भारत-चीन के बीच सीमा पर डिसइंगेजमेंट शुरू, तीन प्वाइंट से दोनों देशों के सैनिक ढाई से तीन किलोमीटर पीछे हटे
लद्दाख में भारत और चीन के बीच चले सीमा के बाद अब सीमा पर डिसइंगेजमेंट शुरू हो गया है. 6 जून की मीटिंग में डिसइंगेजमेंट पर बात बनी थी. गोगरा की तीन पाउंट से दोनों देशों के सैनिक ढाई से तीन किलोमीटर पीछे हट गए हैं.
नई दिल्लीः भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम होने की उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि दोनों देशों की सेनाओं ने 'डिसइंगेजमेंट' शुरू कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक, लद्दाख में तीन (03) जगह ऐसी हैं जहां पर दोनों देशों के सैनिक ढाई से तीन किलोमीटर पीछे हट गए हैं. लेकिन भारत के लिए फिंगर-एरिया में चीनी सेना की बड़ी तादाद में मौजूदगी लगातार परेशान कर रही है, जो दोनों देशों के बीच तनाव की मुख्य वजह है.
गोगरा में 3 जगहों पर पीछे हटे सैनिक
सूत्रों के मुताबिक, हॉट-स्प्रिंग के करीब गोगरा में पाउंट-14, 15 और 17 में दोनों देशों के सैनिक कम से कम ढाई से तीन किलोमीटर पीछे हट गए हैं यानि 'डिसइंगेज' हो रहे हैं. गोगरा में भी मई महीने की शुरूआत से दोनों देशों के बीच में तनाव चल रहा था और सैनिकों के आमने-सामने आने से फेसऑफ की स्थिति बनी हुई थी. लेकिन अब यहां स्थिति सुधर रही है. हालांकि, गोगरा के कुछ और ऐसे पाउंट हैं जहां अभी भी तनाव बरकार है.
जानकारी के मुताबिक, गैलवान घाटी में 6 जून को हुई दोनों देशों के कोर-कमांडर्स की बैठक से पहले ही डिसइंगेजमेंट शुरू हो गया था. ये खबर सबसे पहले एबीपी न्यूज ने दी थी. गैलवान घाटी में चीनी सेना ने अपने टेंट पहले ही कम कर दिए थे. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यहां भी फेसऑफ खत्म हो सकता है. हालांकि, भारत के लिए गैलवान घाटी में शुरूआत से ही कोई ज्यादा परेशानी नहीं थी. क्योंकि चीन के कैंप उसकी ही सीमा में थे. भारतीय सेना ने भी चीनी कैंप से करीब 500-600 मीटर की दूरी पर अपना कैंप लगा लिया था. यहां पर चीनी सेना भारतीय सैनिकों को गैलवान नदीं पर एक पुल बनाने के लिए रोक रही थी.
फिंगर-एरिया में रोड़ बनाए जाने से गुस्सा था चीन
गोगरा इलाका हॉट-स्प्रिंग से सटा हुआ है और गैलवान घाटी से ज्यादा दूरी पर नहीं है. ये सभी इलाके सबस-सेक्टर नार्थ यानि एसएसएन का हिस्सा हैं जो पूर्वी लद्दाख में है. चीनी सेना ने यहां पर कैंप इसलिए लगा लिए थे, क्योंकि भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग-त्सो लेक से सटे फिंगर-एरिया तक पहुंचने के लिए इस जगह पर एक विकल्प रास्ता बना लिया था. इससे चीन सेना बौखला उठी थी. अभी तक विवादित फिंगर-एरिया तक पहुंचने के लिए पैंगोंग-त्सो लेक के करीब फोबरांग से ही रास्ता था. लेकिन गोगरा से विकल्पिक रास्ते से चीन को तिलमिला उठा था.
सूत्रों के मुताबिक, ये डिसइंगेजमेंट 6 जून को दोनों देशों के कोर-कमांडर्स की बैठक के बाद बनी सहमति के बाद किया गया है. इस मीटिंग में भारतीय सेना की तरफ से लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह शामिल हुए थे जबकि चीन की तरफ से पीप्लुस लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की दक्षिणी शिंचियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक के कमांडर, मेजर जनरल लियु लीन ने हिस्सा लिया था. ये मीटिंग एलएसी की चुशूल-मोलडो मीटिंग-पाउंट पर हुई थी. करीब 6 घंटे चली इस मीटिंग में कॉन्फिडेंस बिल्डिंग-मेज़र्स (सीबीएम) के तहत ही दोनों देशों की सेनाएं डिसइंगेजमेंट के लिए तैयार हुई थीं.
सैन्य कमांडर्स ने मीटिंग में एलएसी पर ‘स्टेट्स कयो’ पर दिया जोर
दोनों देशों की सेनाओं के सबसे बड़े सैन्य कमांडर्स की इस मीटिंग के दौरान भारत ने चीन से एलएसी पर ‘स्टेट्स कयो’ यानि अप्रैल महीने की शुरूआत वाली स्थिति को बनाने पर जोर दिया था. हालांकि, चीन की तरफ से सीमावर्ती इलाकों में सड़क और दूसरे निर्माण-कार्यों को बंद करने पर दवाब डाला जा रहा है.
लेकिन भारत के लिए फिंगर-एरिया बड़ा सिरदर्द बना हुआ है जहां चीनी सेना भारतीय सैनिकों को फिंगर-नंबर चार (04) से आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, चीनी सेना ने फिंगर चार और पांच के बीच अपनी पूरी छावनी खड़ी कर लिए है. भारतीय सेना ने भी अपनी तैनाती फिंगर-नंबर चार पर मजबूत कर ली है. लेकिन चीनी सेना अब भारतीय सैनिकों को फिंगर चार से आगे पैट्रोलिंग नहीं करने दे रही है, जबकि पहले भारतीय सैनिक आगे तक गश्त करते आए थे.
दोनों देशों के बटालियन कमांडर के बाद ब्रिगेड-कमांडर के बीच हो सकती है बैठक
जानकारी के मुताबिक, पूरी तरह से तनाव खत्म करने के लिए दोनों देशों की सेनाओं के बटालियन कमांडर (कमांडिंग ऑफिसर जो कर्नल रैंक के अफसर हैं) वे अभी और मीटिंग करेंगे ताकि जमीनी स्तर पर डिसइंगेजमेंट हो पाए. माना जा रहा है कि ब्रिगेड-कमांडर (ब्रिगेडियर स्तर के अधिकारियों) के बीच भी बैठक हो सकती है. लेकिन फिंगर-एरिया का विवाद खत्म करने के लिए कोर-कमांडर या फिर मेजर-रैंक के अधिकारियों के बीच अभी और मीटिंग हो सकती हैं.
जानकारी के मुताबिक, चीनी सेना ने जितने भी टैंक, आर्मर्ड व्हीकल्स और तोपों को भारत से सटी एलएसी यानि लाइन ऑफ एकचुयल कंट्रोंल पर जरूर तैनात किया है लेकिन वो सभी भारतीय ठिकानों से काफी दूर है. यानि करीब करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर है. भारत ने भी हालांकि एलएसी से इतनी ही दूरी पर अपने मैकेनाइजड-फोर्सेज़ को तैनात कर दिया था ताकि चीन की किसी भी चाल का जवाब दे दिया जाए. आपकों बता दें कि एबीपी न्यूज ने ही सबसे पहले ये बताया था कि चीनी सेना ने तिब्बत में एक बड़े युद्धभ्यास की आड़ में अपने लाइट-टैंक और तोपों को एलएसी के करीब तैनात कर दिया है.
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