Disengagement Process India and China: पूर्वी लद्दाख के पैट्रोलिंग-पॉइंट नंबर (PP) 15 पर 12 सितंबर तक डिसइंगेजमेंट पूरा हो गया है. यानी दोनों देशों के सैनिक पीछे हटकर अपने-अपने एरिया में चले गए हैं. दोनों देशों की सेनाओं ने अपने सभी अस्थायी स्ट्रक्चर (बंकर) और उनसे जुड़े अस्थायी मूलभूत ढांचे को तोड़ दिया हैं. साथ ही इस इलाके की पूरी जमीन समतल कर दी गई है.


इसके अलावा दोनों देश इस बात की तस्दीक भी करते रहेंगे कि इस जगह पर स्टैंड-ऑफ न हो. दोनों देशों की सेनाएं फॉरवर्ड-डिप्लोयमेंट नहीं करेंगी. पीपी-15 पर भले ही डिसइंगेजमेंट हो रहा हो यानी भारत‌ और चीन के सैनिक पीछे हट रहे हैं लेकिन, इसके मायने से कतई नहीं है कि पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर पूरी तरह शांति छा गई है.


डि-एस्केलेशन और डि-इंडक्शन भी जरूरी 


डिसइंगेजमेंट के बाद भारत चाहता है कि चीन डि-एस्केलेशन और डि-इंडक्शन भी करें. जब तक डि-एस्केलेशन और डि-इंडक्शन नहीं होता है तब तक पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर अप्रैल 2020 वाली स्थिति नहीं आ सकती है, जो सीमा पर शांति के लिए बेहद जरूरी है.


डि-एस्केलेशन यानी एलएसी पर चीनी सैनिकों के साथ साथ टैंक, तोप और मिसाइलों के जखीरे में कमी लाई जाए. क्योंकि इस वक्त पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी के करीब डेप्थ में चीन के करीब 60 हजार सैनिक तैनात हैं. ये सभी सैनिक एलएसी के बेहद करीब तैनात हैं. ऐसे में एलएसी पर सैनिकों की संख्या कम करना बेहद जरूरी है.


कई इलाकों में अब भी विवाद जारी 


भले ही मई 2020 के बाद पैदा हुए सभी पांचों विवादित इलाकों ( गलवान घाटी, पैंगोंग-त्सो लेक से सटे फिंगर एरिया, कैलाश हिल रेंज, गोगरा-हॉट स्प्रिंग के पीपी-17 ए,  पीपी 15) से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गई हैं लेकिन, अभी भी पूर्वी लद्दाख में डेपसांग प्लेन और डेमचोक इलाके ऐसे हैं जहां वर्ष 2008 और 2013 से विवाद चल रहा है. इन दोनों इलाकों को लेकर अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है.


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