नई दिल्ली: बाला रॉ हिन्दू अस्पताल में रेसीडेंट डॉक्टर्स एसोसीएशन ने पिछले 3.5 महीने से वेतन न मिलने की वजह से रविवार से अनिश्चितकालीन प्रदर्शन को अंजाम दिया.


आपको बता दें कि पिछले एक हफ्ते से हिन्दू रॉ अस्पताल के आरडीए ने रोज़ धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगें सरकार के सामने रखने का प्रयास किया, कोई ठोस जवाबदेही या समाधान न मिलने पर उन्होंने इस प्रदर्शन कि अंतिम तिथि को तय नहीं किया. उतरी दिल्ली नगर निगम के मेयर जय प्रकाश के स्वास्थ्यकर्मियों के लिए फंड्स न होने के बयान पर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने इस पूरे वाक्य के चलते हिन्दू रॉ अस्पताल से सभी कोविड बेड्स को दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले अस्पतालों में शिफ्ट करने का ऐलान भी कर दिया था.


उसी के साथ-साथ केंद्र पर उंगली उठाते हुए उन्होंने यह भी कहा कि यदि केंद्र अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाह करने के लिए सक्षम नहीं है तो हिन्दू रॉ अस्पताल को दिल्ली सरकार के नियंत्रण में डाल दिया जाए. आपको बता दें कि हिन्दू रॉ अस्पताल को कोरोना महामारी के शुरू में ही कोविड अस्पताल घोषित कर दिया गया था. रविवार को प्रदर्शन कर रहे रेजिडेंट डॉक्टर्स से एबीपी न्यूज़ ने जब बात की तो  उनका कुछ यूं कहना रहा.


हिन्दू रॉ अस्पताल के आरडीए जनरल सचिव ने कहा कि वह यह साफ करना चाहेंगे की पेशंट का लोड कम किया जा रहा है, काम नहीं बंद किया जा रहा. कई और डॉक्टर्स हैं जो पेशंट्स की देख रेख कर रहे हैं. "हमारे से रेस्पॉन्सिबिल्टी हमारे सीनियर्स ने ले ली है."


केंद्रीय और राज्य सरकार एक बार फिर इस पूरे मुद्दे को लेकर आमने सामने है, आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला भी शुरू हो गया है.


इस पूरे मामले पर तमाम रेजिडेंट डॉक्टर्स ने टिप्पणी की


सिद्धार्थ, जनरल सेक्रेटरी, हिन्दू रॉ RDA का कहना है कि वेतन का मुद्दा बेहद ही इम्पोर्टेन्ट मुद्दा है. पोलिटिकल वॉलीबॉल न खेला जाए. जल्द से जल्द रिलीफ दें चाहे फिर वह सफाई कर्मचारी हो, नर्सेस हों, बाकी मेडिकल स्टाफ हो या फिर डॉक्टर्स हो.


कोई भी मुद्दा होगा तो उसपर राजनीति ज़रूर होगी. ऊपर जो गेम चल रहा है उसमें हमारा कोई इंटरेस्ट नहीं है. सवाल तो यह है कि उन्होंने यह सब पहले क्यों नही सोचा था की वेतन देने में दिक्कत आ सकती है और उसका समाधान पिहले से ही क्यों नही निकाला.


गौरी शंकर, रेजिडेंट का कहना है कि मैं साउथ इंडिया से हूं. मुझे आए दो तीन महीने ही हुए हैं. हमे रेंट, ट्रेवल और तमाम चीज़ों के पैसे इस्तेमाल करने पड़ते हैं. पैसे के बिना कुछ नहीं किया जा सकता.


डॉ. सवीता का कहना है कि घर चलाना मुश्किल हो रहा है. हम बाहर से हैं, रेंट बहुत ही हाई हैं. हम 3 महीने से कैसे जी रहे हैं हमे खुद ही पता है. अकाउंट में पैसे नहीं है. कई लोगों के प्रोवार हैं, बच्चे हैं, इएमआई हैं, मेरे खुद के मां-बाप हैं जिनका ख्याल मुझे ही रखना होता है. कोविड वारियर्स को सैलरी न मिलना बेहद ही गलत है. फंड्स न होने पर हम यह कहना चाहेंगे कि उपाय हमारे लीडर्स को ही निकलना होगा. एमसीडी नहीं दे सकती तो फिर दिल्ली सरकार हमें वेतन दें.


