Digital Rape Case: दिल्ली सटे नोएडा से पुलिस ने एक 81 साल के पेंटर को यौन उत्पीड़न के मामले में गिरफ्तार किया. ये एक अलग तरह का यौन उत्पीड़न का मामला है जिसके बाद डिजिटल रेप शब्द सुर्खियों में छाया हुआ है. जिस पेंटर को गिरफ्तार किया गया है उसकी मौरिस राइडर के रूप में पहचान हुई है. इस पेंटर पर नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगा है. आरोप है कि पीड़िता का यौन उत्पीड़न तब से शुरू हुआ जब वो 10 साल की थी और जब तक आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर लिया गया तब उसका डिजिटल रेप करता रहा.
पीड़िता की शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 323, 506 और पॉक्सो एक्ट की धारा 5 और 6 के तहत मामला दर्ज कर लिया. आरोप है कि पीड़िता जब विरोध करती थी तो आरोपी उसको पीटता भी था. फिलहाल मामले की जांच की जा रही है. यौन उत्पीड़न के लिए जिस शब्द की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वो है डिजिटल रेप इसके बारे में हर कोई जानना चाहता है. तो आइए जानते हैं कि ये डिजिटल रेप होता क्या है-
डिजिटल रेप है क्या और इसका मतलब
सबसे पहले आपको बता दें कि इस अपराध को 2013 के आपराधिक कानून संशोधन के माध्यम से भारतीय दंड संहिता में शामिल किया गया था. इसे निर्भया अधिनियम (Nirbhaya Act) भी कहा जाता है. नोएडा पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि डिजिटल रेप का मतलब ये तो बिल्कुल नहीं है कि कोई लड़का या लड़की का शोषण इंटरनेट के माध्यम से किया जाए. ये शब्द दो शब्दों को जोड़कर बना है जो डिजिट और रेप हैं. इंग्लिश के डिजिट का मतलब हिंदी में मतलब अंक होता है तो वहीं अंग्रेजी के शब्दकोश में डिजिट अंगुली, अंगूठा, पैर की अंगुली इन शरीर के अंगो को भी डिजिट कहा जाता है.
जानकारों के मुताबिक अगर कोई शख्स महिला की बिना सहमति के उसके प्राइवेट पार्ट्स को अपनी अंगुलियों या अंगूठे से छेड़ता है तो ये डिजिटल रेप कहलाता है. कुल मिलाकर कहने का मतलब ये है कि जो शख्स अपने डिजिट का इस्तेमाल करके यौन उत्पीड़न करे तो ये डिजिटल रेप कहा जाता है. विदेशों में इस तरह के कई मामले सामने आए हैं और डिजिटल रेप शब्द का इस्तेमाल खूब होता रहा है और अपने देश में भी इसके लिए कानून बना है.
साल 2013 के बाद बदल गया यौन अपराध कानून
यौन उत्पीड़न के इस पहलू को साल 2013 के आपराधिक कानून संशोधन के माध्यम से बलात्कार की परिभाषा में शामिल किया गया जिसने इस अपराध को संशोधित और विस्तारित किया. साल 2012 में निर्भया केस के बाद से बलात्कार के कानून में कई बदलाव किए गए जिसमें ये भी शामिल था. साल 2013 के बाद बलात्कार का मतलब सिर्फ सहवास तक ही सीमित नहीं रह गया है. अब एक महिला के मुंह, यूरिन एरिया, वजाइना या गुदा में किसी भी हद तक प्रवेश भी रेप की श्रेणी में आता है. निर्भया एक्ट का पार्ट-बी विशेष रूप से कहता है कि किसी भी हद तक प्रवेश, किसी भी वस्तु या शरीर को कोई भी हिस्सा जो लिंग नहीं है वो भी बलात्कार की परिभाषा के अंदर ही है.
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