नई दिल्लीः मोदी सरकार जम्मू कश्मीर में दोहरी नीति पर काम कर रही है. एक तरफ आतंकियों और पत्थरबाज़ों से निपटने के लिए सख्त नीति अपनाई जाएगी. इसके लिये जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगते ही आतंकियों के खिलाफ ऑपेरशन में तेजी लाने की नीति के तहत सुपर कॉप के नाम से विख्यात रिटायर्ड आईपीएस विजय कुमार को राज्यपाल का सलाहकार बनाया गया है, जो यूनिफाइड कमांड के साथ मिलकर आतंकियों के खिलाफ ऑपेरशन और पत्थरबाज़ों से निपटने की प्लानिंग करेंगे.
वीरप्पन को खत्म करने वाले अधिकारी बने जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के सलाहकार
तो दूसरी तरफ घाटी में कश्मीरियों का दिल जीतने के लिए विकास के कामों में भी तेज़ी लाई जाएगी. केंद्र से मिले विशेष पैकेज के तहत चल रही योजनाओं के सही अमल पर ज़ोर होगा ताकि विकास के जरिए अलगाववादी ताक़तों को अलग थलग किया जा सके. और इस काम को अंज़ाम देने की पहल करेंगे केंद्र सरकार के विशेष प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा, जिन्हें कैबिनेट सचिव का दर्जा हासिल है.
J&K: राज्यपाल शासन के दौरान एनएन वोहरा की पहली चुनौती होगी सुरक्षित अमरनाथ यात्रा
गृह मंत्रालय के बड़े अधिकारी के मुताबिक़ केंद्र सरकार के विशेष प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा अपने पद पर बने रहेंगे और कश्मीर के तमाम तबके के लोगों से बातचीत जारी रखेंगे. हालांकि हुर्रियत नेताओं से फ़िलहाल बातचीत की उम्मीद नहीं है. लेकिन लंबे समय तक कश्मीर में तैनात रहे आईबी के पूर्व निदेशक दिनेश्वर शर्मा अपने निजी संबंधों के जरिए उन ताकतों को अलगाववादियों से दूर रखने की कोशिशें जारी रखेंगे, जो घाटी में लगातार जारी हिंसा से नाराज़ हैं. लेकिन वो खुलकर विरोध नहीं कर पाते.
BVR सुब्रमण्यम बने J&K के अगले मुख्य सचिव, आंतरिक सुरक्षा के विशेषज्ञ माने जाते हैं
हालांकि राज्य में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच राज्यपाल शासन लगने के बाद विशेष प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा अपने कश्मीर घाटी के दौरे के बीच मे ही दिल्ली लौट आये है. दिनेश्वर शर्मा दिल्ली में एक फिर पीएमओ के अधिकारियों के खासकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाक़ात कर ताज़ा हालात में विशेष प्रतिनिधि की भूमिका और आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे.
राज्यपाल शासन के बदले हालात में विशेष प्रतिनिधि शर्मा की जिम्मेदारी में भी बदलाव होगा? गृहमंत्रालय के बड़े अधिकारी के मुताबिक " दिनेश्वर शर्मा न सिर्फ अपने पद पर बने रहेंगे बल्कि कश्मीर में अवाम के अलग अलग तबके से बातचीत जारी रखेंगे."एबीपी न्यूज़ ने जब दिनेश्वर शर्मा से बात की तो उन्होनें राज्य के बदले हालात पर कोई टिप्पणी नहीं करते हुए अपने काम को जारी रखने की बात कही.
गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि विशेष प्रतिनिधि की भूमिका बदले हालात में और चुनौतीपूर्ण हो गई है. राज्यपाल शासन में बातचीत की ज़मीन तैयार कर दिनेश्वर शर्मा राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए माहौल बनाने के लिए सभी पक्षों से बातचीत करेंगे और उनकी बात को केंद्र सरकार तक पहुंचाने का काम करेंगे. शर्मा खासकर घाटी के युवाओं से बात कर उनके राज्य के विकास की धारा में शामिल करने के लिए पूल का काम कर सकते हैं.
उनके रोज़गार बढ़ाने के लिए सरकार ने दिनेश्वर शर्मा की सलाह पर कई कदम उठाए हैं जिसका असर भी हुआ है. वहीं राज्य के युवकों को अलगाववादियों के प्रभाव से अलग रखने के लिए 3000 करोड़ केंद्र ने विशेष प्रतिनिधि की सिफारिश पर दिए हैं.