A Raja Controversy: डीएमके नेता ए राजा एक बार फिर से सुर्खियों में हैं. मामला उनके भारत और सनातन धर्म को लेकर दिए गए विवादित बयान का है. ए राजा ने अपने एक हालिया बयान में कहा, ''भारत एक राष्ट्र है ही नहीं. इस बात को अच्छे से समझ लें. भारत कभी एक राष्ट्र था ही नहीं. भारत एक राष्ट्र नहीं, बल्कि एक उपमहाद्वीप है.''


ए राजा का बयान ऐसे समय में सामने आया है, जब 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन को सनातन विरोधी बयानबाजी पर फटकार लगाते हुए कहा था कि उन्हें अपने बयान के नतीजे पता होने चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि "आपने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया और अब आप राहत मांग रहे हैं. आप आम आदमी नहीं हैं, राजनेता हैं."


बंदर से की भगवान हनुमान की तुलना
डीएमके नेता ए राजा वीडियो में कहते नजर आ रहे हैं कि अगर आप कहेंगे कि ये आपके ईश्वर हैं और भारत माता की जय तो हम उस ईश्वर और भारत माता को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. कह दो इनको, हम सब राम के शत्रु हैं. उन्होंने कहा कि मुझे रामायण और भगवान राम पर विश्वास नहीं है. ए राजा ने भगवान हनुमान की तुलना बंदर से करते हुए 'जय श्री राम' के नारे को घृणास्पद बताया. 


क्या है ए राजा का पूरा बयान?
पूर्व केंद्रीय मंत्री A राजा ने विवादित बयान देते हुए कहा, ''भारत कभी एक राष्ट्र था ही नहीं. एक राष्ट्र का अर्थ है एक भाषा, एक परंपरा और एक संस्कृति. तभी यह एक राष्ट्र होता है. भारत एक राष्ट्र नहीं, बल्कि एक उपमहाद्वीप है.''


उन्होंने भारत को उपमहाद्वीप बताने की वजह बताते हुए कहा, ''यहां तमिल एक राष्ट्र और एक देश है. मलयालम एक भाषा, एक राष्ट्र और एक देश है. उड़िया एक राष्ट्र, एक भाषा और एक देश है. ये सभी राष्ट्र मिलकर भारत बनाते हैं तो भारत देश नहीं है. यह एक उपमहाद्वीप है.''  


'तमिलनाडु-केरल-दिल्ली सबकी संस्कृति अलग'
ए राजा ने आगे कहा, ''वहां बहुत सारी परंपराएं और संस्कृतियां हैं. यदि आप तमिलनाडु आते हैं तो वहां की एक संस्कृति है. केरल में एक और संस्कृति है. दिल्ली में एक और संस्कृति है. उड़िया में एक और संस्कृति है.''  


उन्होंने आगे कहा, ''इसी तरह कश्मीर में भी एक संस्कृति है. इसे स्वीकार करो. मणिपुर में लोग कुत्ते का मांस खाते हैं, इस बात को स्वीकार करें. यदि कोई समुदाय गोमांस खाता है तो आपको क्या समस्या है? क्या उन्होंने आपसे खाने के लिए कहा? इसलिए अनेकता में एकता होने के बाद भी हमारे बीच मतभेद हैं. इसे स्वीकार करो.''


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