अयोध्या में साधु संतों के घमासान: वेदांती के खिलाफ बयानबाजी करने पर तपस्वी छावनी ने महंत परमहंस दास को निकाला
परमहंस की बयानबाजी और राजनैतिक तरीके से ऑडियो वायरल करने से नाराज सर्वेश्वर दास जी ने कहा कि उन्होंने कुछ समय पहले परमहंस को उत्तराधिकारी घोषित किया था.
अयोध्या: अयोध्या भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आम जनता में पूरी तरह शांति सद्भाव बना रहा लेकिन ट्रस्ट गठन को लेकर साधु संतों में आपसी मतभेद और मनभेद गहराता चला जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने 90 दिनों के भीतर ट्रस्ट के गठन करने का केंद्र सरकार को आदेश दिया है. इसी ट्रस्ट को लेकर संतों में विवाद शुरू होता दिख रहा है. ऐसा नहीं कि विवाद सिर्फ हिंदुओं में है. मुस्लिम नेताओं ने भी रविवार को लखनऊ में बैठक बुलाई है, जिससे मुख्य मुद्दई इकबाल अंसारी ने किनारा कर लिया है.
रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास जी ने सबसे पहले न्यास को ही ट्रस्ट मानकर मंदिर निर्माण का काम उन्हें सौंपने की बात कही. नृत्य गोपाल दास के बयान के बाद संतों में अंदरूनी बातचीत शुरू हुई. इसी बातचीत का एक अंश ऑडियो क्लिप के जरिए सामने आया. इस ऑडियो क्लिप में पूर्व बीजेपी सांसद और रामजन्मभूमि आन्दोलन से जुड़े संत रामविलास वेदांती और तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी परमहंस दास के बीच की बातचीत रिकॉर्ड हुई. इसमें वेदांती खुद ट्रस्ट के अध्यक्ष बनने की इच्छा जताते हुए परमहंस दास से उनकी पैरवी की बात करते सुने गए. वेदांती नाथ सम्प्रदाय यानी गोरखनाथ मंदिर से जुड़े किसी को रखने का भी विरोध करते सुने जा सकते हैं. वेदांती और परमहंस के इस ऑडियो क्लिप का असर यह हुआ कि वेदांती ने इस ऑडियो क्लिप में अपनी आवाज होने की बात से इनकार कर दिया. वहीं परमहंस की इस हरकत से नाराज तपस्वी छावनी के प्रमुख सर्वेश्वर दास जी ने परमहंस को अपने मठ से निकालने का बयान जारी कर दिया.
परमहंस की बयानबाजी और राजनैतिक तरीके से ऑडियो वायरल करने से नाराज सर्वेश्वर दास जी ने कहा कि उन्होंने कुछ समय पहले परमहंस को उत्तराधिकारी घोषित किया था. हालांकि लगातार उनकी बयानबाजियों को देखते हुए तपस्वी छावनी से उन्हें निकाला जाता है.
इस मामले में राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सतेंद्र दास जी ने कहा कि कुछ लोगों की बयानबाजी को संतों में मतभेद कहा जाना ठीक नहीं है. उन्होंने नृत्य गोपाल दास के राम जन्मभूमि न्यास को ट्रस्ट के तौर पर मानकर उन्हें मंदिर निर्माण का काम दिए जाने का विरोध किया. उन्होंने साफ कहा कि सरकार को ट्रस्ट बनाने का काम करना है. हालांकि सतेंद्र दास ने नई मांग उठा दी है. उन्होंने नई मांग रखते हुए कहा कि जबतक भव्य राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता तबतक रामजन्मभूमि पर अस्थाई ढांचा तैयार करना चाहिए जिससे रामलला को टेंट में ना रहना पड़े.
संतों के विवाद पर अयोध्या मामले के पक्षकार रहे धरम दास जी महाराज ने कहा कि कुछ लोग बिना वजह विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संतों को ऐसी बात करनी चाहिए कि मंदिर निर्माण का काम प्रशस्त हो, ना कि उसमें विवाद हो. उन्होंने कहा कि कुछ लोग स्वार्थवश बयानबाजी कर रहे हैं. धरम दास का कहना है कि मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने की जिम्मेदारी सरकार की है, ऐसे में कुछ दिनों के इंतजार के बाद मंदिर बनना ही है, ऐसे में अब हड़बड़ी करने की आवश्यकता नहीं है.
अयोध्या में संत समिति के अध्यक्ष कन्हैया दास जी भी धरम दास का समर्थन करते दिखे. उन्होंने कहा कि साधु संतों को बयानबाजी नहीं करनी चाहिए. सिर्फ कुछ लोगों की बयानबाजी से विवाद की बात आ रही है. ऐसे में विवाद खड़ा करने वालों पर ध्यान ना देकर संतों को सरकार के फैसले का इंतजार करना चाहिए. कन्हैया दास ने कहा कि नृत्य गोपाल दास आदरणीय साधु हैं और उनका कहना सही है लेकिन कोर्ट के फैसले के आधार पर सरकार जो करेगी, वो उसका समर्थन करते हैं. ओवैसी के बयान पर कन्हैया दास ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ओवैसी का कोई वास्ता अयोध्या से नहीं है, ऐसे में उनका कुछ भी बोलना ठीक नहीं है.