Do Or Die Slogan: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 'भारत छोड़ो' आंदोलन की वर्षगांठ पर मंगलवार को कहा कि देशवासियों को एक बार फिर से संकल्प लेना चाहिए कि आजादी की पूरी ताकत के साथ रक्षा करनी है. उन्होंने एक बयान में कहा, "इस ऐतिहासिक दिन पर जब लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पीटा गया और जेल में डाल दिया गया तो अरुणा आसिफ अली ने राष्ट्रीय ध्वज को फहराया. उनका यह साहसिक कारनामा आजादी के लिए हमारे संघर्ष का प्रतीक बन गया."
संकल्प लें कि हमें आजादी की रक्षा करनी है
सोनिया गांधी ने कहा, "जब हम भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ मना रहे हैं तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि लाखों देशवासियों ने भारत की आजादी के लिए कैसी कीमत अदा की. हम फिर से संकल्प लें कि हमें इसकी रक्षा करनी है और पूरी ताकत के साथ करनी है." वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधते हुए कहा, "आपको क्या लगता है, 80 साल पहले उस ऐतिहासिक दिन आरएसएस ने क्या किया होगा जब महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो जन आंदोलन शुरू किया था?"
RSS ने आंदोलन से खुद को अलग किया
जयराम रमेश ने दावा किया, "आरएसएस ने इस आंदोलन से खुद को अलग कर लिया था. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसमें भाग नहीं लिया. जबकि गांधी, नेहरू, पटेल, प्रसाद, आज़ाद, पंत समेत कइयों को जेल जाना पड़ा." कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा, "आज ही के दिन भारत छोड़ो आंदोलन की हुंकार के साथ एकजुट होकर भारतीयों ने क्रूर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आर-पार का संघर्ष शुरू किया था. एकजुटता हमारी सबसे बड़ी ताकत है. आइए विविधता में एकता के झंडे को बुलंद करते हुए 'भारत जोड़ो' और भारत में विकास के नए आयाम जोड़ने का संकल्प लें."
ब्रिटिश शासन के खिलाफ इस निर्णायक आंदोलन की शुरुआत आज ही के दिन 1942 में हुई थी. महात्मा गांधी ने आठ अगस्त को कांग्रेस के बंबई अधिवेशन में 'करो या मरो' के नारे के साथ 'अंग्रेजो, भारत छोड़ो' का आह्वान किया था.