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CBI Vs CBI: राकेश अस्थाना की नियुक्ति से जस्टिस सीकरी के जाने तक का पूरा तारीखवार विवाद

सीबीआई विवाद शुरू होने के बाद से यमुना में बहुत पानी बह चुका है. सीबीआई में मचे इस पूरे घमासान की नींव आज से तीन साल पहले 2016 में ही पड़ चुकी थी. आज हम आपको तारीख वार सीबीआई की 'महाभारत' समझा रहे हैं, बेहद आसान शब्दों में...

नई दिल्ली: सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा को हटाने के फैसले पर विवाद थमता नहीं दिख रहा है. विवाद तब बढ़ गया जब हाई पॉवर सलेक्शन कमेटी में शामिल जस्टिस ए के सीकरी को सरकार ने लंदन में कॉमनवेल्थ सेक्रेटरिएट आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल (CSAT) के सदस्य के लिए मनोनीत किया. कांग्रेस ने इसे आलोक वर्मा के खिलाफ दिए उनके फैसले से जोड़ दिया. विवाद के बाद जस्टिस ए के सीकरी ने CSAT के सदस्य पद पर सरकार का प्रस्ताव ठुकरा दिया.

पीएम मोदी की अगुवाई में सलेक्शन कमेटी ने 2-1 के फैसले से आलोक वर्मा की सीबीआई निदेशक पद से छुट्टी कर दी थी. इस कमेटी में पीएम मोदी और जस्टिस सीकरी ने वर्मा को हटाने के पक्ष में जबकि मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें पद पर रहने देने के पक्ष में वोट किया था. जिसके बाद से इस मामले पर राजनीति जारी है. सीबीआई विवाद शुरू होने के बाद से यमुना में बहुत पानी बह चुका है. सीबीआई में मचे इस पूरे घमासान की नींव आज से करीब तीन साल पहले 2016 में ही पड़ चुकी थी. आज हम आपको तारीख वार सीबीआई की 'महाभारत' समझा रहे हैं, बेहद आसान शब्दों में... अप्रैल 2016: गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को सीबीआई में एडिशनल डायरेक्टर नियुक्त किया गया. तीन दिसंबर 2016: अनिल शर्मा के रिटायरमेंट के बाद अस्थाना को अंतरिम सीबीआई निदेशक बनाया गया. 19 जनवरी 2017: आलोक वर्मा को दो साल के कार्यकाल के साथ सीबीआई प्रमुख नियुक्त किया गया. 22 अक्टूबर 2017: राकेश अस्थाना स्पेशल डायरेक्टर बनाए गए. 2 नवंबर 2017: वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने एनजीओ कॉमन कॉज की तरफ से अस्थाना की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. 28 नवंबर 2017: सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण की अपील खारिज कर दी. 12 जुलाई 2018: जब वर्मा विदेश में थे तब सीवीसी ने प्रमोशन के मुद्दे पर बात करने के लिए बैठक बुलाई. सीबीआई ने सीवीसी से कहा अस्थाना वर्मा की जगह बैठक में नहीं जा सकते. 24 अगस्त 2018: राकेश अस्थाना ने आलोक वर्मा के खिलाफ गलत व्यवहार की शिकायत कैबिनेट सचिव को शिकायत कर दी. कैबिनेट सचिव ने अस्थाना की शिकायत सीवीसी के पास भेज दी. 21 सितंबर 2018: सीबीआई ने सीवीसी को बताया कि राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के 6 केस चल रहे हैं. 15 अक्टूबर 2018: सीबीआई ने राकेश अस्थाना, डीएसपी देवेंद्र कुमार, दुबई स्थित इंवेस्टमेंट बैंकर मनोज प्रसाद और उसके भाई सोमेश प्रसाद के खिलाफ घूसखोरी का केस दर्ज किया. 16 अक्टूबर 2018: सीबीआई ने दलाल मनोज प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया. 20 अक्टूबर 2018: सीबीआई ने डीएसपी देवेंद्र कुमार के घर, दफ्तर और सीबीआई मुख्यालय पर छापा मारा. सीबीआई ने उनका फोन और आईपैड सीज़ करने का दावा किया. 22 अक्टूबर 2018: सीबीआई ने डीएसपी देवेंद्र कुमार को बिजनेसमैन सतीश साना के बयान से छेड़छाड़ में गिरफ्तार कर लिया. सतीश शाह पर मीट कारोबारी मोईन कुरैशी से जुड़े रिश्वतखोरी का केस था. 23 अक्टूबर 2018: डीएसपी देवेंद्र कुमार ने अपने खिलाफ एफआईआर को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी. इसके कुछ घंटे बाद ही राकेश अस्थाना भी अपने खिलाफ दायर एफआईआर रद्द दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गए. इसके साथ ही अस्थाना ने सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई को उनके खिलाफ कोई कठोर कदम ना उठाने के लिए भी कहा. - इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई में यथास्थिति बनाए रखने को कहा. सीबीआई से दोनों की अपील पर रिपोर्ट देने को कहा. - देर रात डीओपीटी ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया. इसके बाद नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम डायरेक्टर बनाया गया 24 अक्टूबर 2018: आलोक वर्मा ने सरकार द्वारा छुट्टी पर भेजने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. 