मुंबई: 21 मई को महाराष्ट्र विधान परिषद की 9 सीटों पर चुनाव होने हैं. इन सीटों पर अगर सिर्फ 9 ही उम्मीदवार उतरते हैं तो चुनाव नहीं होंगे लेकिन कांग्रेस ने अपने हिस्से से एक उम्मीदवार ज्यादा उतारा है, जिसकी वजह से उम्मीदवारों की संख्या कुल 10 हो गई है. सूत्रों के मुताबिक राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इससे खफा हो गए हैं. सीएम के पद पर टिके रहने की खातिर ठाकरे के लिए विधान परिषद में चुना जाना बेहद जरूरी है.
विधान सभा में हर पार्टी के पास विधायकों का जो आंकड़ा है उसके मुताबिक बीजेपी को 4 सीटें, शिवसेना को 2 सीटें, एनसीपी को 2 सीटें और कांग्रेस को 1 सीट मिल रही है. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस एक सीट ज्यादा चाहती है क्योंकि उसका शुरू से मानना रहा है कि तीनों पार्टियों की सरकार के गठन के वक्त उसके साथ इंसाफ नहीं किया गया. उसे न तो उपमुख्यमंत्री पद मिला और न ही ज्यादा मंत्रालय. इसकी भरपाई अब कांग्रेस ज्यादा विधानपरिषद सीट लेकर करना चाहती है. यही वजह है कि कांग्रेस ने एक के जगह 2 उम्मीदवारों का ऐलान किया है.
कांग्रेस की ओर से राजेश राठोड़ और राजकिशोर मोदी के नामों की घोषणा बतौर उम्मीदवार की गई है. इससे सत्ताधारी महाविकास आघाडी के आपसी समीकरण बिगड़ गये हैं और अगर कांग्रेस के दोनों में से एक उम्मीदवार ने पर्चा वापस नहीं लिया तो चुनाव नहीं टाला जा सकता.
शिवसेना के हिस्से में आ रही दो सीटों में से एक सीट पर खुद उदठाकरे पर्चा भर रहे हैं और दूसरी सीट पर शिवसेना की वरिष्ठ नेता नीलम गोरे पर्चा भर रहे हैं. बीजेपी ने भी अपनी चारों सीटों पर गोपीटंद पडालकर, प्रवीण दटके, डॉ. अजीत गोपछडे और रणजीतसिंह मोहित पाटिल के नाम का ऐलान किया है. इन लोगों को टिकट देने के लिये बीजेपी ने पार्टी के कई दिग्गज जैसे पंकजा मुंडे और एकनाथ खडसे का पत्ता काट दिया. एनसीपी की ओर से शशीकांत शिंदे और अमोल मिटकरी को टिकट दिया जा रहा है.
उद्धव ठाकरे के लिए विदान परिषद में चुना जाना बेहद जरूरी है क्योंकि संविधान के मुताबिक सीएम पद की शपथ लेने के 6 महीने के भीतर उन्हें विधीमंडल के किसी एक सदन का सदस्य होना है. उनकी मियाद 28 मई को पूरी हो रही थी. ये चुनाव अप्रैल मे होने थे लेकिन लॉकडाऊन की वजह से रद्द कर दिये गए. हाल ही में सभी पार्टियों की मांग पर चुनाव का ऐलान हुआ.
सूत्रों के मुताबिक शिवसेना की ओर से कांग्रेस से नाराजगी जता दी गई है, लेकिन कांग्रेस फिलहाल दोनो सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर अडिग है. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि एनसीपी को अपना एक उम्मीदवार कम करना चाहिए.