मुलाकात के दौरान PK ने की इस्तीफे की पेशकश, नीतीश कुमार ने ठुकराया- सूत्र
जेडीयू में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और इसकी वजह पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर का वह बयान है जो उन्होंने नागरिकता संशोधन बिल पर पार्टी के समर्थन करने के बाद दिया है.
नई दिल्ली: नागरिकात कानून पर पार्टी लाइन से हटकर खुलेआम मुखालफत दिखा चुके जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने आज मुक्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की. सूत्रों के मिली जानकारी के मुताबिक नीतिश से मुलाकात के दौरान प्रशांत किशोर ने उपाध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश भी की. प्रशांत किशोर की इस पेशकश को नीतीश कुमार ने ठुकरा दिया. सूत्रों की मानें तो प्रशांत किशोर ने एक बार नहीं बल्कि तीन बार इस्तीफे की पेशकश की.
नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद प्रशांत किशोर ने मीडिया से भी बात की. नागरिकता कानून को लेकर उन्होंने कहा कि हम अपने पुराने स्टैंड पर क़ायम है. उन्होंने कहा, ''NRC और CAB अगर एक साथ लागू हुआ तो ये ख़तरनाक है. CAB पर जेडीयू का अपना स्टैंड है मुझे जो कहना था वो ट्वीट में सब कह दिया है.''
जेडीयू नेता आरसीपी सिंह के बयान पर टिप्पणी से इनकार जेडीयू नेता आरसीपी सिंह के ‘अनुकंपा वाले नेता’ के बयान पर कहा कोई क्या कहता है मैं सबका जवाब देने के लिए तैयार नहीं हूं. बता दें कि प्रशांत किशोर के नागरिकता कानून के खिलाफ ट्वीट करने पर राज्यसभा में जदयू के नेता आरसीपी सिंह ने उन्हें अनुकंपा वाला नेता बताया था. आरसीपी सिंह ने कहा था कि कौन है यह अनुकंपा वाला नेता? कहां से आए हैं? ऐसा क्या काम किया है इसने संगठन के लिए?
दिल्ली-बंगाल चुनाव को लेकर क्या बोले पीके? दिल्ली और बंगाल चुनाव पर प्रशांत किशोर ने कहा कि प्रचार का i-pac का ज़िम्मा है, मैं उस कम्पनी से जुड़ा हुआ हूं. बता दें कि मशहूर प्रशांत किशोर अब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के लिए रणनीति बनाएंगे. अरविंद केजरीवाल ने खुद ट्वीट कर आज प्रशांत किशोर के साथ आने की जानकारी दी. I-PAC प्रशांत किशोर की एजेंसी है, जो राजनीतिक दलों के चुनाव प्रचार का काम करती है.
नागरिकता बिल को लेकर लगातार हमलावर हैं प्रशांत किशोर मोदी सरकार के नागरिकता बिल को लेकर प्रशांत किशोर लगातार हमलावर हैं. शुक्रवार को इशारों इशारों में उन्होंने नीतीश कुमार से अपना रुख साफ करने को कहा था. प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया, ''संसद में बहुमत साबित हो चुका है. न्यायपालिका से इतर देश की आत्मा को बचाने की जिम्मेदारी अब 16 गैर-बीजेपी मुख्यमंत्रियों पर है. ये वे राज्य हैं, जिन्हें इन कानूनों को लागू करना है. तीन मुख्यमंत्रियों (पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल) ने नागरिकता संशोधन बिल और एनआरसी का विरोध किया है. अब वक्त आ गया है कि बाकी मुख्यमंत्री इस पर अपना रुख साफ करें.''
इससे पहले प्रशांत किशोर ने नागरिकता बिल को सरकार के हाथों में एक घातक हथियार बताया था. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ''हमें बताया गया था कि नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) नागरिकता प्रदान करने के लिए है और यह किसी से नागरिकता छीनेगा नहीं. हालांकि सच यह है कि यह एनआरसी के साथ मिलकर धर्म के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव करने और यहां तक कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार के हाथों में एक घातक हथियार देगा.''
जिस राज्यसबा से बिल पास हुआ उस दिन प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर निराशा जताई थी. उन्होंने लिखा, ''जदयू के नागरिकता संशोधन विधेयक को समर्थन देने से निराश हुआ. यह विधेयक नागरिकता के अधिकार से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है. यह पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता जिसमें धर्मनिरपेक्ष शब्द पहले पन्ने पर तीन बार आता है. पार्टी का नेतृत्व गांधी के सिद्धांतों को मानने वाला है.''