Digital Personal Data Protection Bill: मणिपुर मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के वॉकआउट के बाद राज्यसभा ने बुधवार (9 अगस्त) को 'डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023' ध्वनि मत से पारित कर दिया. लोकसभा ने भी सोमवार (7 अगस्त) को विधेयक पारित कर दिया था. यह विधेयक सुप्रीम कोर्ट की तरफ से 'निजता के अधिकार' को मौलिक अधिकार घोषित करने के 6 साल बाद आया है.


बता दें कि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023 में ऑनलाइन प्लेटफार्मों की तरफ से व्यक्तियों के डेटा के दुरुपयोग को रोकने के प्रावधान हैं. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि विधेयक डिजिटल सेवाओं का उपयोग करने वाले लोगों को नए अधिकार देता है और नागरिकों के डेटा के संग्रह और प्रसंस्करण के संबंध में निजी और सरकारी संस्थाओं पर कई दायित्व डालता है.


अश्विनी वैष्णव का विपक्ष पर वार


इस विधेयक में भारतीय नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा करने का भी प्रावधान है, साथ ही जुर्माने का भी प्रस्ताव है. किसी भी व्यक्ति के डिजिटल डेटा का दुरुपयोग करने या उसकी सुरक्षा करने में विफल रहने पर संस्थाओं पर 250 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. विधेयक को संसद के उच्च सदन में विचार और पारित करने के लिए आगे बढ़ाते हुए, वैष्णव ने कहा, "अच्छा होता अगर विपक्ष संसद में विधेयक पर चर्चा करता, लेकिन किसी भी विपक्षी नेता या सदस्य को नागरिकों के अधिकारों की चिंता नहीं है."


बिल को लेकर क्या बोले अश्विनी वैष्णव?


अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह बिल व्यापक सार्वजनिक परामर्श के बाद लाया गया है. इसकी मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि किसी भी इकाई की तरफ से एकत्र किए गए डेटा को वैधता के सिद्धांत, उद्देश्य सीमा के सिद्धांत, डेटा न्यूनतमकरण के सिद्धांत के अनुसार उपयोग करना होगा. सिद्धांतों पर विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि नागरिकों की ओर से एकत्र किए गए डेटा का उपयोग कानून के अनुसार केवल उसी उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए जिसके लिए यह एकत्र किया गया है.


बनाया जाएगा स्वतंत्र डेटा संरक्षण बोर्ड 


वैष्णव ने  कहा कि नागरिकों को इस एक्ट के तहत चार अधिकार दिए गए हैं, जिनमें सूचना तक पहुंचने का अधिकार, व्यक्तिगत डेटा और इरेजर में सुधार का अधिकार, शिकायत निवारण का अधिकार और नामांकन का अधिकार शामिल है. मंत्री ने कहा कि एक स्वतंत्र डेटा संरक्षण बोर्ड (DPB) बनाया जाएगा जो डिजिटल है और देशभर के लोगों को दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में विशेषाधिकार प्राप्त लोगों की तरह न्याय तक समान पहुंच प्रदान करेगा. बोर्ड में ऐसे विशेषज्ञ शामिल होंगे जो डेटा के क्षेत्र को समझते हैं और बोर्ड कानून की तरफ से स्वतंत्र है. 


केंद्रीय मंत्री ने कहा, इस विधेयक के माध्यम से सूचना के अधिकार अधिनियम में विरोधाभास को दूर कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि यूरोप के डेटा संरक्षण विधेयक में 16 छूट दी गई हैं, जबकि डिजिटल पर्सनल डेटा संरक्षण (DPDP) विधेयक 2023 में केवल चार छूट दी गई हैं. राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास और वी शिवदासन की ओर से विधेयक को संसद की चयन समिति को भेजने का प्रस्ताव दिया गया था. 


वाईएसआर ने उठाया टेलीफोन टैपिंग का मुद्दा


सदन में चर्चा के दौरान, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सदस्य वी विजयसाई रेड्डी ने सॉफ्टवेयर के माध्यम से टेलीफोन टैपिंग का मुद्दा उठाया. रेड्डी ने कहा, "टेलीफोन टैपिंग या तो स्पीकर का नियंत्रण लेकर की जा सकती है. हमारे पास टेलीफोन में या टेलीफोन के पीछे की तरफ कैमरा भी होता है. मैंने प्रत्यक्ष रूप से एक विदेशी कंपनी की तरफ से दिए गए डिस्प्ले को देखा है कि कोई भी ऐप चाहे वह व्हाट्सऐप, फेसटाइम, टेलीग्राम या सिग्नल हो, कुछ भी टैप किया जा सकता है." 


बिल को लेकर क्या बोले BJD के सदस्य?


वहीं, बीजेडी (BJD) सदस्य अमर पटनायक ने कहा, "यह विधेयक आजादी के बाद देश का सबसे ऐतिहासिक कानून है और यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का कानून है. हालांकि, मुझे विधेयक में निजता शब्द नहीं मिला जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले में था. इसमें से मुआवजा और नुकसान शब्द भी गायब हैं." उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि राज्य स्तरीय डेटा संरक्षण बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए. 


राजीव चंद्रशेखर ने बताया महत्वपूर्ण कदम 


वहीं, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि संसद में पारित डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. यह इनोवेशन इकोनॉमी और कुशल राजकाज को समर्थन देगा. उन्होंने ट्वीट कर कहा, "गोपनीयता के मुद्दे पर मेरी भागीदारी 2010 में शुरू हुई थी, जब एक याचिकाकर्ता के तौर पर मैंने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया था."


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