Congress On DHFL Scam: कांग्रेस ने शनिवार को भाजपा (BJP) पर धोखाधड़ी से प्रभावित डीएचएफएल (DHFL) के प्रमोटरों और संबंधित कंपनियों से करोड़ों रुपये का दान स्वीकार करने का आरोप लगाया और कई सवाल पूछे. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinate) ने आरोप लगाया कि DHFL के खातों की जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई थी. मार्च 2021 में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) मामले में सीबीआई (CBI) ने DHFL को आरोपी बनाया, लेकिन ये घोटाला पीएम आवास योजना के ऑडिट में नहीं, यस बैंक मामले की जांच में सामने आया. 


उन्होंने कहा कि बीजेपी लगातार DHFL से चंदा ले रही थी. बीजेपी ने DHFL और इसके प्रमोटरों से जुड़ी कंपनियों से 28 करोड़ रुपये का चंदा लिया. क्या ये एक हाथ से ले दूसरे हाथ से दे का मामला है? बीजेपी ने 28 करोड़ रुपये का चंदा क्यों लिया? क्या यह रिश्वत थी? पीएम आवास योजना में एक कंपनी DHFL ने ही हजारों करोड़ का चूना लगाया, लेकिन पीएम आवास योजना की ऑडिट में इसका खुलासा क्यों नहीं हुआ? कांग्रेस ने कहा कि DHFL ने17 बैंकों से ₹34,615 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी की, लेकिन चिंता की बात ये है कि इस बड़े पैमाने पर हुई धोखाधड़ी का सीधा संबंध और जड़ें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी हुई हैं.


कांग्रेस का आरोप- पीएम की नाक के नीचे हुई धोखाधड़ी


कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी बैंकिंग धोखाधड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाक के नीचे हुई. बैंक धोखाधड़ी को नियंत्रित करने और दोषियों को सजा दिलाने के लिए सरकार क्या कर रही है? नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, विजय माल्या जैसे लोगों के खिलाफ धन की वसूली और मामलों के बारे में क्या अपडेट है, ये सभी मोदी सरकार की निगरानी में देश छोड़कर भाग गए हैं. सीबीआई ने अनिल अंबानी नियंत्रित रिलायंस कम्युनिकेशन के खिलाफ एसबीआई की मार्च 2021 की धोखाधड़ी की शिकायत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की.


कांग्रेस प्रवक्ता ने धोखाधड़ी की समयरेखा भी बताई- 



  • 2010-2018: यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, कंसोर्टियम के प्रमुख बैंक ने आरोप लगाया है कि डीएचएफएल ने 2010 और 2018 के बीच 17 बैंकों के कंसोर्टियम से 42,871 करोड़ रुपये का ऋण लिया, और 2019 से डिफॉल्ट शुरू हो गया.

  • 2015-2019: 1 अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2019 की अवधि के दौरान का विशेष समीक्षा ऑडिट इस बात की पुष्टि करता है कि डीएचएफएल ने बड़े पैमाने पर घोटाला और धोखाधड़ी करके जनता के पैसे का उपयोग कपिल और दिनेश वधावन के लिए निजी संपत्ति बनाने के लिए किया.

  • मार्च 2021: सीबीआई ने प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) में घोटाले के लिए कपिल और दिनेश वधावन के खिलाफ केस दर्ज किया, जहां एक फर्जी ‘बांद्रा शाखा’ में 14,046 करोड़ रुपये की राशि के 2.60 लाख फर्जी होम लोन खाते बनाए गए थे. 


सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना के लॉन्च से दिसंबर 2018 तक, DHFL ने योजना के तहत 88,651 होम लोन खातों को पारित किया और भारत सरकार से ब्याज सब्सिडी के रूप में 1,887 करोड़ रुपये का लाभ भी ऐंठा. चौंकाने वाली बात ये है कि PMAY में यह घोटाला 2020 में यस बैंक घोटाले की जांच के दौरान सामनेआया था न कि PMAY के 3 साल के ऑडिट में.


घोटाले में लिप्त DHFL से भाजपा ने लिया चंदा 


सुप्रिया ने कहा कि डीएचएफएल पर भारत की सबसे बड़ी बैंकिंग धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है, लेकिन भाजपा ने इस कम्पनी के दागदार मालिकों और सम्बंधित कंपनियों से करोड़ रुपये की डोनेशन लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी. RKW डेवलपर्स लिमिटेड (डीएचएफएल के मालिकों के स्वामित्व की एक कम्पनी) से 10 करोड़ रुपये, वधावन ग्लोबल कैपिटल लिमिटेड से 10 करोड़ और वधावन परिवार के नियंत्रण वाले दर्शन डेवलपर्स से 7.5 करोड़ रुपये लिए. 


क्या यह राशि एक बड़ी रिश्वत थी?


उन्होंने पूछा कि क्या यह राशि एक बड़ी रिश्वत थी, इन संदिग्ध लोगों को धोखाधड़ी करने देने के लिए? पीएमएवाई (PMAY) के ऑडिट में डीएचएफएल घोटाले (DHFL Scam) का पता कैसे नहीं चला और यस बैंक (Yes Bank) की जांच में ही इसका खुलासा क्यों हुआ? प्राथमिकी में कहा गया है कि डीएचएफएल ने कागज पर एक फर्जी बैंक शाखा बना. यह आरबीआई, सेबी, एनएचबी (नेशनल हाउसिंग बोर्ड आदि) जैसे संस्थानों की भूमिका पर महत्वपूर्ण सवाल उठाता है. क्या न्यू इंडिया में संस्थाएं इस तरह अनजान रहेंगी? 


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