DGCA On Airlines's Technical Snags: पिछले कुछ वक्त से कई विमानों की इमरजेंसी लैंडिंग के मामले सामने आए, यहां तक कि भारतीय विमानों को तकनीकी खराबी के बाद पाकिस्तान में भी लैंड करवाना पड़ा. अब इसका कारण सामने आया है. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय डीजीसीए (Directorate General Of Civil Aviation -DGCA) का कहना है कि कोविड लॉकडाउन की वजह से विमानों में तकनीकी खराबी आने के मामले बढ़े हैं. डीजीसीए चीफ अरुण कुमार (Arun Kumar) ने बताया कि भारतीय एयरलाइंस ( Indian Airlines) में आ रही तकनीकी खराबियों की बढ़ती संख्या का कारण कोविड लॉकडाउन और इस दौरान उड़ानों का घटा हुआ संचालन हो सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि विमानन सुरक्षा नियामक (Aviation Safety Regulator) इस तरह की घटनाओं को कम करने के लिए अपनी निगरानी बढ़ा रहा है.


विमानों में तकनीकी खराबी और कोविड लॉकडाउन


एक इंटरव्यू में डीजीसीए चीफ अरुण कुमार ने बताया, “तकनीकी खराबी की बढ़ती संख्या का कारण कोविड से संबंधित लगता है, जिसने लॉकडाउन (Lockdown) और उड़ानों में कटौती की वजह से एयरलाइन संचालन पर असर डाला है. इसके अलावा, कोविड (Lockdown) के बाद मैनपावर में कमी आना भी एक जगजाहिर समस्या है और ये केवल एक एयरलाइंस और एक देश की ही समस्या नहीं है. 


क्या कहते हैं डीजीसीए चीफ


डीजीसीए से मिले आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, बीते एक साल में भारत की एयरलाइंस में 460 से अधिक तकनीकी खराबी की शिकायतें मिली हैं. पिछले हफ्ते ही डीजीसीए ने कमर्शियल एयरलाइंस के विभिन्न विमानों (Aircrafts) में इंजीनियरिंग से जुड़ी खराबी की घटनाओं के लिए एक खास ऑडिट का आदेश दिया था. अपनी इस जांच में विमानन सुरक्षा नियामक विमानों के संचालन को रोके जाने की वजहों में मैनपावर के न होने, सुविधाओं और उपकरणों के अलावा पुर्जों की अनुपलब्धता को आधार बनाएगा. डीजीसीए चीफ कुमार का कहना है कि कई तकनीकी गड़बड़ियां रोजमर्रा वाली हैं यानी जो होती ही हैं. उन्होंने कहा कि इनसे निपटने के लिए फ्लाइट क्रू को सतर्क और इस तरह की परिस्थितियों के पैदा होने पर उसके मुताबिक सटीक जवाबी कार्रवाई के काबिल होना जरूरी है.


उन्होंने आगे कहा कि, यदि फ्लाइट क्रू मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन करते हैं, तो बगैर सुरक्षा से समझौता किए उड़ानों का संचालन कर सकते हैं. डीजीसीए चीफ का कहना है कि इसका मतलब ये है कि अगर उड़ान से पहले ही जमीन पर विमानों में खराबी के लक्षणों पर ध्यान दिया और विमान के हवा में होने पर चेकलिस्ट की कार्रवाई यानी खराबी की वजहों को सही तरीके पकड़ लिया जाए तो जरूरत के मुताबिक जरूरी होने पर एहतियाती या आपातकालीन लैंडिंग आसानी से की जा सकती है. उन्होंने कहा, "मुझे अपने पायलटों की तारीफ करनी चाहिए, जिन्होंने बेहतरीन कौशल दिखाते हुए विश्वास के साथ विमानों में आई इन खराबियों को बगैर सुरक्षा से समझौता किए सुलझाया है." 


तकनीकी खराबी से जूझ रहीं एयरलाइन कंपनियां


डीजीसीए की हाल ही में की गई एक जांच में पाया गया है कि एयरलाइंस विमान में रिपोर्ट की गई खराबियों के कारणों की पहचान गलत तरीके से कर रही हैं. इसके साथ ही यह भी पाया गया कि एयरलाइंस हवाई अड्डों पर योग्य इंजीनियरों को नहीं रख रही हैं. बीते कुछ महीनों में भारतीय विमान इंजन में खराबी और केबिन में जलने की गंध जैसी तकनीकी खराबी से जूझ रहे हैं. पिछले हफ्ते, दुबई से कोच्चि के लिए उड़ान भरते समय लगभग 260 लोगों के साथ एयर इंडिया (Air India) के बोइंग 787 ( Boeing 787) विमान को केबिन डिप्रेसुराइज़ेशन (Depressurisation) का यानी हवा का दबाव कम होने का सामना करना पड़ा. इसमें यात्रियों को ऑक्सीजन मास्क लगाने पड़े और कुछ यात्रियों को नाक से खून बहने लगा.


इस महीने की शुरुआत में ही शारजाह (Sharjah) से हैदराबाद (Hyderabad) जा रहे इंडिगो (IndiGo)के एयरबस ए 320 नियो (Airbus A320Neo) विमान के राइट इंजन में खराबी आई थी. तब इस विमान के पायलटों ने इसे पाकिस्तान (Pakistan) में कराची (Karachi) की तरफ मोड़ दिया था. इस घटना से पहले, कोझीकोड (Kozhikode) से दुबई (Dubai) जाने वाले एयर इंडिया एक्सप्रेस ( Air India Express) के विमान बोइंग 737-800 विमान की फॉरवर्ड गैली में से जलने की गंध के बाद ओमान(Oman) में मस्कट (Muscat) की ओर मोड़ दिया गया था. कम लागत वाली एयरलाइन स्पाइसजेट (SpiceJet) ने मई-जून के दौरान एक महीने से भी कम समय में कम से कम इस तरह की आठ घटनाएं हुई हैं, जिसके बाद नियामक ने एयरलाइन को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा कि यह एयरलाइंस सुरक्षित, कुशल और विश्वसनीय हवाई सेवाएं देने में "विफल" रही है.


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