(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
क्या वाकई ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई? 'कागज के खेल' में जान की कीमत भूल गईं सरकारें
राज्यसभा में सरकार से सवाल पूछा गया था कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से कितने मरीजों की मौत हुई ? जिस पर सरकार ने जवाब दिया कि ऑक्सीजन की वजह से एक भी मौत नहीं हुई.
नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर जब अपने पीक पर थी तब आपने मरीजों की सिसकियां लेती दर्दनाक तस्वीरें देखी होंगी. कई लोगों ने सिर्फ इस वजह से दम तोड़ दिया, क्योंकि समय रहते उन्हें मेडिकल ऑक्सीजन नहीं मिली. लेकिन केंद्र सरकार ने राज्यसभा में दिए लिखित जवाब में कहा है कि ऑक्सीजन की वजह से किसी की जान ही नहीं गई. ये दावा केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से मिले आंकड़ों के हवाले से किया है.
ऑक्सीजन, ऑक्सीजन और सिर्फ ऑक्सीजन...मंगलवार को जब राज्यसभा में सांसदों ने संक्रमण पर चर्चा शुरू की तो सदन में सिर्फ एक ही शब्द सुनाई दिया. जिस दर्द को पूरे देश ने झेला, वो मंगलवार को सांसदों को भी झकझोर गया.
गंगा में बहती लाशों का जिक्र करते हुए, चर्चा मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुरू की और आखिर में बात उखड़ती, टूटती सांसों तक जा पहुंची. खड़गे के निशाने पर भले ही सरकार रही हो लेकिन सच यही है कि कई लोगों की सांसे ऑक्सीजन की कमी से छिन गईं. लेकिन हद तो तब हो गई, जब सरकार ने ऐसा मानने से इनकार कर दिया.
राज्यसभा में सरकार से सवाल पूछा गया था कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से कितने मरीजों की मौत हुई ? जिस पर सरकार ने जवाब दिया कि ऑक्सीजन की वजह से एक भी मौत नहीं हुई.
अगर आपको लगता है कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से किसी की जान नहीं गई वाला सरकार का बयान गैर-जिम्मेदाराना है, तो ठहरिए. एक बार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया का बयान जरूर जान लीजिए. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य सरकारें आंकड़े देती है, हम कंपाइल करके उसे छापते हैं. केंद्र सरकार की इससे ज्यादा कोई भूमिका नहीं होती.
इस जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने ये भी साफ कर दिया कि स्वास्थ्य व्यवस्था राज्यों के अधिकार क्षेत्र का मुद्दा है. राज्यों ने केंद्र को भेजी रिपोर्ट में ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मौत का जिक्र नहीं किया. मतलब ये कि विपक्ष के सवालों की जवाबदेही केंद्र सरकार ने राज्यों पर डाल दी. सवाल ये भी है कि राज्यों ने ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई मौतों का आंकड़ा केंद्र को क्यो नहीं दिया ?