नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में सोमवार को केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली का नाम घसीटा. उन्होंने आरोप लगाया कि यह मामला बीजेपी नेता के निर्देश पर दायर किया गया.
वीरभद्र सिंह के जमानतदार थे दिग्विजय सिंह
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि मौजूदा मामला हिमाचल प्रदेश के नेता के खिलाफ ‘अभियान का हिस्सा’ है, क्योंकि उन्होंने हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में कथित भ्रष्ट आचरणों के खिलाफ कार्रवाई की. मुख्यमंत्री को दिल्ली की एक कोर्ट ने जमानत दी थी और दिग्विजय उनके जमानतदार थे.
दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘‘उन्हें (वीरभद्र को) अरूण जेटली के इशारे पर फंसाया गया है.’’ दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री से क्रिकेट निकायों में जेटली की कथित भूमिका की भी जांच शुरू करने को कहा.
''...न तो मैं खाउंगा और न ही किसी को खाने दूंगा''
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को जेटली के खिलाफ जांच शुरू करनी चाहिए क्योंकि वह कहते हैं कि न तो मैं खाउंगा और न ही किसी को खाने दूंगा. न सिर्फ हमने बल्कि उनके अपने सांसद कीर्ति आजाद ने जेटली के खिलाफ आरोप लगाये हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वीरभद्र सिंह देश के सर्वाधिक लंबे समय से सेवारत मुख्यमंत्रियों में से एक रहे हैं और उनकी ईमानदारी ‘भलीभांति’ ज्ञात है.
आय से अधिक संपत्ति मामले में वीरभद्र और उनकी पत्नी को मिली जमानत
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह तथा सात अन्य आरोपियों को एक स्थानीय कोर्ट ने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति के मामले में सोमवार को जमानत दे दी. विशेष न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार गोयल ने वीरभद्र सिंह तथा अन्य आरोपियों से एक-एक लाख रुपये का निजी मुचलका तथा इतनी ही जमानत राशि जमानत के रूप में जमा करने का आदेश दिया. कोर्ट ने बिना अनुमति के आरोपियों को देश नहीं छोड़ने को कहा है.
अपनी जमानत याचिका में कांग्रेस नेता ने विभिन्न गंभीर बीमारियों से पीड़ित होने का दावा करने के लिए कई चिकित्सा रपट का हवाला दिया. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इस आधार पर जमानत याचिका का विरोध किया कि वीरभद्र सिंह मामले के गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.
सीबीआई ने कहा, "वीरभद्र सिंह राज्य के राजा है, और भ्रष्ट गतिविधियों में संलिप्त हैं. उनकी बीमारी आम है और इसलिए इस आधार पर उनपर विचार नहीं किया जाना चाहिए." वीरभद्र सिंह तथा उनकी पत्नी 22 मई को कोर्ट में पेश हुए थे और जमानत की मांग की थी.
मामले में CBI ने दाखिल किया आरोप पत्र
मामले में सीबीआई ने वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह के अलावा जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के एजेंट आनंद चौहान, उनके सहयोगी चुन्नी लाल, जोगिंदर घालटा, प्रेम राज, लवन कुमार रोच, वकमुल्लाह चंद्रशेखर और राम प्रकाश भाटिया के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है.
आरोप है कि 28 मई, 2009 से 26 जून, 2012 तक केंद्रीय इस्पात एवं सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री ने आपराधिक कदाचार को अंजाम दिया. वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह और आठ अन्य आरोपियों ने उनकी (वीरभद्र) रकम को अपनी पत्नी, बेटी तथा बेटे के नाम पर निवेश कर अपराध के लिए उकसाया.
सीबीआई ने आरोप लगाया कि सह-आरोपी प्रतिभा सिंह ने इरादतन काले धन को अपने तथा अपने बच्चों के नाम पर निवेश करने के लिए वीरभद्र सिंह को अपराध करने के लिए प्रेरित किया. सीबीआई ने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पर आय से अधिक संपत्ति को कृषि आय के रूप में न्यायोचित ठहराने का प्रयास करने का आरोप लगाया.