Delhi Police To SC in Dharma Sansad Case: दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने राजधानी में हुए हिंदू युवा वाहिनी (Hindu Yuva Vahini) के कार्यक्रम को लेकर एफआईआर (FIR) दर्ज की है. इससे पहले दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने कोर्ट को बताया था कि 19 दिसंबर को हुए कार्यक्रम में नफरत फैलाने वाली कोई बात नहीं कही गई थी. 22 अप्रैल को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस जवाब के लिए पुलिस को आड़े-हाथों लिया था. कोर्ट ने पूछा था कि यह इलाके के डीसीपी का स्टैंड है या प्राथमिक जांच करने वाले सब-इंस्पेक्टर का? 


नफरत फैलाने की धाराओं में FIR दर्ज


सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के रुख को भांपते हुए दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने बेहतर हलफनामा दाखिल करने की अनुमति मांगी थी. अब उसने एफआईआर दर्ज करने की जानकारी दी है. नए हलफनामे में पुलिस ने बताया है कि यह एफआईआर 4 मई को दर्ज हुई है. इसे आईपीसी की धारा 153A (धार्मिक आधार पर नफरत फैलाना), 295A (धार्मिक मान्यताओं का अपमान कर भावनाएं भड़काना) और 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली बातें कहना) के तहत दर्ज किया गया है. मामले में आगे की जांच की जा रही है.


क्या है मामला?


12 जनवरी को कोर्ट ने हरिद्वार और दिल्ली में हुए धर्म संसद में दिए गए भड़काऊ भाषणों के मामले पर नोटिस जारी किया था. यह नोटिस पत्रकार कुर्बान अली की याचिका पर जारी हुआ था. याचिकाकर्ता ने 17 दिसंबर को हरिद्वार में हुई धर्म संसद और 19 दिसंबर को दिल्ली में हुए एक और कार्यक्रम की जानकारी दी थी. यह बताया था कि दोनों कार्यक्रमों में जिस तरह के भाषण दिए गए, वह आईपीसी की कई धाराओं के खिलाफ थे. इनमें वक्ताओं ने खुलकर मुस्लिम समुदाय के संहार की बातें कहीं. लेकिन पुलिस ने अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है. मामले में सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद उत्तराखंड पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए यति नरसिंहानंद समेत कई लोगों की गिरफ्तारी की थी.


दिल्ली पुलिस का पिछला जवाब


14 अप्रैल को दक्षिणी दिल्ली की डीसीपी ईशा पांडे की तरफ से दाखिल हलफनामे में कहा गया था कि हिंदू युवा वाहिनी की तरफ से 19 दिसंबर को आयोजित कार्यक्रम के पूरे वीडियो की बारीकी से जांच की गई. उसमें ऐसा कहीं नहीं मिला कि किसी समुदाय के संहार की बात कही गई हो या उसे भारत में अवैध रूप से रहने वाला, हिंदुओं पर जुल्म करने वाला कहा गया हो दिल्ली पुलिस ने आगे कहा था कि अगर किसी समुदाय के लोग अपने हितों की बात करने के लिए कार्यक्रम करते हैं, तो इसमें कानूनन कुछ गलत नहीं. 


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याचिकाकर्ता ने जताया था विरोध 


याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस जवाब का विरोध किया. उन्होंने कहा कि उस कार्यक्रम में लोगों को मारने की बात कही गई. इस पर जस्टिस ए एम खानविलकर और अभय एस ओका की बेंच ने पूछा कि जांच का जो निष्कर्ष पुलिस के हलफनामे में लिखा गया है, वह निष्कर्ष क्या वाकई डीसीपी का है? जजों ने कहा कि अगर ऐसा है तो उन्हें पुलिस कमिश्नर से पूछना पड़ेगा कि उनका क्या विचार है. दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसीटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि वह मामले में उच्च अधिकारियों से निर्देश लेकर नया हलफनामा दाखिल करेंगे. कोर्ट ने इसकी अनुमति देते हुए 9 मई को अगली सुनवाई की बात कही थी.


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