Diwali Festival: दिवाली के त्योहार मनाने को गरीब लोगों को पहले बहुत मेहनत करनी होती है तब जाकर उनके घर में दीपक जल पाते हैं. एबीपी न्यूज़ की ओर से इस तरह से संघर्ष करके दिवाली फेस्टिवल मनाने वाली महिलाओं से मिलकर, उनसे बातचीत करके उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास लगातार किया जा रहा है.
अपनी इस सीरीज में आज हम एक ऐसी महिला की व्यथा और संघर्ष की कहानी बताने जा रहे हैं जोकि दादर के मार्केट इलाके में रंगोली बेचती नजर आई. इस महिला का नाम सुनंदा जिंदुर्दे है.
एबीपी न्यूज़ से बातचीत के दौरान रंगोली बेचने वाली इस स्ट्रीट वेंडर महिला ने बताया कि वह अपने पति के साथ यहां हर रोज आती हैं और सामान बेचती है. सुनंदा ने अपनी दिनचर्या बताते हुए कहा कि वह हर रोज सुबह 6 बजे उठ जाती है और अपने 3 बच्चों के लिए खाना बनाती हैं. उसके तीनों बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हैं.
इतना ही नहीं, अपने बच्चों का खाना बनाने के बाद वह आसपास के दो घरों में और जाती हैं, वहां खाना बनाने का काम करती हैं. इसके बाद दोपहर में करीब 3 बजे के बाद वह रंगोली बेचने के लिए दादर इलाके में आती हैं. सुनंदा के पति पास ही में कपड़े का स्टॉल लगाते हैं.
'ऑनलाइन शॉपिंग में कई ग्राहक को मिलता डिफेक्टिव सामान'
सुनंदा ने बताया कि वह कई दिक्कतों का सामना करती हैं, लेकिन कमाई करने के लिए इतनी मेहनत करनी ही पड़ती हैं. ऑनलाइन शॉपिंग पर महिला का कहना है कि कई ग्राहक घर बैठे खरीदारी करते हैं. उनको वहां पर डिफेक्टिव माल भी मिलता हैं, अगर वह हम से खरीदेंगे तो उनको सही और वाजिब दाम पर जांच परख कर सामान मिलेगा. इसी बहाने हमारा भी फायदा होगा.
'सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत करने के बाद होती है बहुत थकान'
फुटपाथ पर सामान बेचने के दौरान कड़ी धूप और धूल धक्कड़ में बैठे रहना मजबूरी होती है. उसका कहना है कि सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत करने के बाद थकान बहुत हो जाती है, लेकिन उसके पति संतोष का बहुत सपोर्ट मिलता है. पति की मदद से पूरा दिन भी निकल जाता हैं.
कड़ी मेहनत और थकान के बाद चेहरे पर नजर आती है मुस्कान
कड़ी मेहनत और थकान के बावजूद सुनंदा का चेहरा खिला रहता है. उसके चेहरे पर प्यारी-सी मुस्कान बरबस देखी जा सकती है. सुनंदा का कहना है कि उनको काम करना पसंद हैं. इस काम में उनके पति भी पूरा साथ देते हैं, इसीलिए वह हमेशा खुश रहती है.
'सुनंदा को काम करने में दिलचस्पी की वजह से पूरा सपोर्ट करता हूं'
इस मामले पर सुनंदा के पति संतोष का कहना है कि हम दोनों मिलकर घर चलाते हैं. तीन बच्चे होने के कारण ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. पत्नी को काम करने में दिलचस्पी होने की वजह से मैं भी उसको पूरा सपोर्ट करता हूं. उन्होंने कहा कि दिक्कतें तो काफी होती हैं, लेकिन दिवाली के दौरान कोशिश करते हैं कि कमाई अच्छी हो. हर रोज करीब एक से डेढ़ हजार रुपए की आमदनी हो जाती है.
'इस तरह काम करने वाली महिलाओं की मदद करनी चाहिए'
एबीपी न्यूज़ ने कई ग्राहकों से भी बातचीत कर उनकी राय जानने की कोशिश की. एक महिला ग्राहक कादंबरी ने बताया कि मॉल और ऑनलाइन शॉपिंग में सभी चीजें आसानी से मिल सकती हैं लेकिन बाजार से लेने का फायदा केवल हमें नहीं बल्कि इन्हे और इनके परिवार को भी होता हैं. इसीलिए हम कोशिश करते हैं कि सामान इन्ही से खरीदें. जितना हो सके हम ऐसी महिलाओं को सपोर्ट करते हैं. इतनी कड़ी धूप में बैठकर प्रदूषण में सड़क के किनारे बैठे सामान बेचना आसान बात नहीं हैं.
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