नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लगातार विरोध कर रही डीएमके ने बुधवार को ऑल पार्टी बैठक बुलाई. जिसमें लेफ्ट पार्टी भी शामिल हुई. इस बैठक में डीएमके ने केंद्र से इस बिल को वापस लेने की मांग की. वहीं देश भर में हो रहे सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की भी कड़ी निंदा की. साथ ही एनआरसी को भी अनैतिक करार दिया गया. इस बैठक में संकल्प भी लिए गए जिसमें कहा गया कि एक ओर जहां इस बिल में श्रीलंकाई तमिलों को शामिल नहीं किया गया वहीं दूसरी ओर धर्म के आधार पर भी यह बिल अन्याय करता है. साथ ही देश भर में शांति बनाए रखने के लिए केंद्र से इस बिल को वापस लेने की मांग की गई.
यह बैठक डीएमके प्रेसिडेंट एमके स्टालिन की अध्यक्षता में डीएमके हैडक्वाटर्स अन्ना अरिवालयम में हुई. जिसमें डीएमके की गठबंधन पार्टी एमडीएमके, कांग्रेस, सीपीआईएम और सीपीआई मौजूद रही. इस बैठक में सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट की कड़ी निंदा करते हुए एनआरसी को भी अनैतिक करार दिया गया.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया से बात करते हुए एमके स्टालिन ने बताया कि इस एक्ट के खिलाफ दिसंबर 23 को चेन्नई में एक बड़ी रैली का आयोजन किया जाएगा. साथ ही इस बड़ी रैली में छात्र-छात्राओं और आम नागरिक को भी हिस्सा लेने की अपील की गई. स्टालिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा कि देश भर में हो रहे हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र को अपना यह एक्ट वापस ले लेना चाहिए. स्टालिन ने कहा कि इस एक्ट के खिलाफ प्रदर्शन सिर्फ तमिलनाडु में नहीं बल्कि उत्तर भारत में भी हिंसक रूप से देखे जा रहे हैं. ऐसे में केंद्र को यह तमाम विरोध प्रदर्शन देखकर इस एक्ट को विड्रॉ कर देना चाहिए. साथ ही इस कानून में श्रीलंकाई तमिलों को नहीं शामिल करने को लेकर भी डीएमके के अध्यक्ष एमके स्टालिन ने चिंता जताई.
एमके स्टालिन ने राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी एआईएडीएमके पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्यसभा में एआईएडीएमके के 11 सांसद और पीएमके के एक सांसद के समर्थन के कारण ही यह बिल राज्यसभा से पास हो पाया. इससे पता चल गया है कि किस तरह से इस पार्टी और पार्टी के सांसदों ने तमिलों के साथ विश्वासघात किया है और तमिलनाडु की जनता इसे कभी नहीं भूलेगी.
डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन ने राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी एआईएडीएमके पर आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री के पलनीस्वामी नरेंद्र मोदी और अमित शाह के हाथ की कठपुतली है. जो कि उनके इशारों पर ही काम कर रहे हैं. राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी एआईएडीएमके पर लगातार हमला बोल रही डीएमके इस मुद्दे को और भी बड़ा करने की तैयारी में है. साफ है 2021 में होने वाले तमिलनाडु चुनाव से पहले डीएमके ने इसी मुद्दे पर एआईएडीएमके को घेरने की पूरी प्लानिंग कर ली है.
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