलन को बीजेपी के पक्ष में लाने का श्रेय उन्हें ही जाता है. 


मोदी की रहे हैं पसंद  
साल 2014 में मुंडे की मौत के बाद पीएम नरेंद्र मोदी के उदय ने भी पार्टी में फडणवीस को आगे बढ़ाया. उन्होंने बीजेपी के महाराष्ट्र अध्यक्ष के तौर पर मोदी-शाह शासन का विश्वास जीत लिया था. वो अपने कार्यकाल के दौरान सीएम के रूप में पीएम मोदी के सांचे में फिट बैठते थे. 


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