दिग्विजय सिंह ने पूछा- पीएम मोदी और अमित शाह ने अबतक जाकिर नाइक के बयान की निंदा क्यों नहीं की?
दिग्विजय सिंह ने कहा कि जाकिर नाइक ने अपने बयान में कहा है कि पीएम मोदी और अमित शाह ने उसके पास एक संदेशवाहक भेजा था और कश्मीर से 370 हटाने का समर्थन करने पर सभी केस वापस लेने की बात कही थी. उन्होंने सवाल किया कि पीएम मोदी और अमित शाह ने अभी तक निंदा क्यों नहीं की?
भोपाल: कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर बड़ा हमला बोला है. दिग्विजय सिंह ने कहा, ''जाकिर नाइक ने एक बयान में कहा है कि सितंबर 2019 में मोदी जी और शाह जी ने उसके पास एक संदेशवाहक भेजा कि यदि वह धारा 370 को निरस्त करने का समर्थन करते हैं तो सरकार सभी मामलों को वापस ले लेगी और उन्हें वापस आने की अनुमति नहीं दी जाएगी.''
जाकिर नाइक के बयान का जिक्र करते हुए दिग्विजय सिंह ने सवाल किया कि अभी तक पीएम मोदी और अमित शाह ने इस बयान की निंदा क्यों नहीं की? इंदौर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ये बात कही.
Digivijaya Singh: Zakir Naik in a statement has said that in Sept 2019, Modi ji and Shah ji sent a messenger to him that if he supports abrogation of article 370 then Govt will withdraw all cases&he will be allowed to come back.Why haven't Modi ji and Shah ji condemned this yet? pic.twitter.com/3E0lCv26TC
— ANI (@ANI) January 15, 2020
इसके साथ ही उन्होंने यूपी सरकार को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की पुलिस आखिर चाहती क्या है. जो सामाजिक कार्यकर्ता हैं उनसे यह क्यों कह रही है कि वह मुस्लिमों का साथ न दे. एनआरसी, एनपीआर और सीएए को लेकर दिग्विजय सिंह ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अपने एजुकेशन का प्रमाण नहीं दे पा रहे हैं तो फिर वह देशवासियों से नागरिकता का प्रमाण क्यों मांग रहे हैं?
कौन है जाकिर नाइक?
विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक ने साल 2016 में भारत से फरार होने के बाद मलेशिया में शरण ली थी और वहां उसे स्थायी निवासी का दर्जा मिला. भारत सरकार उसके प्रत्यर्पण के लिए लंबे समय से प्रयासरत है. भारत में उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और भड़काऊ बयान देने को लेकर कई केस दर्ज हैं. भारतीय एजेंसियों ने साल 2016 में नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर छापेमारी के बाद उसपर प्रतिबंध लगा दिया था. इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर समाज में नफरत फैलाने का आरोप है.