Online Loan Fraud: बैंकों में लोन लेने के लिए कागजात और जानकारियां देने से बचने के लिए लोग इंस्टैंट लोन (Instant Loan)की तलाश में रहते हैं. अगर आप भी मोबाइल (Mobile)पर उपलब्ध इंस्टैंट लोन लेने के लिए ऐप की तरफ ध्यान देते हैं तो रुकिए, एक बार सोचिए जरूर नहीं तो आप बहुत बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं. मुंबई पुलिस (Mumbai Police)की साइबर सेल (Cyber Cell) ने सरल और तत्काल ऑनलाइन लोन ऐप (Online Loan App)के  ज़रिए ठगी करने वाले एक अंतराष्ट्रीय गिरोह (International Gang)का भंडाफोड़  किया है. पुलिस ने देश के अलग अलग शहरों से 14 लोगों को गिरफ़्तार किया है, जो इस ठगी में शामिल थे. इस ठगी गिरोह का मास्टरमाइंड दो चीनी नागरिक (Chinese) हैं, जो फ़रार हैं. 


कोरोना काल में बढ़ी हैं इंस्टैंट लोन लेने वालों की संख्या


कोरोना काल में आर्थिक तंगी से परेशान होकर देश भर में लाखों लोगों ने ऑनलाइन ऐप के जरिए आसान लोन लिए. लेकिन बाद में भारी इंट्रेस्ट के साथ कर्ज चुकाने में नाकाम हुए तो लोन देनें वालों ने उनके फोन कॉन्टेंक्ट से डेटा हैक कर उनके घर और पहचान वालों को मैसेज भेजकर बदनाम करना शुरू कर दिया. दरअसल इन ऐप से कर्ज लेने की शर्त में आपके मोबाइल फोन पर पूरे अधिकार की इजाजत की शर्त शामिल होती है.


एक बार लोन लेकर लोग इस तरह फंस जाते हैं


यह गिरोह कुछ हज़ार के लोन के बदले कई गुना ज़्यादा पैसे वसूलते थे. पैसे नहीं चुकाने की स्थिति में लोन लेने वाले ग्राहकों की मॉर्फ फोटो वायरल करते थे और फोन पर धमकाना शुरू कर देते थे. कई लोगों ने पुलिस में शिकायत की लेकिन सिविल मामला बताकर पुलिस इस मामले को नजरंदाज करती रही. लेकिन जब पानी सिर से ऊपर जाने लगा तो महाराष्ट्र के तत्कालीन गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने मुंबई और महाराष्ट्र साइबर को इसके खिलाफ कारवाई का आदेश दिया था. मुंबई साइबर सेल के अथक परिश्रम से इसका भंडाफोड़ हुआ और आखिरकार ऑनलाइन ऐप लोन से जुड़े 14 आरोपी पकड़े जा चुके हैं.


मुंबई पुलिस ने खोला राज


जाइंट पुलिस आयुक्त क्राइम मुंबई पुलिस के सुहास वारके ने बताया, साइबर सेल की जांच में पता चला है कि इस ऑनलाइन ऐप के मास्टरमाइंड दो चीनी नागरिक हैं जो फिलहाल फरार हैं. दोनो ने साल 2018 में इस ठगी का प्लान कर भारत में एजेंट बनाए जिसके लिए एक हिंदुस्तानी महिला की ट्रांसलेटर के तौर पर मदद ली गई.  फिर कॉल सेंटर बनाए गए और अलग अलग ऐप बनाकर आसानी से कर्ज देने के लुभावने प्रचार किए. बाद में उन्ही काल सेंटरों का इस्तेमाल कर्जदारों को धमकाने और वसूली के लिए किया गया.


कोरोना काल के बाद खूब हुई ठगी


कोरोना काल में कई लोगों की इनकम बंद होने से ईएमआई भरना जब मुश्किल हो गया तब इस ऑनलाइन ऐप  के जरिए आसानी से मिले कर्ज से अपनी ईएमआई या दूसरे जरूरी काम निपटाए. लेकिन उन्हें क्या पता था कि वो ऐसे चीनी जाल में फंस रहे है जहां पैसे से लेकर इज्जत दांव पर रखनी पड़ जाएगी. सस्ते इंटरेस्ट पर लोन उन्हें इतना महंगा पड़ा कि ली गई रकम का कई गुना चुकाना पड़ा. जो नही दे पाए उन्हें धमकी, परिवार और दोस्तों को फोन कर उनकी बदनामी इतना ही नहीं तो कुछ लोगों के तो मॉर्फ फोटो भी वायरल फोटो करने की धमकी दी जाने लगी.


लोन के बदले पांच गुना कीमत चुकानी पड़ी


मुंबई के साइबर पुलिस स्टेशन पर एक शिकायतकर्ता ने बताया कि ऑनलाइन इंस्टंट लोन ऐप माध्यम से उसने सवा तीन लाख रुपए लोन लिए. सवा तीन लाख के बदले उसे 15 लाख लोन चुकता करना पड़ा. लोन ऐप से छोटे अमाउंट का लोन मिलता था. समय पर रिपेमेंट नहीं मिला तो सोशल मीडिया पर बदनाम करने की धमकी दी जाती थी. लोन एप डाउनलोड करने पर निजी फ़ोटो गैलरी, कैमरा ऐक्सेस मिलता था. फ़ोटो मॉर्फ़ करके बदनाम करने की धमकी मिलती थी. 


ठगी में लगे इसमें हर ग्रुप को अलग अलग काम दिया गया था. इसमें 350 बैंक अकाउंट फ़्रीज़ किया है जिसमें अमाउंट 14 करोड़ का है. 2.17 लाख USDT क्रिप्टो करेंसी सीज़ किया है. 50 क्रिप्टो वॉलेट का इस्तेमाल हुआ. 300 करोड़ से ज़्यादा पैसे ठगे गए और पीड़ितों की संख्या हज़ारों में हो सकती है. मुंबई पुलिस ने बताया कि गिरोह के तार विदेशों में फैले है. 


विदेशों में भेजे जाते थे पैसे


एक अनुमान के मुताबिक ऑनलाइन ऐप लोन के जरिए गिरोह तकरीबन 350 करोड़ रुपए विदेश में बैठे अपने मास्टर माइंड तक भेज चुका है. जांच में ये भी पता चला है कि कर्ज देने के लिए जरूरी रुपये विदेशों से हवाला के जरिए भेजे गए. लेकिन विदेशों में वापस भेजने के लिए पहले अलग अलग UPI अकाउंट में भेजकर कई लेयर बनाए गए ताकि जांच एजेंसियां असली अकाउंट होल्डर की पहचान नहीं कर पाए. उसके बाद भी उन रुपयों को क्रिप्टो करंसी में बदल कर मास्टरमाइंड तक पहुंचाये गए. अभी तक मामले में 14 लोगों गिरफ्तार किए गए हैं जो अलग अलग राज्यों से हैं.


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