Non-Personal Date Sharing: केंद्र सरकार डिजिटल इंडिया कानून के तहत गैर-व्यक्तित डेटा शेयर करने के लिए नियम बनाने पर विचार कर रही है. सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि नियमों में गुमनाम डेटा सेट शेयर करने के लिए मूल्य निर्धारण और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की दक्षता को बढ़ावा देने के लिए मुफ्त सरकारी पहुंच के प्रावधान शामिल हो सकते हैं.
गैर-व्यक्तिगत डेटा में ऐसी जानकारी शामिल होती है, जिससे किसी व्यक्ति की पहचान उजागर नहीं होती है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय इस तरह के डेटा को शेयर करने के लिए गाइडलाइंस बना सकता है. अधिकारी ने कहा, "इस तरह के डेटा को शेयर करने के पहलू सीमित होंगे, ताकि इसका उपयोग केवल विशिष्ट उद्देश्यों के लिए किया जा सके जिसके लिए इसे साझा किया गया है."
कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट
गैर-व्यक्तिगत डेटा के लिए नियामक संरचना पर काम करने के लिए 2020 में इन्फोसिस के पूर्व सीईओ कृष गोपालकृष्णन की अध्यक्षता में एक अन्य समिति का गठन किया गया था. इसने हितधारक परामर्श के कई दौर आयोजित किए हैं और अपनी रिपोर्ट आईटी मंत्रालय को सौंप दी है.
क्यों पड़ी इसकी जरूरत?
भारत के पास गुमनाम, या गैर-व्यक्तिगत डेटा को नियंत्रित करने की कोई नीति नहीं है. सरकार ने कहा है कि वो "विकास को बढ़ावा देने" में मदद करने के लिए इस डेटा को स्टार्ट-अप के साथ शेयक करेगी. ड्राफ्ट में कहा गया है, "इसका उद्देश्य खुले डेटा के साथ अधिक से अधिक नागरिक जागरूकता, भागीदारी और जुड़ाव सुनिश्चित करना, राष्ट्रीय महत्व के डेटा सेटों की उपलब्धता में वृद्धि करना और साझा करने के लिए उपयुक्त डेटा सेटों की पहचान करना और सुरक्षित डेटा साझाकरण और गोपनीयता नीतियों और मानकों के समग्र अनुपालन में सुधार करना है."
टेक पॉलिसी थिंक टैंक द डायलॉग के संस्थापक काजिम रिजवी ने कहा कि गैर-व्यक्तिगत डेटा साझा करने के लिए नियम लाने का सरकार का विचार इसके मूल्य को अनलॉक करने में मदद कर सकता है. उन्होंने सकहा, "सबसे पहले, डेटा शेयर सिस्टम स्वैच्छिक होना चाहिए."
ये भी पढ़ें- Lok Sabha Election: 2024 में मोदी 350 सीटें जीत पाएंगे! क्या इस नए सर्वे का ये दावा होगा सच? पढ़िए पूरी रिपोर्ट