योगी के मंत्री उदयभान सिंह का विवादित बयान, कहा- मजदूर खेतों में से चोर-डकैत की तरह भाग रहे हैं
उदयभान सिंह ने कहा कि मजदूर खेतों में से चोर और डकैत जैसे भाग रहे हैं. हम उन्हें बुला रहे हैं, पानी पिला रहे हैं.सपा की प्रवक्ता जूही सिंह ने कहा कि ये निहायत संवेदनहीन और निंदनीय बयान है.
नई दिल्ली: यूपी सरकार के मंत्री ने प्रवासी मजदूरों को लेकर विवादास्पद बयान दिया है. औरैया सड़क दुर्घटना पर यूपी के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) राज्यमंत्री उदयभान सिंह ने कहा कि हमारी संवेदना उनके साथ है. उसमे किसी ने भी हादसे को आमंत्रित नहीं किया. सच्चाई ये है कि अगर वो धैर्य नहीं छोड़ते तो ऐसा नहीं होता. सरकार खाना पानी उपलब्ध करा रही है. जगह-जगह स्टॉल बना रखे हैं, खिचड़ी बना रहे हैं, खाना खिला रहे हैं. कुछ लोग रुक रहे, कुछ नहीं. उन्होंने विवादित बयान देते हुए कहा कि मजदूर खेतों में से चोर और डकैत जैसे भाग रहे हैं. हम उन्हें बुला रहे हैं, पानी पिला रहे हैं.
उदयभान सिंह इस दौरान प्रशासन और पुलिस का बचाव करते भी दिखे. उदयभान के बयान पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू ने कहा कि ''मंत्री का बयान शर्मनाक और निंदनीय है. ये मज़दूरों की ग़रीबी का उपहास करने जैसा है. अगर आप उनका सहयोग नहीं कर सकते तो किसने अधिकार दिया इनको मज़दूरों की लाचारी का मज़ाक़ उड़ाने का.''
चौधरी उदयभान के बयान पर सपा की प्रवक्ता जूही सिंह ने कहा, ''ये निहायत संवेदनहीन और निंदनीय बयान है. जनप्रतिनिधि आगरा इन मज़दूरों को खाना खिला रहे हैं तो कोई एहसान नहीं कर रहे हैं. इन्हें चोर-डकैत बताना शर्मनाक है.''
यूपी के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) राज्यमंत्री उदयभान सिंह ने कहा कि सरकार खाना-पानी दे रही है और मजदूर खेतों से होकर जा रहे चोर डकैत की तरह!!! pic.twitter.com/D7TzNuVoJG
— सिद्धार्थ (@srameshwaram) May 16, 2020
औरैया में क्या हुआ था?
औरैया जिले में शनिवार सुबह ट्रक और डीसीएम मेटाडोर की टक्कर में 24 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गयी जबकि 35 अन्य मजदूर घायल हो गये. पुलिस ने बताया कि कुछ श्रमिक दिल्ली से आ रहे थे और औरैया कानपुर देहात राष्ट्रीय राजमार्ग 19 के पास सुबह तीन से साढ़े तीन बजे के बीच चाय पीने के लिए रुके थे, तभी यह हादसा हुआ. यह हादसा इतना जबरदस्त था कि दोनों वाहन पलट कर नजदीक के एक गड्ढे में जा गिरे. मरने वाले श्रमिकों में अधिकतर झारखंड, पश्चिम बंगाल के थे जबकि दो श्रमिक उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के थे.
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