धनतेरस से दिवाली के पर्व का आगाज हो जाता है. धनतेरस को कई नामों से पुकारा जाता है जैसे धनत्रयोदशी, धन्वंतरि त्रयोदशी या धन्वंतरि जयंती. प्राचीन कथाओं के अनुसार क्षीर सागर के मंथन के दौरान धनतेरस के दिन ही देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर प्रकट हुए थे. यह भी मान्यता है कि इस दिन आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था. इसी कारण धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंति की पूजा-अर्चना की जाती है. इसी दिन रात के समय यम दीपक भी जलाया जाता है. दरअसल धनतेरस के पर्व पर मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा का विधान है.धनतेरस के त्यौहार पर सोने-चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदने की परंपरा है. कहा जाता है इस दिन इन्हे खरीदना शुभ होता है.


कब है धनतेरस


प्रत्येक वर्ष दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की तेरस यानी कि 13वें दिन धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस साल धनतेरस  की तिथि को लेकर लोग असमंजस की स्थिति में है कि धनतेरस की खरीदारी और पूजा 12 नवंबर को करें या 13 नवंबर को करना शुभ है. लेकिन ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस साल धनतेरस का पर्व गुरुवार यानी 12 नवंबर और शुक्रवार 13 नवंबर यानी दो दिन है. लेकिन त्रयोदशी तिथि यानी धनतेरस गुरुवार को रात 9 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी. इसलिए गुरुवार के दिन धनतेरस की पूजा नहीं की जा सकती है. 13 नवंबर शुक्रवार को शाम 5 बजकर 59 मिनट तक त्रयोदशी है. प्रदोष काल होने के कारण धनतेरस की पूजा 13 नवंबर को ही करना शुभ है.


धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त व तिथि


त्रयोदशी तिथि- 12 नवंबर 2020 को रात के 9 बजकर 30 मिनट से प्रारंभ और 13 नवंबर 2020 को शाम 5 बजकर 59 मिनट पर समाप्त.


इस साल धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त -13 नवंबर 2020 को शाम 5 बजकर 28 मिनट से प्रारंभ होकर 5 बजकर 59 मिनट तक का है. यानी पूजा का कुल समय सिर्फ  30 मिनट का है.


 प्रदोष काल- 13 नवंबर 2020 को शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 8 बजकर 7 मिनट तक


वृषभ काल- 13 नवंबर 2020 को शाम 5 बजकर 32 मिनट से रात 7 बजकर 28 मिनट तक रहेगा.


कैसे करें धनतेरस की पूजा


धनतेरस के पर्व पर माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर, आरोग्य के देवता व आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि और यमराज की पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान धन्वंतरि की पूजा धनतेरस के दिन करने से आरोग्य और दीर्घायु प्राप्त होती है. इस दिन भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा की विधि विधान से पूजा की जानी चाहिए. धूप और दीपक से आरती कर फूल अर्पित करने चाहिए और पूरी श्रद्धा व भक्ति भाव के साथ अराधना करनी चाहिए.


यमराज की पूजा कैसे करें


धनतेरस के पर्व पर यमराज की पूजा भी की जाती है. यमराज मृतुय के देवता हैं. इस दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर अनाज के ढेर पर मिट्टी का बड़ा दीपक रखकर जलाया जाता है. ध्यान रहे कि दीपक का मुंह दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए. इसे यम दीपम या यम दीपक कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन मुख्य दरवाजे के दोनों ओर दीपक जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं और उस परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से रक्षा करते हैं.


भगवान कुबेर की करें पूजा


धनतेरस के दिन भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है. भगवान कुबेर को धन का देवता कहा जाता है. मान्यता है कि भगवान कुबेर की पूजा पूरे श्रद्धा-भाव के साथ करने से भक्तों के घर में सुख समृद्धि का वास होता है. भगवान कुबेर की पूजा करने के लिए उनकी प्रतिमा या फोटो को धूप-दीपक दिखाकर फूल अर्पित करें ओर हाथ जोड़कर सच्चे मन से प्रार्थना करें.


मां लक्ष्मी की पूजा करें


धनतेरस के पर्व पर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस दिन माता लक्ष्मी के छोटे-छोटे पद चिन्हों को पूरे घर में स्थापित करना काफी शुभ माना जाता है.


धनतेरस के दिन भूलकर भी न खरीदें ये चीजें


धनतेरस के पर्व पर सोने-चांदी,पीतल और बर्तन खरीदना काफी शुभ माना जाता है. इस दिन झाड़ू भी खरीदी जाती है. कहा जाता है धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदकर लाने से घर की नकारात्मक उर्जा दूर हो जाती है. लेकिन धनतेरस के पर्व पर कभी भी प्लास्टिक और कांच के बर्तन नहीं खरीदनें चाहिए. इसके साथ ही धनतेरस के दिन चाकू, कैंची या हथियार नहीं खरीदने चाहिए. धनतेरस का दिन काफी शुभ माना जाता है इस कारण इस दिन घर में काले रंग की वस्तुओं को लाने से परहेज करना चाहिए. दरअसल काला रंग दुर्भाग्य का प्रतीक माना जाता है. वहीं लोहे से बनी चीजों की खरीदारी भी धनतेरस के दिन नहीं करनी चाहिए.


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