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एंटीगुआ का दावा, ‘’2017 में हमें बताया गया था कि चोकसी के खिलाफ कोई मामला नहीं है’’
चोकसी इस साल चार जनवरी को भारत से भाग गया था और उसने 15 जनवरी को एंटीगुआ में शरण ली थी. नवंबर 2017 में उसे एंटीगुआ की नागिरकता मिल चुकी थी.
नई दिल्ली: एंटीगुआ ने दावा किया कि जब कैरेबियाई देश ने 2017 में मेहुल चोकसी को नागरिकता देने से पहले उसकी पृष्ठभूमि की जांच की थी तब भारतीय एजेंसियों ने उसे बताया था कि अरबपति के खिलाफ कोई मामला नहीं है. एंटीगुआ के इस दावे पर यहां अधिकारियों से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है.
सरकार ने आज कहा कि बैंक धोखाधड़ी के आरोपी की पुलिस सत्यापन रिपोर्ट उस समय "स्पष्ट" थी. सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि एजेंसी ने सरकार को चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध भेजा है ताकि सरकार उसे एंटीगुआ को भेज सके.
निवेश से संबद्ध नागरिकता देने के लिए जिम्मेदार एंटीगुआ के निकाय ने चोकसी के मामले में मंजूरी देने वाली भारतीय एजेंसी में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का भी नाम लिया. हालांकि सेबी ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उसे कभी ऐसा कोई अनुरोध नहीं मिला और ना ही उसने एंटीगुआ में सक्षम प्राधिकार को ऐसी कोई सूचना दी.
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एंटीगुआ के अखबार डेली ऑब्जर्वर ने ‘सिटीजनशिप बाइ इन्वेस्टमेंट यूनिट ऑफ एंटीगुआ एंड बारबूडा’ के एक बयान के हवाले से बताया कि मई 2017 में एंटीगुआ में नागरिकता के लिए चोकसी के आवेदन के साथ स्थानीय पुलिस से मंजूरी भी दी गई थी. चोकसी पंजाब नेशनल बैंक में दो अरब डॉलर के घोटाले के कथित मास्टरमाइंड में से एक है और वह भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी का रिश्तेदार भी है.
खबर में कहा गया है, ‘‘भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, मुंबई से मिले पुलिस मंजूरी प्रमाणपत्र (पीसीसी) के अनुसार मेहुल चीनूभाई चोकसी के खिलाफ ऐसा कोई मामला नहीं है जो उन्हें एंटीगुआ और बारबूड़ा के लिए वीजा समेत यात्रा सुविधाएं देने के अयोग्य ठहराता हो.’’
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इसमें कहा गया है कि द्वीपीय देश के अधिकारियों ने इंटरपोल समेत वैश्विक एजेंसियों से चोकसी के बारे में व्यापक छानबीन की थी कि कहीं उनके खिलाफ किसी भी अपमानजनक सूचना का कोई मामला तो नहीं है. खबर के मुताबिक, जांच के तौर पर एंटीगुआ प्रशासन को 2014 और 2017 में चोकसी की कंपनियों के खिलाफ सेबी की कार्रवाई के दो मामलों के बारे में पता चला तथा उसने उनसे और जानकारी मांगी थी.
सेबी ने कैरिबियाई प्रशासन को बताया था कि एक मामला बंद कर दिया गया है और दूसरे मामले में पर्याप्त सबूत नहीं थे. हालांकि भारतीय नियामक ने आज एक बयान जारी कर इन दावों को खारिज किया. सेबी ने कहा, ‘‘सेबी को एंटीगुआ की सिटिजनशिप बाय इनवेस्टमेंट यूनिट से किसी भी जांच पर जानकारी के लिए ना तो कोई अनुरोध मिला और ना ही उसने सीआईयू को ऐसी कोई सूचना दी.’’
चोकसी को पीसीसी के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि एंटीगुआ और बारगुडा के लिए 16 मार्च, 2017 को मुम्बई के पासपोर्ट कार्यालय ने इसे जारी किया था और उनके पासपोर्ट पर उपलब्ध पुलिस सत्यापन रिपोर्ट (पीवीआर) के आधार यह दिया गया था.
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उन्होंने कहा,‘‘सिस्टम में एक स्पष्ट पीवीआर होने पर सभी पासपोर्ट जारी करने वाले प्राधिकरण एक पीसीसी जारी कर सकते हैं. यदि कोई पीवीआर नहीं है, तो पीसीसी जारी करने से पहले एक नया पीवीआर प्राप्त करना होता है.’’
एंटीगुआ की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सिटीजनशिप फ्रॉम इन्वेस्टमेंट यूनिट ने कहा कि अगर नागरिकता के आवेदन के समय चोकसी के खिलाफ कोई वारंट होता तो इंटरपोल इसके बारे में बताता और यह राष्ट्रीय आपराधिक डेटाबेस में भी होता है. चोकसी इस साल चार जनवरी को भारत से भाग गया था और उसने 15 जनवरी को एंटीगुआ में शरण ली थी. नवंबर 2017 में उसे एंटीगुआ की नागिरकता मिल चुकी थी.
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