क्या अजीत पवार के सारे गुनाह माफ? बन सकते हैं उपमुख्यमंत्री!
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की बतौर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के पहले जो सियासी ड्रामा चला उसमें एक अहम किरदार अजित पवार का था.
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मुंबई: क्या एनसीपी ने अपने नेता अजित पवार के सारे गुनाहों को माफ कर दिया है? महाराष्ट्र में करीब महीने भर तक चले सियासी ड्रामे में अजीत पवार सबसे बड़े विलेन बनकर उभरे थे. जब उन्होंने गुपचुप देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. जल्द ही महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है. जिसमें अजित पवार भी मंत्री पद की शपथ लेंगे. शिवसेना के नेता संजय राउत ने भी हाल ही में ऐसा बयान दिया कि वे उपमुख्यमंत्री बनाए जाएंगे.
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की बतौर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के पहले जो सियासी ड्रामा चला उसमें एक अहम किरदार अजित पवार का था. जिन्होंने 23 नवंबर की सुबह बिना पार्टी के प्रमुख शरद पवार की मंजूरी के विधायकों के दस्तखत वाला पत्र देवेंद्र फडणवीस को सौंप दिया. उसके बाद जहां देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो वही अजित पवार उप मुख्यमंत्री बन गए. इसके बाद एनसीपी में अजित पवार के खिलाफ काफी नाराजगी जताई गई और इसे अजित पवार की पार्टी के खिलाफ बगावत माना गया.
हालांकि शरद पवार ने उसी दिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर यह स्पष्ट कर दिया कि एनसीपी अजित पवार के साथ नहीं है और अजित पवार ने गलत ढंग से विधायकों के दस्तखत वाली चिट्ठी का इस्तेमाल करते हुए सरकार बनाई है लेकिन अजित पवार के प्रति उनका नरम रवैया साफ नजर आ रहा था. उसी दिन एनसीपी विधायकों की जो बैठक बुलाई गई उसमें अजित पवार के खिलाफ सजा का कोई ऐलान नहीं किया गया, उल्टे एक प्रस्ताव पारित करके अजित पवार के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार शरद पवार को दे दिया गया. इसके अलावा अजित पवार को मनाने के लिए उनके पास तीन नेताओं को भेजा गया.
इसके बाद 26 नवंबर को जब अजित पवार ने देखा कि उनके समर्थन में एनसीपी का कोई विधायक नहीं आ रहा तो उन्होंने उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और फडणवीस सरकार गिर गई. उसी शाम वे अपने भाई से मिलने शरद पवार के पास चले गए. पार्टी ने फिर एक बार उन्हें अपना लिया. 28 नवंबर को उद्धव ठाकरे ने जब शिवाजी पार्क में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो उनके साथ शपथ लेने वाले जो बाकी के 6 मंत्री थे उनमें से दो एनसीपी के भी थे, लेकिन मंच पर मौजूद होने के बावजूद उन दोनों मंत्रियों में अजित पवार का नाम नहीं था. ऐसा लगा कि शायद अजित पवार को उनके किए की सजा के तौर पर मंत्रिमंडल से अलग रखा जाएगा.
इस बीच नागपुर की एक अदालत में अजित पवार के खिलाफ सिंचाई घोटाले की जांच करने वाली एंटी करप्शन ब्यूरो ने एक हलफनामा दायर किया. इस हलफनामे में ब्यूरो ने अजित पवार को क्लीन चिट दे दी और घोटाले का सारा ठीकरा सरकारी अधिकारियों पर फोड़ दिया. अजित पवार के लिए ये बहुत बड़ी राहत वाली बात थी क्योंकि विरोधी पार्टियां इसी घोटाले को लेकर उन पर निशाना साध रही थी. सबसे दिलचस्प प्रतिक्रिया देवेंद्र फडणवीस की आई जो पवार को इस तरह से क्लीनचिट दिए जाने का विरोध कर रहे थे और उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो इसके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया जाएगा. ये वही देवेंद्र फडणवीस थे जिन्होंने कि 23 नवंबर को इन्हीं अजीत पवार के साथ मिलकर राजभवन में शपथ ली थी. नागपुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए शिवसेना नेता संजय राउत ने बताया कि अजित पवार सरकार में उपमुख्यमंत्री होंगे, हालांकि , एनसीपी ने इसकी अब तक आधिकारिक घोषणा नहीं की है. मंगलवार को शिव सेना के 13, एनसीपी के 13 और कांग्रेस के 10 मंत्री शपथ लेंगे.
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