नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय के एक दस्तावेज में कहा गया है कि एलएसी पर चीन की दखल बढ़ रही है और गतिरोध लंबे समय तक जारी रह सकता है. दस्तावेज में 15 जून का भी जिक्र किया गया है. 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. जिसमें कर्नल रैंक के अधिकारी भी शामिल थे. वहीं चीनी सेना को भी नुकसान पहुंचा था.
दस्तावेज में कहा गया है कि चीनी पक्ष ने कुगरांग नाला (हॉट स्प्रिंग्स के उत्तर में पैट्रोलिंग प्वाइंट-15 के पास), गोगरा (पीपी-17 ए) और पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर 17-18 मई को घुसपैठ की थी. इस दस्तावेज को मंत्रालय की वेबसाइट पर 4 अगस्त को अपलोड किया गया था.
5 मई के बाद से चीन का यह आक्रामक रूप एलएसी पर नजर आ रहा है. 5 और 6 मई को ही पैंगोंग त्सो में भारत और चीन की सेना के बीच में झड़प हुई थी. डॉक्यूमेंट के मुताबिक चीन ने 17 से 18 मई के बीच लद्दाख में कुंगरांग नाला, गोगरा और पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर अतिक्रमण किया है.
चीनी सेना को पांचवें दौर की सैन्य वार्ता में भारत ने दी चेतावनी
भारतीय सेना ने चीनी सेना को पांचवें दौर की सैन्य वार्ता में यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वह देश की क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगी. भारत ने कहा कि पैंगोंग सो और पूर्वी लद्दाख में विवाद के कुछ अन्य स्थानों से सैनिकों की वापसी जल्द से जल्द पूरी होनी चाहिए.
जानकारी के मुताबिक दोनों देशों की सेनाओं के वरिष्ठ कमांडरों ने रविवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की तरफ मोल्दो में लगभग 11 घंटे तक वार्ता की.
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट और कड़े शब्दों में चीनी पक्ष को बताया कि दोनों देशों के बीच समग्र संबंधों के लिए पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में विवाद शुरू होने से पहले की यथास्थिति की बहाली आवश्यक है और बीजिंग को विवाद के बाकी बिन्दुओं से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित करनी चाहिए. उन्होंने बताया कि यह संदेश स्पष्ट रूप से दिया गया कि भारतीय सेना देश की क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगी.
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