दिल्ली जल बोर्ड की शनिवार को हुई रिव्यू मीटिंग में दिल्ली में मौजूद 600 जल निकायों और सभी झीलों की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई. दिल्ली के जल मंत्री और जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों को सभी जल निकायों और झीलों की सफाई को प्राथमिकता देने का आदेश दिया गया. इसके साथ ही ट्रीटेड पानी की व्यवस्था भी साथ में चलाने के निर्देश जारी किये गये.
दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने बैठक में कहा कि स्थानीय लोगों ने शिकायत की है कि बीजेपी शासित एमसीडी ने जल निकायों और झीलों को डंपिंग ग्राउंड में बदल दिया है. उन्होंने निर्देश दिया कि दिल्ली के 600 में से 200 जल निकायों और दिल्ली जल बोर्ड के अंतर्गत आने वाली झीलों को मानसून से पहले साफ किया जाएगा. सभी अधिकारियों को समय सीमा के अंदर काम पूरा करने का निर्देश दिया गया है.
क्या है झीलों के कायाकल्प का प्लान-
पश्चिम विहार झील-
पश्चिम विहार झील का एरिया और बाकी ग्रीन बेल्ट को 10-12 एमजीडी पानी की जरूरी मात्रा उपलब्ध कराने के लिए जलमंत्री ने निर्देश दिया कि केशोपुर एसटीपी से पश्चिम विहार झील तक एक डेडिकेटेड पाइप लाइन बिछाई जाए. उन्होंने निर्देश दिया कि शकूरपुर रेलवे स्टेशन के पास स्थित अध्यादेश वन को मंगोलपुरी कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (CEPT) से ट्रीटेड पानी की आपूर्ति की जाये. इसे लेकर अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि सभी लंबित काम 6 महीने की अवधि में पूरे कर लिये जाएंगे. केशोपुर एसटीपी से ट्रीटेड पानी नजफगढ़ ड्रेन में 200 एकड़ हरे भरे क्षेत्र में भूजल पुनर्भरण के लिए उपयोग किया जाएगा.
इरादत नगर झील-
बैठक में इरादत नगर झील के काम की भी समीक्षा की गई, जिसमें रिठाला एसटीपी से 25 एमजीडी पानी मिलेगा. जानकारी के मुताबिक यह परियोजना एक वर्ष में पूरी होने की उम्मीद है. इससे उत्तरी दिल्ली में भूजल पुनर्भरण में मदद मिलेगी.
नजफगढ़ झील-
बैठक में जलमंत्री ने निर्देश दिया कि दिल्ली जल बोर्ड को नजफगढ़ झील कायाकल्प परियोजना को पूरा करना चाहिए. साथ ही नजफगढ़ एसटीपी से आने वाले 5 एमजीडी पानी में सुधार करने के लिए नेचुरल वेटलैंड और 3 मिलीग्राम प्रति लीटर बीओडी का उपयोग करके एक पॉलिशिंग पॉड के रूप में विकसित करना चाहिए. इस एसटीपी से पैदा होने वाले कीचड़ का उपयोग पप्पंकला एसटीपी में किया जाएगा, जहां उपचार की अधिशेष क्षमता उपलब्ध है. इसके चलते दिल्ली जल बोर्ड को 30 करोड़ रुपए की बचत होगी.
द्वारका डब्ल्यूटीपी झील-
बैठक में द्वारका वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट पर झील के निर्माण के काम में तेजी लाने के लिए निर्देश दिया गया, जिसमें कुछ प्रशासनिक कारण के चलते देरी हुई है. यह झील 10-12 एकड़ के क्षेत्र में फैली होगी.
पप्पनकलां झील-
दिल्ली के पप्पनकलां एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) में 7 एकड़ की मौजूदा झील के अलावा 2 और झीलें बनाने का भी निर्देश दिया गया. इसके बाद पप्पनकलां एसटीपी में 25 एकड़ के एरिया में फैली कुल 3 झीलें होंगी. इन झीलों का इस्तेमाल एसटीपी से आने वाले 40 एमजीडी पानी को पॉलिश करने के लिए किया जाएगा. ज्यादातर पानी का इस्तेमाल भूजल पुनर्भरण और बागवानी के लिए किया जाएगा. कीचड़ सुखाने वाले बेडों को हटाने और उन्हें नई तकनीक से बदलने का निर्देश दिया गया है. यह पप्पनकलां एसटीपी के अंदर 10 एकड़ जमीन को अनलॉक करेगा.
निलोठी एसटीपी-
सत्येंद्र जैन ने झीलों और भूजल पुनर्भरण के लिए निलोठी एसटीपी में 60 एकड़ भूमि का उपयोग करने का निर्देश दिया. मौजूदा समय में निलोठी एसटीपी से 50 एमजीडी ट्रीटेड पानी नजफगढ़ ड्रेन में छोड़ा जाता है. यह अब झील के जरिये पॉलिशिंग के बाद भूजल पुनर्भरण के लिए उपयोग में लाया जाएगा. सत्येंद्र जैन ने 20 एकड़ कीचड़ सुखाने वाले बेड को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत नई इनसिनरेशन तकनीक से बदलने का निर्देश भी दिया. यह नीलोठी एसटीपी के अंदर 20 एकड़ भूमि को अनलॉक करेगा जो भूजल पुनर्भरण परियोजना के लिए उपयोग किया जाएगा.
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