पानी की जबरदस्त किल्लत से जूझ रही पाली की जनता को ट्रेन से मिलने वाले पानी के लिए अभी और इंतजार करना होगा. पंद्रह अप्रैल से जो ट्रेन पानी के रैक लेकर जोधपुर से रवाना होनी थी उसका फेरा अब टल गया है. जलदाय विभाग और रेलवे इसके लिए एक दूसरे पर दोष मढ़ रहे है. ट्रेन अब 17 अप्रैल को चलेगी या 18 अप्रैल को ये भी अब तक तय नही हुआ है.
रेलवे का तर्क है कि उसकी तरफ से समय पर वाटर ट्रेन के रैक्स जोधपुर मंगाए जा चुके थे, लेकिन जलदाय विभाग को इनमें पानी का लदान करने के लिए तकनीकी कारणों से कुछ और समय चाहिए. दूसरी तरफ जलदाय विभाग का दावा है कि उसे अगर पूर्व निर्धारित दिन 13 अप्रैल को वाटर ट्रेन के रैक मिलते तो ट्रेन को तय तारीख 15 अप्रैल को पाली के लिए रवाना किया जा सकता था, लेकिन ये वाटर ट्रेन 14 अप्रैल को उनके सुपुर्द की गई. इसके चलते जलदाय विभाग पानी का लदान करने में कम से कम दो दिन और मांग रहा है.
11 अप्रैल को की थी ट्रेन की मांग
जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता विनोद भारती का कहना है कि हमने ट्रेन की मांग 11 अप्रैल को की थी रेलवे विभाग की ट्रेन लेट पहुंची है अब हमें 2 से 3 दिन चाहिए जिसको लेकर हम ट्रेन की सेफ्टी सिक्योरिटी को लेकर कई सारे क्लीयरेंस के बाद वाटर ट्रेन को जोधपुर से पाली भेजा जाएगा.
जोधपुर से पाली चलने वाली वाटर ट्रेन को लेकर अब अनिश्चितता का माहौल है ट्रेन 17 अप्रैल को चलेगी या 18 अप्रैल को अभी कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन जोधपुर से चलने वाली वाटर ट्रेन जोधपुर के भगत की कोठी रेलवे स्टेशन ट्रैक पर पहुंच चुकी है.
डार्क जोन में है पूरा जिला
बिजली विभाग के टेक्निकल कर्मचारी भगत की कोठी रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर सभी रैक की सेफ्टी सिक्योरिटी के मद्देनजर उनमें बाउल को फिट करने का काम कर रहे है. पाली में जवाई बांध का पानी सूख चुका है और गिरते भू जल स्तर की वजह से पूरा जिला डार्क जोन में आ चुका है.
पाली के रोहिट इलाके के 84 गाँव सिर्फ टैंकर से मिल रहे पानी के भरोसे है. दूसरी तरफ पाली शहर में पानी की आपूर्ति चार से पाँच दिन के अंतराल से हो रही है. वाटर ट्रेन के चालिस वैगन से एक फेरे में बीस लाख लीटर पानी को पाली लाया जाएगा. पूरे अप्रैल में वाटर ट्रेन के दो फेरे रोजाना होंगे. राजस्थान सरकार वाटर ट्रेन के लिए रेलवे को करीब बीस करोड़ रुपए का भुगतान कर रही है.