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भारत के किन-किन इलाकों को लेकर पड़ोसी देश चीन, पाकिस्तान और नेपाल के साथ विवाद

एक तरफ जहां पाकिस्तान के साथ जम्मू-कश्मीर को लेकर दशकों से विवाद चल रहा है तो वहीं भारत का पड़ोसी देश चीन हमारे देश के हजारों किलोमीटर हिस्से पर अपना दावा करता है.

साल 2014 में जब भारत में एनडीए की सरकार बनी और प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने शपथ ग्रहण किया तब उस समारोह में सभी पड़ोसी देशों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था. ऐसा करने का मकसद दुनिया को स्पष्ट संदेश देना था कि भारत अच्छा पड़ोसी बनना चाहता है. इसके अलावा मोदी सरकार की तरफ से अपनी नेबरहुड फर्स्ट नीति के जरिए नेपाल, भूटान,और दक्षिण एशिया के तमाम देशों के साथ रिश्तों को बेहतर बनाने और सुधार लाने की कोशिश भी की गई. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद मौजूदा सरकार के सत्ता में आने के बाद से पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद को लेकर भारत के संबंध बिगड़ते चले गए हैं. 

एक तरफ जहां जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के साथ विवाद है तो वहीं चीन के साथ लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को लेकर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. हालांकि अभी नेपाल के साथ भी भारत के रिश्तों में गर्माहट आ गई है. आइये जानते हैं कि भारत के किन-किन इलाकों को लेकर पड़ोसी देश चीन, पाकिस्तान और नेपाल के साथ विवाद चल रहे हैं. 

पाकिस्तान 

भारत और पाकिस्तान कश्मीर को लेकर आजादी के बाद से ही एक दूसरे के आमने सामने आता रहा है. लेकिन कश्मीर के अलावा भी कई इलाके हैं जिसके कारण ये दोनों देश एक दूसरे से भिड़ते रहे हैं. इन्हीं इलाकों में सियाचिन शामिल है. भारत पाकिस्तान के बीच साल 1972 में शिमला समझौता हुआ था. इस दौरान सियाचिन इलाके को बंजर करार कर दिया गया था. समझौते के बाद इस इलाके पर पाकिस्तान ने अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया. इसका एक कारण माना जाता है कि समझौते में यह नहीं बताया गया कि भारत और पाकिस्तान की सीमा सियाचिन में कहां होगी. वर्तमान में भारत का इस इलाके के ऊपरी हिस्से पर कब्जा है तो वहीं पाकिस्तान का निचले हिस्से पर.

इसके अलावा भारत पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता और सर क्रीक को लेकर भी विवाद है. सर क्रीक भारत के गुजरात और पाकिस्तान के सिंध के बीच 60 किलोमीटर लंबी दलदली जमीन है. इस जमीन को लेकर विवाद साल 1960 में शुरू हुआ. पानी के कटाव के कारण बने सर क्रीक पर लगातार आते रहे ज्वार भाटे के कारण यह तय नहीं किया जा सका कि कितने हिस्से में पानी रहेगा और कितना नहीं.

ऐसे में पाकिस्तान ने बंटवारे के बाद इस इलाके पर अपना हक जता दिया. जिसके बाद भारत ने कच्छ के एक सिरे से दूसरे सिरे तक सीधी रेखा खींची और पाकिस्तान और भारत के जमीन का बंटवारा कर दिया. लेकिन इस प्रस्ताव को पाकिस्तान की तरफ से ठुकरा दिया है. पाकिस्तान का कहना है कि इस खिंची रेखा में 90 प्रतिशत हिस्सा भारत को मिल रहा है. 

चीन 

भारत का पड़ोसी देश चीन हमारे देश के हजारों किलोमीटर हिस्से पर अपना दावा करता है. मई 2020 से ही चीन के साथ पूर्वी लद्दाख को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई है. इसके अलावा चीन अरुणाचल से सटी सीमा पर भी अपना पक्का निर्माण करने की कोशिश में लगा है. चीन और भारत के बीच अरुणाचल प्रदेश को लेकर लंबे समय से अरुणाचल प्रदेश को लेकर विवाद चल रहे हैं. दरअसल चीन अरुणाचल प्रदेश की लगभग 90 हजार वर्ग किलोमीटर की जमीन पर अपना दावा करता है. जबकि, भारत ने ये साफ कर दिया है कि वह इलाका भारत का हिस्सा है और की भारत के साथ ही रहेगा. 

