पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट से सैनिकों एवं हथियारों को हटाने का काम पूरा करने के बाद भारत और चीन शनिवार को एक और दौर की उच्चस्तरीय सैन्य वार्ता करेंगे, ताकि पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग क्षेत्रों से भी सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके. समाचार एजेंसी पीटीआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से शुक्रवार को बताया कि दसवें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की तरफ मोल्दो सीमा बिन्दु पर कल सुबह 10 बजे शुरू होगी.
उन्होंने कहा कि पैंगोंग झील क्षेत्र से सैन्य वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों पक्षों के बीच वरिष्ठ अधिकारी स्तर पर यह पहली वार्ता होगी. सूत्रों ने कहा कि पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों की वापसी, अस्त्र-शस्त्रों तथा अन्य सैन्य साजो-सामान और बंकरों, तंबुओं तथा अस्थायी निर्माणों को हटाने का काम गुरुवार को पूरा हो गया एवं दोनों पक्षों ने इसकी भौतिक पड़ताल कर ली है.
उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्ष पैंगोंग झील क्षेत्र से वापसी की प्रक्रिया की समग्र समीक्षा भी करेंगे.’’ इस बीच, चीन ने पहली बार आधिकारिक तौर पर यह कहा कि पिछले साल जून में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़प में उसके चार सैनिक मारे गए थे. गलवान घाटी में हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे.
अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट में कहा गया था कि इस झड़प में चीन के 35 सैनिक हताहत हुए थे. सूत्रों ने संकेत दिया कि शनिवार को होने वाली वार्ता में भारत क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए शेष इलाकों से सैनिकों की जल्द वापसी पर जोर देगा. भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध को नौ महीने हो गए हैं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 फरवरी को संसद में एक बयान में कहा था कि भारत और चीन के बीच पैंगोंग झील क्षेत्र से सैनिकों को चरणबद्ध तरीके से हटाने का समझौता हो गया है. उन्होंने कहा था कि समझौते के अनुरूप चीन अपनी सेना की टुकड़ियों को हटाकर पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे में फिंगर आठ क्षेत्र की पूर्व दिशा की ओर ले जाएगा. उन्होंने कहा कि भारत अपनी सैन्य टुकड़ियों को फिंगर तीन के पास अपने स्थायी शिविर धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा.
सिंह ने कहा था कि इसी तरह का कदम पैंगोंग झील के दक्षिणी तट क्षेत्र में उठाया जाएगा. रक्षा मंत्री ने कहा था कि इस पर सहमति बनी है कि पैंगोंग झील क्षेत्र में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के 48 घंटे के भीतर दोनों पक्षों के वरिष्ठ कमांडरों की अगली बैठक अन्य सभी मुद्दों को हल के लिए बुलाई जाएगी. सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों के सैनिक समझौते के अनुरूप अपने-अपने ठिकानों पर पीछे लौट गए हैं.
सैन्य वापसी की प्रक्रिया 10 फरवरी को शुरू हुई थी. शनिवार को होने वाली वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन करेंगे जो लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर हैं. वहीं, चीनी पक्ष का नेतृत्व मेजर जनरल लिउ लिन करेंगे जो चीनी सेना के दक्षिणी शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर हैं.
दोनों देशों के बीच पिछले साल पांच मई को पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक संघर्ष के बाद सैन्य गतिरोध शुरू हुआ था और फिर हर रोज बदलते घटनाक्रम में दोनों पक्षों ने भारी संख्या में सैनिकों तथा घातक अस्त्र-शस्त्रों की तैनाती कर दी थी.
गतिरोध के लगभग पांच महीने बाद भारतीय सैनिकों ने कार्रवाई करते हुए पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर क्षेत्र में मुखपारी, रेचिल ला और मगर हिल क्षेत्रों में सामरिक महत्व की कई पर्वत चोटियों पर कब्जा कर लिया था. भारतीय सेना ने मंगलवार को वीडियो जारी किए थे जिनमें पैंगोंग क्षेत्र में चीनी सैनिक वापस जाते, अपने बंकरों को तोड़ते, शिविरों और अन्य ढांचे को हटाते दिखाई दिए.
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