पटना: बिहार बंद को लेकर प्रदेश के महागठबंधन में फूट पड़ती दिखाई दे रही है. बिहार में वामपंथी दलों के बंद को समर्थन देने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई. इस पीसी में महागठबंधन की तमाम पार्टियों के प्रतिनिधि शामिल हुए लेकिन आरजेडी ने इससे दूरी बनाई रखी.


नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी जैसे मुद्दों को लेकर पूरे देश भर में सभी विपक्षी दलों ने एकजुटता दिखाई. वहीं इस मुद्दे को लेकर बिहार महागठबंधन में अब तकरार जैसी स्थिति खड़ी हो गई है. बिहार बंद को लेकर बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में हम पार्टी के जीतन राम मांझी , कांग्रेस के सांसद अखिलेश सिंह, वीआईपी के मुकेश सहनी और आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा शामिल हुए, लेकिन आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द दूरी बनाई. आरजेडी की इस दूरी के सवाल पर आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि इसको लेकर आरजेडी से ही सवाल किया जाना चाहिए.


दरअसल में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर सभी विपक्षी दलों द्वारा बिहार बंद का आह्वान किया जा रहा है. जहां वामपंथी दलों ने 19 दिसंबर को बिहार बंद का ऐलान किया वहीं आरजेडी ने भी महागठबंधन से अलग निर्णय लेते हुए 21 दिसंबर को बंद का ऐलान किया है. महागठबंधन में पड़ी इस फूट को रोकने के लिए आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा ने एकजुटता को कायम रखने का प्रयास किया. इसके लिए कुशवाहा ने एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस की लेकिन इस पीसी में भी आरजेडी शामिल नहीं हुई. जब मीडिया ने इसपर सवाल उठाया तो उन्होंने कहा कि इसका जवाब आरजेडी से ही लेना चाहिए.


वहीं आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने महागठबंधन के प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं आने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन 21 दिसंबर के आरजेडी द्वारा बुलाए गए बिहार बंद पर अपनी प्रतिक्रिया दी. नागरिकता कानून और एनआरसी पर उन्होंने कहा कि आज राष्ट्र के सामने सबसे बड़ी समस्या है और शायद आजाद भारत मे भारत के सामने इतनी बड़ी समस्या कभी नही आई थी. इससे पूरा देश बेचैन है. हम इस देश को अस्वस्थ करने के लिए 21 दिसंबर को हम सड़क पर आएंगे और बिहार बंद का मतलब एक चेतना को विकसित करना है. ये हमारा भीषण आंदोलन होगा, लेकिन इसमें किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं की जाएगी.


महागठबंधन में दावेदारी को लेकर भी आपसी तालमेल बिगड़ता नजर आ रहा है. महागठबंधन में कई दल शामिल हैं ऐसे में सवाल उठता है कि इस महागठबंधन को कौन लीड करेगा, क्योंकि महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण अबतक ये जिम्मेदारी राजेडी के कंधों पर थी, लेकिन अब जब राजेडी महागठबंधन से अलग निर्णय लेते हुए 21 दिसंबर को बिहार बंद करने का ऐलान किया है.


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