डॉ. दीपिका का कहना है कि कोई डॉक्टरों के बारे में नहीं सोच रहा है. ताली बजा लिया, फूल बरसा लिए लेकिन वेतन के बारे में कोई नहीं सोच रहें. दिल्ली सरकार कहती है कि केंद्रीय सरकार देगी, केंद्र कहता है दिल्ली सरकार देगी, हम बीच मे पीस रहे हैं.


घर बैठे सब सरकारी अफसरों को सैलरी मिली लेकिन हमने पूरी मेहनत से काम किया है लेकिन हमें नहीं दी गई.


वेतन दो, वेतन दो...हमे हमारा वेतन दो


भीख नही अधिकार है


Mcd हाय् हाय्


आटा है ना दाल है यह तो अत्याचार है


घर का बुरा हाल है


नो पे नो वर्क


1234 बन्द करो यह अत्याचार


मोदी जी को मैसेज दो हमें हमारा वेतन दो, केजरीवाल को मैसेज दो हमें हमारा वेतन दो


इन्ही नारों से रविवार को हिन्दू रॉ अस्पताल का गेट नम्बर 1 गूंज रहा था.


फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (FORDA) और एम्स आरडीए भी हिंदी रॉ अस्पताल के डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों के समर्थन में खड़ा हुआ.


डॉ. आदर्श प्रताप सिंह का कहना है कि जिस प्रकार MCD यह बोल रही है कि उनके पास स्वास्थ्य कर्मियों को देने के लिए फंड्स नहीं है इस चीज़ को केंद्रीय और राज्य सरकार काफी गंभीरता से ले. सरकारों के बड़े-बड़े प्रॉजेक्ट हैं जो चालूं हैं.


पार्लियामेंट दोबारा से बन रहा है, हमारी प्राथमिकतायें कहां हैं? हमारे देश के गिने चुने स्वास्थ्यकर्मियों को हम सैलरी नहीं दे पा रहें हैं. यह वहीं स्वास्थ्य कर्मी हैं जो पिछले 8 महीने से कोरोना के मरीज़ों का ही इलाज कर रहे हैं. वो अपने परिवार का पालन पोषण किस प्रकार से करेंगे? पीएम केयर फंड का इस्तेमाल कोरोना वायरल के लिए ही किया था तो उससे सैलरी क्यों नही दी जा सकती? स्वास्थ्यकर्मियों को इग्नोर नहीं किया जा सकता है. यह हालत तो डॉक्टरों की राजधानी में है तो भी इसे इग्नोर किया जा रहा है.


डॉ. पार्थ बोरा का कहना है कि डॉक्टरों के साथ-साथ MCD का स्टाफ भी इसमें शामिल है. जिन्हें वेतन नही दिया जा रहा है. यह समस्या अभी की नहीं है बल्की 4 से 5 सालों से ऐसा ही होता आ रहा है. हिन्दू रॉ अस्पताल को अभी कोविड अस्पताल डिक्लेअर किया गया है, वहां के डॉक्टर्स आलरेडी बहुत ही मेन्टल और फिजिकल तनाव में हैं और उसके ऊपर से अगर सैलरी का भी इशू आ जाता है तो उनके बेसिक नीड्स कैसे पूरी की जाएंगी? बहुत से डॉक्टर्स दूसरे राज्यों से आते हैं वो अपना गुज़ारा कैसे करेंगे? फोर्डा हिन्दू राओ का फुल सप्पोर्ट कर रहा है. जब तक यह समस्या का समाधान नहीं मिलता तब तक फोर्डा अपना समर्थन देती रहेगी.


नोर्थ एमसीडी कहता है कि उनके पास वेतन देने के लिए फंड्स नहीं है. हम इस मामले में राजनीति नहीं करना चाहते. पर एक समाधान जरूरी है. जो काम पर अभी नहीं हैं उनका वापस आना जरूरी है.


अभी भी एमसीडी के संचालित हिंदू राव अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल जारी है. लेकिन बताया जा रहा है की हड़ताल खत्म कराने और डॉक्टरों की समस्याओं को लेकर दिल्ली नगर निगम के अधिकारी और आरडीए (रेडिजेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन) के प्रतिनिधि के बीच सोमवार सुबह 10 बजे बैठक होगी.


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