Cabinet Approves Data Protection Bill: मोदी कैबिनेट ने बुधवार (5 जुलाई) को डिजिटल इंफार्मेशन प्रोटेक्शन बिल यानी डेटा प्रोटेक्शन बिल के मसौदे को मंजूरी दे दी. इसे संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जाएगा. विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि इस बिल के पास हो जाने के बाद यदि कोई भी इकाई इस बिल के नियमों का उल्लंघन करती पाई जाती है तो उस पर 250 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
बीते साल दिसंबर में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक बयान में कहा था कि उनकी सरकार मानसून सत्र तक इस बिल को कानून की शक्ल देने की कोशिश करेगी. इससे पहले अप्रैल 2023 में, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने देश के नागरिकों की पर्सनल डिटेल को प्रोटेक्ट करने के वास्ते एक नया डेटा संरक्षण विधेयक तैयार कर लिया है और वह जुलाई में संसद के मानसून सत्र में इस बिल को संसद के पटल पर पेश करेगी.
क्या है डेटा प्रोटेक्शन बिल?
देश में डिजिटल क्रांति के बीच सरकार के ऊपर देश के नागरिकों के डेटा सुरक्षित रखने को लेकर प्रेशर बढ़ रहा था. ऐसे में देश की कई पॉलिसी संस्थाओं ने सरकार से लगातार अपील की थी कि वह डेटा संरक्षण के लिए एक ऐसे कानून का निर्माण करे जो देश के नागरिकों के डेटा को प्रोटेक्ट करने का काम करे. ऐसे में यह डेटा प्रोटेक्शन बिल नागरिकों (डिजिटल नागरिक) के अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करने का काम करेगा और दूसरी ओर डेटा फ्रॉड को नियंत्रित और जरूरत पड़ने पर सुरक्षित करने का भी काम करेगा.
इन 6 समस्याओं को अड्रेस करता है डेटा प्रोटेक्शन बिल
द मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक डेटा प्रोटेक्शन बिल कुल 6 समस्याओं/परेशानियों को अड्रेस करता है और उनको कानूनी रूप से संरक्षण देने पर बात करता है.
1. यह बिल डेटा इकॉनमी के छह सिद्धांतों पर आधारित है, जिनमें से पहला भारत के नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा के स्टोर और उपयोग के बारे में बात करता है. पहले नियम के मुताबिक देश के पर्सनल डेटा का संग्रह और उपयोग लीगल मीडियम से होना चाहिए और इसके मिसयूज को कंट्रोल करते हुए उसके प्रोटेक्शन को लेकर पारदर्शिता बनाई जानी चाहिए.
2. इस बिल का दूसरा सिद्धांत डेटा संग्रह के बारे में बात करता है. इस नियम के मुताबिक किसी भी नागरिक का डेटा सुरक्षित रूप से प्रिजर्व किया जाना चाहिए.
3. डेटा प्रोटेक्शन बिल डेटा के मिनिमाइजेशन की बात करता है जिसके मुताबिक देश के किसी भी नागरिक का केवल रिलेवेंट डाटा पहले से निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ही करना चाहिए.
4. चौथे नियम के मुताबिक डेटा के इस्तेमाल के लिए इस्तेमाल करने वाली इकाईयों की जवाबदेही तय की जाएगी. जिससे उसके गलत इस्तेमाल पर कार्रवाई की जा सके.
5. डेटा बिल का पांचवां नियम, डेटा ब्रीच की बात करता है. इसमें कहा गया है कि डेटा ब्रीच होने की सूरत में संबंधित इकाइयों को इसकी जानकारी सुरक्षा बोर्डों को निष्पक्ष, पारदर्शी और न्यायसंगत तरीके से दिया जाना चाहिए.
6. प्रस्तावित कानून व्यक्तिगत डेटा एकत्र करने से पहले इस डेटा को किसी भी सूरत में शेयर करने, बदल देने या नष्ट करने पर इसके लिए जिम्मेदार कानूनों पर 250 करोड़ रुपये के कठोर दंड का भी प्रावधान करता है.