Devendra Fadnavis: महाराष्ट्र में बड़े राजनीतिक उलटफेर के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने अचानक से एक बड़ी घोषणा कर सभी को हैरत में डाल दिया. देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एलान किया कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेंगे. उन्होंने कहा कि वह सरकार से बाहर रहेंगे. देवेंद्र फडणवीस के इस एलान के बाद सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई, क्योंकि अभी तक ये माना जा रहा था कि उद्धव ठाकरे के इस्तीफा देने के बाद देवेंद्र फडणवीस ही महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. देवेंद्र फडणवीस के इस एलान ने महाराष्ट्र की सियासत में एक नया मोड़ ला दिया.  


51 साल के देवेंद्र फडणवीस को राजनीति विरासत में मिली थी, लेकिन बावजूद इसके उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई. अब तक महाराष्ट्र की राजनीति का सबसे बड़ा चाणक्य शरद पवार को माना जाता रहा है. लेकिन देवेंद्र फडणवीस ने राजनीति की शतरंज में ऐसी बिसात बिछाई की एक साथ तीन-तीन पार्टियां धराशायी हो गईं. आइए आपको महाराष्ट्र के इस नए चाणक्य के बारे में बताते हैं, जिसकी चाल में महा विकास अघाड़ी गठबंधन बुरी तरह फंस कर रह गया. वहीं हिदुत्व का दम भरने वाली शिवसेना आज टूट की कगार पर पहुंच गई है. 


विरासत में मिली सियासत


देवेंद्र फडणवीस का जन्म का जन्म 22 जुलाई 1970 को नागपुर के ब्राह्मण परिवार में हुआ था. देवेंद्र फडणवीस को राजनीति विरासत में मिली थी. उनके पिता गंगाधर राव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जनसंघ में रहे हैं. उनके पिता राज्य विधान परिषद के सदस्य भी रहे थे, लेकिन जब देवेंद्र फडणवीस जब 16 साल के थे तो उनके पिता का निधन हो गया था. देवेंद्र फडणवीस ने पिता के निधन के बाद कानून की पढ़ाई में डिग्री हासिल की. इसके साथ उन्होंने बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई भी पूरी की. 


देवेंद्र फडणवीस कॉलेज के दिनों से ही एबीवीपी के साथ जुड़ गए थे. इस दौरान उन्होंने कई राजनेताओं के लिए काम भी किया. जिसका उन्हें खूब फायदा मिला. बेहतर राजनीतिक समझ और नेताओं से उनकी दोस्ती के चलते महज 22 साल की उम्र में उन्होंने कॉर्पोरेटर का चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की. इसके बाद देवेंद्र फडणवीस ने कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा. महज 27 साल की उम्र में वह नागपुर के सबसे युवा मेयर चुने गए. देवेंद्र फडणवीस की कार्य कुशलता और राजनीति को लेकर उनकी समझ की बदौलत ही पार्टी ने उन्हें साल 1999 के विधानसभा चुनावों में उन्हें नागपुर वेस्ट से उम्मीदवार के रूप में उतारा. 


2004 के विधानसभा चुनाव से बदली किस्मत


देवेंद्र फडणवीस को असल मायने में राजनीतिक पहचान 2004 के विधानसभा चुनाव से मिली, जिसमें उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता रंजीत देशमुख को 17 हजार से अधिक वोटों से मात दी. चुनाव से पहले माना जा रहा था कि ये देवेंद्र फडणवीस के राजनीतिक करियर का आखिरी चुनाव साबित हो सकता है. लेकिन उनकी जीत ने देवेंद्र फडणवीस के लिए राजनीति के नए आयाम खोल दिए. वह जल्द ही महाराष्ट्र की सियासत के दिग्गज एकनाथ खड़से के नजदीकी बन गए. 


साल 2014 में जिस समय केंद्र में मोदी सरकार का गठन हुआ. देवेंद्र फडणवीस को अपनी साफ सुथरी छवि के चलते 2014 में उन्हें महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया गया. 2019 में उन्हें एक बार फिर से महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन महज चार दिनों के भीतर उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. उन्होंने साफ कर दिया था कि वो हारने वालों में से नहीं हैं. वह आज अपनी राजनीतिक चालों से विरोधियों को लगातार मात दे रहे हैं. देवेंद्र फडणवीस ने अपनी कूटनीतिक चालों से शरद पवार जैसे दिग्गज को मात देकर साबिक कर दिया है कि महाराष्ट्र की सियासत में उनके सामने अब शायद ही कोई टिक पाए.


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