कोलकाता: पश्चिम बंगाल में बीजेपी बनाम ममता बनर्जी की जंग बेहद तेज हो गई है. अब बात सिर्फ विरोध प्रदर्शनों तक ही सीमित नहीं रही बल्कि इसमें आपराधिक साजिश की भी एंट्री हो गई है. सबसे ताजा वाकया है बेलियाघाट में एक क्लब में बम विस्फोट का, जिसमें कोई इंसान तो घायल नहीं हुआ लेकिन मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच चल रही लड़ाई कुछ ज्यादा बिगड़ गई.


बेलियाघाट में बम धमाके की घटना ने सबका ध्यान पश्चिम बंगाल में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर ला दिया है. पश्चिम बंगाल के गवर्नर ने पहले चिट्ठी और फिर ट्वीट करके सरकार का ध्यान खींचने की कोशिश की तो राजनीति शुरू हो गई.


पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ट्वीट में लिखा, "मैं गैरकानूनी बम बनाने, अपराधियों द्वारा हिंसा के मुद्दे उठाता रहा हूं, इसी इंतजार में मनीष शुक्ला की हत्या हो गई और अब कोलकाता के बेलियाघाट में क्लब में बम विस्फोट की घटना सामने आयी है. हाल की घटनाएं राज्य में लोकतंत्र के लिए सबसे दुर्भाग्यपूर्ण तमाशे को दर्शाती हैं. सरकार को नागरिकों के अधिकारों का रक्षक माना जाता है लेकिन वह खुद सिद्धांतों का उल्लंघन कर नागरिकों को प्रताड़ित कर रही है."


मानवाधिकार आयोग का खटखटाया दरवाजा
धनकड़ ने मानवाधिकारों के उल्लंघन की बात भी कही. इसी क्रम में बीजेपी के नेता और राज्यसभा सांसद स्वपन दासगुप्ता ने मानवाधिकार आयोग का दरवाजा भी खटखटाया.


स्वपन दासगुप्ता ने कहा, 'हमने मानवाधिकार आयोग से दखल देने की मांग की है जिस तरह पिछले दिनों में कोलकाता और हावड़ा में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस का बार्ताव रहा उसका और जिस तरह के केमिकल का इस्तेमाल वाटर कैनन में किया गया उसका सारा ब्यौरा दिया है. हम चाहते हैं कि मानवाधिकार आयोग की एक टीम इस मामले की तहकीकात करे और कार्रवाई करे.'


पश्चिम बंगाल में बिगड़ती कानून व्यवस्था और राजनीतिक हत्याओं के खिलाफ राज्य के गवर्नर के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तनातनी चल रही है. इसी क्रम में उन्होंने मुख्यमंत्री को फिर चार पन्ने का पत्र भी भेजा है, जिसमें राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था और हिंसा की घटनाओं पर उन्होंने गंभीर सवाल उठाए हैं. राज्यपाल ने इस पत्र को ट्विटर पर भी डाला है.


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