उज्जैन: आतंक का पर्याय बन चुके दुर्दांत अपराधी विकास दुबे ने अपने पूरे जीवन को अपराधों में झोंक दिया, लेकिन जब अंत का समय आया तो उसने मोक्ष प्राप्त करने की सोच ली. शायद इसीलिए वह धार्मिक नगरी उज्जैन पहुंचा और उसने शिप्रा नदी में स्नान कर राजाधिराज महाकाल के दर्शन भी कर लिए. हालांकि, कर्मों का फल उसके मोक्ष के आड़े आ गया.


कानपुर में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या करने वाले कुख्यात बदमाश विकास दुबे ने अपने अंतिम समय में पुण्य कमाने का सोचा. पूरे कानपुर में "पंडितजी" के नाम से पहचाने जाने वाले विकास दुबे ने केवल आखिरी समय में ही पूजा-पाठ किया. उज्जैन की पुण्य सलिला शिप्रा नदी में स्नान करके भगवान महाकाल के दर्शन किए. हालांकि, महाकाल मंदिर से ही वह दर्शन के तुरंत बाद पकड़ा गया.


सावन के पवित्र महीने में मोक्ष के लिए उज्जैन आया था विकास दुबे


उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद शंकर व्यास के मुताबिक, सावन का महीना चल रहा है और इस पवित्र महीने में पवित्र नदी में स्नान कर ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल के दर्शन करने का विशेष महत्व है. उनका कहना है कि अगर विधि के विधान के अनुसार धार्मिक परंपराओं का निर्वहन कर यदि किसी का आकस्मिक निधन हो जाता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन दुर्दांत अपराधी विकास दुबे ने सिर्फ अंतिम समय में ही धार्मिक कार्यों में हिस्सा लिया. ऐसे मामले धर्म शास्त्रों के अनुसार अपराधी को मोक्ष नहीं बल्कि उसके कर्मों की सजा का भी धार्मिक विधान है.


रावण की तरह अंतिम समय में विकास दुबे ने किया भगवान को याद


महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी राम गुरु के मुताबिक भगवान महाकाल के दरबार में सावन महीने में पूजा का विशेष महत्व है. लेकिन जिस तरह रावण का अंत हुआ और उसने अंतिम समय में भी भगवान को याद किया, उसी तरह विकास दुबे ने केवल अंतिम समय में ही भगवान को याद किया है. अगर वह भगवान के प्रति इतनी आस्था रखता तो शायद उसके हाथों से इतने अपराध नहीं होते.


उल्लेखनीय है कि 9 जुलाई को उज्जैन पहुंचने के बाद विकास दुबे ने अलसुबह ब्रह्म मुहूर्त में शिप्रा नदी में स्नान किया था. इसके बाद वह ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर पहुंचा, जहां से सुबह 8:30 बजे के लगभग उसे पकड़ लिया गया. जिसके बाद उसका कानपुर जाते समय एनकाउंटर हो गया.


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