बिहार चुनाव के बाद कांग्रेस में कलह जारी, खुर्शीद ने बहादुरशाह जफर की लाइनों के जरिए सिब्बल पर कसा तंज
सलमान खुर्शीद ने फेसबुक पोस्ट के जरिए कपिल सिब्पल पर निशाना साधा. इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कपिल सिब्बल पर निशाना साध चुके हैं.
नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार ने कांग्रेस में कलह जारी है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बाद अब कपिल सिब्बल पर सलमान खुर्शीद ने निशाना साधा है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने एक फेसबुक पोस्ट कर इशारों-इशारों में सिब्बल पर निशाना साधा है. खुर्शीद ने आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर की लाइनों के साथ अपनी पोस्ट की शुरुआत की है.
खुर्शीद ने लिखा है, “न थी हाल की जब हमें खबर रहे देखते औरों के ऐबो हुनर, पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नजर तो निगाह में कोई बुरा न रहा.' साफ है इन लाइनों के जरिए खुर्शीद कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करने वाले नेताओं को अपने गिरेबान में झांकने की सलाह दे रहे हैं.
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा है, "बहादुर शाह जफर और ऊपर दिए गए उनके शब्द हमारी पार्टी के कई सहयोगियों के लिए एक उपयोगी साथी हो सकते हैं, जो समय-समय पर चिंता का दर्द झेलते हैं. जब हम कुछ बेहतर करते हैं, तो निश्चित रूप से कुछ हद तक वे इसे आसानी से कबूल कर लेते हैं. लेकिन जब हम कमजोर होते हैं, तो वे अपने नाखूनों से कचोटने की जल्दी में होते हैं. ऐसा लगता है कि अब तो भविष्य की निराशा के लिए उनके बहुत कम ही नाखून बचे होंगे."
खुर्शीद ने यह भी लिखा है कि सत्ता से बाहर किया जाना सार्वजनिक जीवन में आसानी से स्वीकार नहीं किया जा सकता लेकिन अगर यह मूल्यों की राजनीति का परिणाम है तो इसके सम्मान के साथ स्वीकार किया जाना चाहिए. अगर हम सत्ता हासिल करने के लिए अपने सिद्धांतों के साथ समझौता करते हैं तो इससे अच्छा है कि हम ये सब छोड़ दें.
बता बिहार चुनाव के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री सिब्बल ने कहा है कि ऐसा लगता है कि पार्टी नेतृत्व ने शायद हर चुनाव में पराजय को ही अपनी नियति मान ली है. उन्होंने कहा कि बिहार ही नहीं, उपचुनावों के नतीजों से भी ऐसा लग रहा है कि देश के लोग कांग्रेस पार्टी को प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं.
कपिल सिब्बल के बयान पर राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा, ''कपिल सिब्बल को पार्टी के अंदरूनी मामले के बारे में मीडिया में जिक्र करने की जरूरत नहीं थी. उनके बयान से पार्टी कार्यकर्ताओं को ठेस पहुंची है.''
गहलोत ने कहा, '' 1969, 1977, 1989 और 1996 में भी कांग्रेस ने संकट देखा, हर बार पार्टी की नीतियों और आदर्श से हम फिर उठकर बाहर आए.'' उन्होंने कहा कि इस बार हार के कई कारण हैं. लेकिन हर बार की तरह हम ऐसे संकट से और मजबूत होकर निकलते रहे हैं.''
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