Divyang Pension: सेना और सरकार की अनदेखी झेल रहे दिव्यांग कैडेट्स का मामला बुधवार को संसद में भी गूंजा. लोकसभा में एआईएमआईएम पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और उनके ही पार्टी के सांसद इम्तियाज जमील ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मौखिक सवाल पूछा कि सरकार घायल हुए कैडेट्स को लेकर कितनी गंभीर है. जवाब में रक्षा मंत्री ने बताया कि सरकार दिव्यांग कैडेट्स को दिव्यांग पेंशन देने पर विचार कर रही है. 


बुधवार को संसद के पटल पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिव्यांग कैडेट्स के बारे में बताया कि सर्विस हेड्क्वार्टर यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना मुख्यालय की तरफ से ये प्रस्ताव आया है कि जो कैडेट्स मिलिट्री-ट्रैनिंग के दौरान अपाहिज होने के कारण बोर्ड-आऊट (मिलिट्री एकेडमी से बाहर) हुए उन्हें दिव्यांग-पेंशन दी जाए. रक्षा मंत्री ने सदन को बताया कि इस प्रस्ताव पर रक्षा मंत्रालय विचार कर रहा है. 


गौरतलब है कि हाल ही में एबीपी न्यूज़ ने अपनी स्पेशल कवरेज ('मातृभूमि' शो) में डिसेबल्ड यानी दिव्यांग-कैडेट्स की सेना और सरकार द्वारा की जा रही अनदेखी और भेदभाव को दिखाया था. कवरेज के दौरान एबीपी न्यूज़ ने दिखाया था कि नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए), इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) और ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) जैसे सैन्य संस्थानों में ट्रैनिंग के दौरान गंभीर रूप से घायल कैडेट्स को फिलहाल मेडिकल ग्राउंड्स पर 'बोर्ड-आउट' कर दिया जाता है.


ना तो घायल कैडेट्स को सेना के किसी अस्पताल में इलाज किया जाता है और ना ही पूर्व सैनिक का दर्जा दिया जाता है. पूर्व सैनिक का दर्जा ना मिलने के कारण इन दिव्यांग-कैडेट्स (ऑफिसर-कैडेट्स) को सरकारी नौकरी मिलने में भी खासी दिक्कत आती है. पिछले लंबे संमय से ये दिव्यांग-कैडेट्स इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं. जहां दिव्यांग-कैडेट्स को बोर्ड-आउट होने पर पूर्व सैनिक का दर्जा नहीं दिया जाता, वहीं 'रिक्रूटी' यानी जवानों (नायक, हवलदार इत्यादि) को ट्रैनिंग के दौरान दिव्यांग होने पर पूर्व सैनिक का दर्जा दिया जाता था. पूर्व सैनिकों को सरकारी नौकरी में आरक्षण होता है.


एक्सपर्ट कमेटी


रक्षा मंत्री ने बताया कि वर्ष 2015 में तत्कालीन रक्षा मंत्री द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी ने दिव्यांग कैडेट्स को डिसेबल-पेंशन का प्रस्ताव दिया था लेकिन क्योंकि कैडेट्स को ट्रेनिंग के दौरान सैलेरी नहीं बल्कि स्टाईपेंड दिया जाता है, ऐसे में दिव्यांग कैडेट्स को पेंशन देने में तकनीकी तौर से दिक्कत आती है और सरकार ने प्रस्ताव नहीं माना था. साथ ही पेय कमीशन ने भी डिसेबल्ड कैडेट्स को पेंशन देने से मना किया है क्योंकि उसके लिए रिक्रूटमेंट एंड पेंशन रूल्स में भी बदलाव लाना पड़ेगा लेकिन रक्षा मंत्री ने कहा कि मिलिट्री-ट्रेनिंग के दौरान घायल कैडेट्स को सैन्य-अस्पतालों में इलाज दिया जाता है.



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