'किसने कहा आरक्षण केवल मुसलमानों के लिए', विवाद पर अब क्या बोले डिप्टी सीएम शिवकुमार
DK Shivakumar on Tender Quota Row: डीके शिवकुनार ने सरकार के इस फैसले को लेकर कहा कि हम किसी के अधिकार नहीं छीन रहे हैं, हम दूसरों के लिए भी आजीविका सुनिश्चित कर रहे हैं.

DK Shivakumar on Tender Quota Row: भाजपा की ओर से कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने के आरोपी के बाद कर्नाटक के डिप्टी सीएम डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने शनिवार (15 मार्च, 2025) को स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य सरकार ने टेंडर में चार प्रतिशत आरक्षण सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लिए नहीं दिया बल्कि सभी अल्पसंख्यक समुदायों के लिए दिया है.
डिप्टी सीएम शिवकुमार ने कहा कि कोटा केवल एक विशेष समुदाय के लिए नहीं बल्कि सामान्य रूप से अल्पसंख्यकों के लिए है. वह बोले, "किसने कहा कि 4 प्रतिशत आरक्षण केवल मुसलमानों के लिए है? सरकार ने इसे अल्पसंख्यकों और पिछड़े समुदायों को देने का फैसला किया है. अल्पसंख्यकों में ईसाई, जैन, पारसी और सिख शामिल हैं," डिप्टी सीएम ने ये भी कहा कि राज्य सरकार ने अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए अनुबंध आरक्षण प्रदान करने के लिए भी संशोधन किया है.
खड़ा हुआ पॉलिटिकल बवाल
कर्नाटक सरकार की ओर से हाल ही में कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन करके सरकारी निविदाओं में 4 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी देने के फैसले ने पॉलिटिकल बवाल खड़ा कर दिया है. भाजपा ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया. हालांकि, डीके शिवकुमार ने स्पष्ट किया कि कर्नाटक सरकार की मंजूरी केवल 2 करोड़ रुपये से कम की परियोजनाओं के लिए दी गई थी और इस कोटे के तहत बड़ी परियोजनाओं को आवंटित नहीं किया जा सकता है. शिवकुमार ने आगे स्पष्ट किया, "हम किसी के अधिकार नहीं छीन रहे हैं, हम दूसरों के लिए भी आजीविका सुनिश्चित कर रहे हैं." वहीं भाजपा के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, "वे हमें याद करते रहते हैं, इससे हम और मजबूत होते हैं."
कर्नाटक सरकार के फैसले के बाद भाजपा ने किया था विरोध
पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, केटीपीपी अधिनियम में हाल ही में किए गए संशोधन में पिछड़ी जातियों की 2बी श्रेणी के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण जोड़ा गया था, जो विशेष रूप से मुसलमानों के लिए आरक्षित था. यह सरकारी विभागों, निगमों और एजेंसियों में सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और श्रेणी-1 और श्रेणी-2ए के तहत आने वाली जातियों की मौजूदा श्रेणियों के अतिरिक्त है. संशोधन ने अनुबंध मूल्य सीमा को भी 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इसको लेकर भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि भाजपा इसके खिलाफ है और पार्टी इसका विरोध करती रहेगी.
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