जबलपुर: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट से राजनीतिक लोगों को दूर रखने की मांग की है. वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उन्होंने कहा कि कोर्ट का फैसला हमें स्वीकार है. कांग्रेस हमेशा कहती आई है कि सभी को कोर्ट के फैसले को स्वीकार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि जहां तक ट्रस्ट बनाने वाली बात है तो ऐसी संस्था को मान्यता देनी चाहिए जिसका राजनीति और राजनेताओं से कोई लेना-देना ने हो. उन्होंने यह भी कहा कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रामालय ट्रस्ट इसके लिए सबसे उपयुक्त है.
इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी सिर्फ धर्म की राजनीति करती है. 1984 के बाद बीजेपी ने राम मंदिर की बात शुरू की थी जबकि कांग्रेस उसके पहले भी राम मंदिर निर्माण के लिए प्रयास करती रही है. ग्वालियर में नाथूराम गोडसे की पूजा की घटना की उन्होंने जमकर आलोचना की. दिग्विजय सिंह ने कहा कि ये वही विचारधारा है जिसने महात्मा गांधी की हत्या की थी, बीजेपी को ऐसे संगठनों से दूर रहना चाहिए.
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से ट्रस्ट बनाने को कहा था
जाहिर है कि 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 2.77 एकड़ की विवादित जमीन रामलला को सौंपने का फैसला सुनाया. इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र से कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट बनाए. ट्रस्ट की रूपरेखा से लेकर कामकाज और जवाबदेही तक सरकार को तय करने को कहा. लेकिन अब दिग्विजय सिंह इसपर कुछ और कह रहे हैं.
बता दें कि दिग्विजय सिंह ही नहीं बल्कि वीएचपी भी इससे पहले ये मांग कर चुकी है कि राम मंदिर को लेकर जो ट्रस्ट बने उसमें सरकार का कोई व्यक्ति शामिल न हो. इसके पीछे वीएचपी ने ये दलील दी थी कि अगर सरकार ट्रस्ट में शामिल होती है तो उसके धर्मनिरपेक्ष छवि को लेकर भी सवाल उठेंगे.
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