भीष्म प्रोजेक्ट: भारत ने बनाया दुनिया का पहला आपदा अस्पताल, हेलीकॉप्टर से फेंकने पर भी नहीं टूटते इक्विपमेंट बॉक्स
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल भीष्म प्रोजेक्ट की घोषणा की थी. भारत दूसरे देशों को यह आपदा अस्पताल एक्सपोर्ट करेगा. तीन देशों को निशुल्क यह अस्पताल देनी की चर्चा है.
![भीष्म प्रोजेक्ट: भारत ने बनाया दुनिया का पहला आपदा अस्पताल, हेलीकॉप्टर से फेंकने पर भी नहीं टूटते इक्विपमेंट बॉक्स Disaster Hospital prepared for emergency situation under Bhishma Project भीष्म प्रोजेक्ट: भारत ने बनाया दुनिया का पहला आपदा अस्पताल, हेलीकॉप्टर से फेंकने पर भी नहीं टूटते इक्विपमेंट बॉक्स](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/08/28/104fe73a52ca1f24402e540a0a1ec5711693203369963628_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
देश में दुनिया का पहला आपदा अस्पताल बनाया गया है, जहां पर मरीज को सिर्फ 8 मिनट में इलाज मिलेगा. प्रोजेक्ट भीष्म के तहत तैयार किए गए इस अस्पताल में किसी भी आपदा या इमरजेंसी की स्थिति में लोगों को इलाज देने में मदद मिलेगी. कहीं भी कोई आपदा या इमरजेंसी होगी तो अस्पताल तैयार कर लिया जाएगा और मरीज को महज 8 मिनट में इलाज मिलेगा. इसके लिए एक टास्क फोर्स तैयार की गई है, जो अस्पताल तैयार करने से लेकर मरीजों को इलाज मुहैया कराने तक की सभी जिम्मेदारियां निभाएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल भीष्म प्रोजेक्ट की घोषणा की थी, जिसके बाद रक्षा मंत्रालय ने भीष्म टास्क फोर्स तैयार की. आपदा अस्पताल का नाम आरोग्य मैत्री रखा गया है और इसके बॉक्स को आरोग्य मैत्री क्लब नाम दिया गया है. इस अस्पताल की खासियत यह है कि इसको कभी भी इमरजेंसी वाली जगह पर ले जाया जा सकता है और इसमें इलाज के लिए हर सुविधा उपलब्ध है. एक्स रे और ब्लड सैंपलिंग के लिए इधर-उधर भागने की जरूरत नहीं होगी. भारत के वैज्ञानिकों ने इसको इस तरीके से तैयार किया है कि एक बॉक्स में पूरा अस्पताल मौजूद है. 720 किलो वजन के कंटेनर में इसके सारे उपकरण हैं. हेलीकॉप्टर से गिरने या पानी से भी इनका कुछ नहीं बिगड़ेगा.
क्या है इसकी खासियतें?
आपदा अस्पताल सभी जरूरी उपकरणों से लैस है. इसमें एक्स-रे और बल्ड सैंपलिंग के लिए ऑपरेशन थिएटर से लेकर वेंटीलेटर टेस्टिंग और लैबोरेट्रीज तक मौजूद हैं. एयर वाइस मार्शल तनमय रॉय ने बताया कि यह अपनी तरह का पहला इमरजेंसी हॉस्पिटल है. इसकी एक और खास बात यह है कि ये पूरा अस्पताल सोलर एनर्जी और बैटरी से चलता है अब तक के अध्ययन में देखा गया है कि किसी भी आपदा के दौरान करीब दो प्रतिशत लोगों को तत्काल गंभीर मेडिकल केयर की जरूरत होती है.
डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से किया गया तैयार
इस अस्पताल को बनाने में करीब डेढ़ करोड़ रुपये का खर्च आया है. दूसरे देशों को एक्सपोर्ट करने के मकसद से इसका निर्माण किया गया है और फिलहाल तीन देशों को निशुल्क इसे दिया जाएगा. सरकार इसके संबंध में जल्द ही घोषणी भी करेगी.
आम इंसान भी देख सकेगा कंटेनर में क्या-क्या
विंग कमांडर मनीष ने बताया कि एक आम इंसान भी देख सकेगा कि बॉक्स में क्या-क्या है. बॉक्स पर लगे क्यूआर कोड को गन कैमरा की मदद से खोलना होगा और इससे पता चल जाएगा कि बॉक्स में क्या-क्या है. इसके अलावा कब इसको तैयार किया गया और एक्सपायरी डेट क्या है इसकी भी जानकारी बॉक्स पर मौजूद होगी. उन्होंने कहा कि अगर कोई आपदा आती है तो डॉक्टर के पहुंचने से पहले एक आम आदमी भी कंटेनर को खोलकर उपचार ले सकता है.
कंटेनर में क्या-क्या
- कंटेनर में लोहे के तीन फ्रेम हैं, हर फ्रेम में 12 छोटे-छोट बॉक्स हैं. इस हिसाब से उसमें 36 बॉक्स हैं, जिनमें सारे उपकरण रखे गए हैं.
- तीन फ्रेमों के बीच में एक जनरेटर लगाया गया है.
- फ्रेम के ऊपर 2 स्ट्रेचर भी लगे हैं, जिनका इस्तेमाल ऑपरेशन थिएटर में बेड के तौर पर किया जा सकता है.
- हर कंटेनर में स्वदेशी दवाईयां, उपकरण और खाने की चीजें रखी गई हैं.
- इन सबके अलावा, एंटीबायोटिक किट, शॉक किट, चेस्ट इंजरी किट, एयरवे किट और बील्डिंग किट भी मौजूद हैं.
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