25 अक्टूबर 2018: एनजीओ कॉमन ने सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई अस्थाना समेत सभी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच के लिए एसआईटी बनाने के लिए पीआईएल दायर की. 26 अक्टूबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी को आलोक वर्मा पर लगे आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही वर्मा को छुट्टू पर भेजे जाने वाले आदेश पर सीवीसी और सरकार का पक्ष मांगा. - सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम सीबीआई प्रमुख नागेश्वर राव से कोई बड़ा या नीतिगत फैसला ना लेने को कहा. इसके साथ ही अभी तक लिए गए फैसलों की सीलबंद लिफाफे में जानकारी भी मांगी. - सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ कॉमन कॉज की अपील पर केंद्र सरकार, सीबीआई, सीवीसी, राकेश अस्थाना, आलोक वर्मा और नागेश्वर राव को नोटिस जारी किया. 30 अक्टूबर 2018: सुप्रीम कोर्ट हैदराबाद पुलिस को राकेश अस्थाना के खिलाफ शिकायत कर्ता सतीश साना को पर्याप्त सुरक्षा देने का निर्देश दिया. - अस्थाना से जुड़े भ्रष्टाचार केस की जांच कर रहे सीबीआई डिप्टी एसपी एके बस्सी ने अपने ट्रांसफर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. 31 अक्टूबर: सीबीआई के एडिशनल एसपी एसएस गुरुम राकेश अस्थाना के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे. 1 नवंबर 2018: सीबीआई ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि राकेश अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी संज्ञेय अपराध को दर्शाती है. सीबीआई ने अस्थाना की याचिका का विरोध किया. सीबीआई और अस्थाना ने इस मामले में एडिशनल एसपी एसएस गुरुम की याचिका का विरोध किया. 12 नवंबर 2018: सीवीआई ने सीलबंद लिफाफे में जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी. 19 नवंबर 2018: राकेश अस्थाना मामले की जांच कर रहे अधिकारी ने अपना ट्रांसफर नागपुर रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. 27 नवंबर 2018: ट्रायल कोर्ट ने दलाल मनोज प्रसाद की न्यायिक हिरासत 11 दिसंबर तक बढ़ा दी. 26 नवंबर 2018: आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दो साल के उनके कार्यकाल से पहले उन्हें नहीं हटाया जा सकता. 5 दिसंबर 2018: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट बताया कि शीर्ष एजेंसी में दो अधिकारियों की लड़ाई ने उपहास का काम किया. 8 जनवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के आलोक वर्मा के छुट्टी पर भेजने के फैसले को पलटा. इसके साथ ही उन्हें नीतिगत फैसले लेने से भी रोका. सुप्रीम कोर्ट आलोक वर्मा पर फैसला लेने का अंतिम अधिकार तीन सदस्यी चयन समिति को दिया. इसमें प्रधानमंत्री, सीजेआई और सबसे बड़ी पार्टी के नेता शामिल थे. 9 जनवरी 2019: सीजेआई रंजन गोगोई ने खुद को सेलेक्ट कमेटी की बैठक से अलग कर लिया. चीफ जस्टिस गोगोई ने ही आलोक वर्मा पर फैसला दिया था. इसलिए उन्होंने सेलेक्ट कमेटी से खुद को अलग कर लिया. 10 जनवरी 2019: आलोक वर्मा को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने सीबीआई प्रमुख पद से हटा दिया. उन्हें फायर सर्विस में डीजी बनाया गया. 11 जनवरी 2019:  आलोक वर्मा ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है. वर्मा ने अपने त्याग-पत्र में कहा कि यह ‘सामूहिक आत्ममंथन' का क्षण है. 13 जनवरी 2019: एक वेबसाइट ने दावा किया कि सीजेआई की जगह चयन समिति में गए जस्टिस एके सीकरी को लंदन में CSAT के सदस्य/अध्यक्ष के लिए मनोनीत किया. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि न्याय के पैमाने से जब छेड़छाड़ की जाती है तो फिर अराजकता का राज आता है. आरोपों के बाद जस्टिस सीकरी ने सरकार का प्रस्ताव ठुकरा दिया.
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