इंदौर: सांस लेने के मामले में मरीजों के सामने परेशानी पेश करने वाली वैश्विक महामारी कोविड-19 के प्रकोप के चलते इंदौर के एक निजी अस्पताल के छाती रोग विभाग के प्रमुख रवि डोसी को जैसे सांस लेने भर की फुर्सत नहीं है.


डोसी डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ की उस 100 सदस्यीय टीम के प्रमुख हैं जो कोविड-19 के हॉटस्पॉट बने इस शहर में पिछले कई दिनों से अपने परिवार से अलग रहकर इस महामारी के मरीजों के इलाज में जुटी है.


अस्पताल के वॉर्डों से लेकर गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) तक लगातार दौड़-भाग कर रहे डोसी डॉक्टर अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) में काम कर रहे हैं. करीब 1,150 बिस्तरों वाले अस्पताल के प्रबंधन का दावा है कि इस चिकित्सा संस्थान में एक ही वक्त पर कोविड-19 के देश भर में सर्वाधिक मरीजों का इलाज किया जा रहा है.


निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) से लैस डोसी ने शनिवार को बताया, "हमारे अस्पताल में फिलहाल करीब 130 मरीज भर्ती हैं जिनमें से सात आईसीयू में हैं. इलाज के बाद स्वस्थ पाये जाने पर 25 मरीजों को पहले ही अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है."


उन्होंने बताया, "गले में खराश, सर्दी-खांसी और बुखार जैसे लक्षणों के साथ कोविड-19 के औसतन 10 नये मरीज हमारे पास रोज आ रहे हैं. पहले मरीज गंभीर हालत में अस्पताल पहुंच रहे थे. लेकिन अब इस महामारी को लेकर जागरूकता बढ़ने पर अपेक्षाकृत कम गंभीर स्थिति वाले मरीज आ रहे हैं."


डोसी ने बताया कि कोविड-19 के मरीजों में ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन), दमा और श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारियों से पहले से जूझ रहे हैं. इनमें ऐसे कई मरीज भी शामिल हैं जिनके फेफड़े लम्बे समय तक धूम्रपान करने से कमजोर हो चुके हैं.


डोसी ने कहा, "फिलहाल बतौर डॉक्टर मेरे लिये सबसे बड़ी चुनौती कोविड-19 को लेकर समाज में फैली नकारात्मकता से खुद को बचाना है. मैं खुद को हमेशा प्रोत्साहित रखने की कोशिश करता हूं क्योंकि मुझे पता है कि इस महामारी के खिलाफ लड़ाई लम्बी चलने वाली है."


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