बता दें कि चीन के साथ भारत की  3,488 किमी लंबी सीमा लगती है. ये तीन सेक्टर्स- ईस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न में बंटी हुई है. ईस्टर्न सेक्टर में चीन से सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा लगती है जिसका क्षेत्रफल 1346 किमी है. वहीं मिडिल सेक्टर में हिमाचल और उत्तराखंड की सीमा लगती है और इसकी लंबाई 545 किमी है. वेस्टर्न सेक्टर की बात करें तो यहां लद्दाख आता है, जिसके साथ चीन की 1,597 किमी लंबी सीमा लगती है. इन तीनों सेक्टर्स में से चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार वर्ग किमी पर अपना दावा करता है. वहीं लद्दाख का लगभग 38 हजार वर्ग किमी का हिस्सा पर कब्जा कर चुका है. 

भारत के चीन के साथ कई हिस्सों को लेकर विवाद है. इसमें पैंगोंग त्सो झील (लद्दाख), गलवान घाटी (लद्दाख), डोकलाम (भूटान), तवांग (अरुणाचल प्रदेश), नाथू ला (सिक्किम) इलाका शामिल है. इन सभी क्षेत्रों में डोकलाम भूटान और चीन का विवाद है. लेकिन क्योंकि यह एक तरह का ट्राई जंक्शन है जिधर से चीन भी नजदीक है और भूटान और भारत है. इसका सिक्किम सीमा के पास पड़ने के कारण साल 2017 में लगभग 70 दिनों तक भारत-चीन के बीच तनाव रहा था.
 
नेपाल 

भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद में फंसा हुआ इलाका है सुस्ता, जिस पर नेपाल और भारत दोनों ही दावा करते हैं. इस विवाद की कहानी कुछ ऐसी है कि आज से करीब 200 साल पहले एक नदी को भारत और नेपाल के बीच की सीमा बना दी गई थी. इस नदी को भारत में गंडक के नाम से जाना जाता है और नेपाली में नारायणी के नाम से. 

200 साल पहले जब इस नदी को सीमा बना दिया गया था तब नदी के पूर्वी भाग को एक देश का अधिकार क्षेत्र मान लिया गया तो दूसरे भाग को दूसरे देश का अधिकार क्षेत्र. लेकिन धीरे धीरे समय बीतते गया और नदी अपने रास्ते को बदलती चली गई. अब इसी नदी के पूर्वी छोर का इलाका धीरे नदी के पश्चिमी छोर पर आ गया. इसने भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद शुरू कर दिया जिसे आज तक सुलझाया नहीं गया है. 

दोनों देशों के रिश्ते बहुत ज्यादा तब बिगड़े जब साल 2020 में नेपाल की तरफ एक नक्शा जारी किया गया. उस नक्शे में  लापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख के उन इलाकों को अपने क्षेत्र में दिखाया जिन्हें भारत उत्तराखंड राज्य का हिस्सा मानता है. इसके बाद उसी साल 8 मई को भारत ने उत्तराखंड के धारचूला से चीन सीमा पर लिपुलेख तक एक सड़क संपर्क मार्ग का उदघाटन किया जिसका उसके पड़ोसी देश नेपाल ने विरोध हुए इन इलाकों को अपना बताया. 

इसके बाद 8 मई 2020 को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक विशेष कार्यक्रम में उत्तराखंड के धारचूला से चीन सीमा पर लिपुलेख तक एक सड़क संपर्क मार्ग का उदघाटन किया. नेपाल ने इसका विरोध करते हुए लिपुलेख पर अपना दावा दोहराया था. भारत और नेपाल के बीच सीमा विवादों से जुड़े मामलों से निपटने के लिए साल 2014 में एक बाउंड्री वर्किंग ग्रुप बनाया गया था. लेकिन सीमा विवाद अभी भी अनसुलझे ही हैं.

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