नई दिल्ली: कोविड टीकाकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज दिलचस्प चर्चा हुई. जजों का कहना था कि वकीलों को अपने काम के चलते लोगों के संपर्क में आना पड़ता है. इसलिए, उन्हें वैक्सीन लगाने में प्राथमिकता देने पर विचार करना चाहिए. जबकि सरकार का कहना था कि अगर इस तरह से प्राथमिकता तय की गई तो दूसरे व्यवसाय से जुड़े लोग भी ऐसी मांग करेंगे. इससे पूरा टीकाकरण अभियान प्रभावित होगा.
'मुझे भी वैक्सीन नहीं लगी'
केंद्र सरकार के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि एक विशेषज्ञ समिति वैक्सीनेशन से जुड़े मामलों को देख रही है. उसने उम्र और बीमारी के आधार पर टीकाकरण में प्राथमिकता तय की है. मेहता ने कोर्ट को बताया, "न मेरी आयु 60 से ऊपर है, न कोई ऐसी बीमारी है जिसके चलते मुझे तुरंत वैक्सीन देना जरूरी हो. इसलिए, मुझे भी वैक्सीन नहीं लगा है." उन्होंने आगे दलील दी कि कमिटी को उसका काम करने देना चाहिए. सरकार का लक्ष्य नागरिकों को जल्द से जल्द वैक्सीन देना है.
'सब्जी वाले से भेदभाव क्यों?'
3 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा कि वकीलों की चिंता जायज है. अपना रोजगार कमाने के लिए उन्हें लोगों के संपर्क में आना पड़ता है. इस पर सॉलिसीटर जनरल ने कहा, "अगर एक 35 साल के वकील को उसके व्यवसाय के चलते वैक्सीन पहले दिया जा सकता है, तो इसी उम्र के किसी सब्जी वाले से भेदभाव कैसे कर सकते हैं? उसे भी आजीविका कमाने के लिए सब्जी मंडी में सैकड़ों लोगों से मिलना पड़ता है."
CJI को पत्रकारों के काम का पता नहीं
चीफ जस्टिस ने कहा कि कोई भी काम करते समय सरकार को अलग-अलग श्रेणी के लोगों को देखना होता है. वकीलों की मांग अनुचित नहीं कही जा सकती. इस पर मेहता ने कहा, "हम इस बात को गलत नहीं ठहरा रहे. हमारी चिंता किसी एक वर्ग को प्राथमिकता देने पर है. कल को दूसरे लोग भी ऐसी मांग करेंगे. पत्रकार भी कह सकते हैं कि उन्हें लोगों से मिलना पड़ता है."
इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "हम पत्रकारों के काम के बारे में नहीं जानते. हमें नहीं पता कि क्या वह लोगों से मिले बिना काम नहीं कर सकते." सॉलिसीटर जनरल ने कहा, "तो आप बैंक कर्मचारियों का उदाहरण ले लीजिए. उनके लिए भी तो लोगों के संपर्क में आना जरूरी है."
अगले हफ्ते फिर सुनवाई
इसके बाद जजों ने सरकार से पूरी स्थिति पर विचार कर जवाब देने को कहा. उन्होंने टिप्पणी की, "हम मेडिकल विशेषज्ञ नहीं हैं. अपनी सामान्य समझ से बात कर रहे हैं. सरकार अपनी विशेषज्ञ समिति से बात करे और हमें जानकारी दे." फिलहाल कोर्ट ने अगले हफ्ते फिर सुनवाई की बात कही है.
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