मुंबई: महाराष्ट्र में विधान परिषद की नौ खाली सीटों के लिये सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया है. बीजेपी ने अपनी ओर से जिन चार नामों का एलान किया है उससे पार्टी के बीच अंदरूनी विवाद पैदा हो गया है. एक ओर इन नामों के एलान से जहां ये पता चलता है कि संगठन में देवेंद्र फडणवीस का दबदबा अब भी कायम है तो वहीं दूसरी ओर राज्य के कुछ दिग्गज पार्टी नेता उनसे नाराज हो गए हैं. ऐसे सभी नामों को पत्ता काट दिया गया है जो कि पार्टी में फडणवीस के प्रतिद्वंदवी माने जाते थे.
विधान सभा में हर पार्टी के पास विधायकों का जो आंकड़ा है उसके मुताबिक बीजेपी को चार सीटें, शिवसेना को 2 सीटें, एनसीपी को 2 सीटें और कांग्रेस को 1 सीट मिल रही है. जो 4 सीटें बीजेपी को मिल रहीं हैं उनपर राज्य के कई दिग्गज नेता नजरें गड़ाए हुए थे. ये वे नेता थे जिन्हें पिछले साल हुए विधान सभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया या जो चुनाव हार गये. इन्हें उम्मीद थी कि विधान परिषद भेजकर पार्टी उनका पुनर्वसन करेगी, लेकिन नामों के एलान के साथ ही उम्मीदों पर पानी फिर गया.
पिछले साल विधान सभा चुनाव के पहले बीजेपी ने पार्टी के दिग्गज नेता एकनाथ खडसे, विनोद तावड़े और चंद्रशेखर बावनकुले का टिकट काट दिया था. इसके अलावा परली विधान सभा सीट से विधायक और फडणवीस सरकार में मंत्री रहीं पंकजा मुंडे भी चुनाव हार गईं. मुंडे को उन्हीं के चचेरे भाई और एनसीपी उम्मीदवार धनंजय मुंडे ने हराया था. सियासी हलकों में माना गया कि चूंकि बीजेपी के पास विधान परिषद की 4 सीटें आईं है तो ऐसे में इन चारों दिग्गज नेताओं को उनकी उम्मीदवारी दे दी जायेगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
हालांकि टिकटों का बंटवारा राज्य की कोर कमेटी की सिफारिश पर पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व करता है लेकिन सियासी हलकों में माना जा रहा है टिकटों के बंटवारे में देवेंद्र फडणवीस की ही चली.
पहले ये समझा जा रहा था कि महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में कम सीटें मिलने और सरकार बनाने में नाकामियाबी के कारण देवेंद्र फडणवीस का पार्टी में रूतबा कमजोर हुआ है लेकिन जिस तरह से विधान परिषद के लिये फडणवीस के करीबी लोगों को चुना गया उससे साफ पता चलता है कि फडणवीस की अब भी पार्टी में चल रही है.
2014 में जब फडणवीस को बीजेपी ने सीएम बनाया उस वक्त एकनाथ खडसे, पंकजा मुंडे और विनोद तावड़े उनके प्रतिद्वंदवी के तौर पर देखे जा रहे थे क्योंकि आमतौर पर महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री मराठा या पिछड़े वर्ग से आता है.
बीजेपी की ओर से जिन 4 लोगों को विधान परिषद की उम्मीदवारी दी गई है वे हैं रमेश कराड, गोपीचंद पडलकर, प्रवीण दटके और रणजीत सिंह मोहिते पाटिल. इनमें से गोपीचंद पडलकर और रणजीत सिंह मोहिते पाटिल दूसरी पार्टियों से बीजेपी में आये हैं. गोपीचंद पडलकर पहले वंचित बहुजन आघाडी के सदस्य थे जबकि रणजीत सिंह मोहिते पाटिल बीजेपी से आये हैं. बताया जाता है कि इन्हें फडणवीस ने ही बीजेपी में शामिल कराया था.
विधान परिषद में टिकट न मिल पाने की वजह से बीजेपी के दिग्गज नेता नाराज बताये जा रहे हैं. पंकजा मुंडे तो खुलकर कुछ नहीं बोलीं लेकिन एकनाथ खडसे ने बागी तेवर दिखाया. उनका कहना है कि ये बताकर उन्हें धोखे में रखा गया कि उनके नाम की चर्चा कोर कमेटी में हो गई है और फिर उन लोगों को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया जो कि चर्चा में ही नहीं थे.
खडसे ने आरोप लगाया कि जिन पुराने लोगों ने पार्टी के लिये खून पसीना बहाया उनको नजरअंदाज किया जा रहा है जबकि दूसरी पार्टी से आये हुए लोगों का सम्मान किया जा रहा है. खडसे का कहना है कि जिन लोगों को बीजेपी ने नामांकित किया है उनमें से कुछ के हलफनामें पर मार्च की तारीख पड़ी हुई है, जिससे ये पता चलता है कि पहले ही ये तय किया जा चुका था कि किसे टिकट दिया जाना है. उन्हें अंधेरे में रखा गया. खडसे के मुताबिक पार्टी में कई और भी लोग थे जो कि विधान परिषद भेजे जाने के हकदार थे, लेकिन उन्हें नजर अंदाज किया गया.
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